चट्टान से पानी1 फिर यहोवा की आज्ञा के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर बढ़ते हुए इस्राएलियों की सारी मंडली सीन नामक जंगल से निकली, और उन्होंने रपीदीम में डेरे खड़े किए; परंतु वहाँ उन लोगों को पीने का पानी न मिला। 2 इसलिए वे मूसा से झगड़ा करते हुए कहने लगे, “हमें पीने का पानी दे।” मूसा ने उनसे कहा, “तुम मुझसे क्यों झगड़ते हो? तुम यहोवा की परीक्षा क्यों करते हो?” 3 फिर लोगों को वहाँ पानी की प्यास लगी, तब वे यह कहकर मूसा पर कुड़कुड़ाने लगे, “तू हमें बाल-बच्चों और पशुओं सहित प्यासा मार डालने के लिए मिस्र से क्यों ले आया है?” 4 तब मूसा ने यहोवा की दुहाई देते हुए कहा, “मैं इन लोगों का क्या करूँ? वे मुझ पर पथराव करने को तैयार हैं।” 5 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएली धर्मवृद्धों में से कुछ को अपने साथ लेकर इन लोगों से आगे बढ़ चल; और जिस लाठी को तूने नील नदी पर मारा था उसे भी अपने हाथ में ले। 6 देख, मैं होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर तेरे सामने खड़ा रहूँगा; तू उस चट्टान पर मारना, और उसमें से पानी निकलेगा, जिससे कि लोग पीएँ।” तब मूसा ने इस्राएल के धर्मवृद्धों की आँखों के सामने वैसा ही किया। 7 मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, क्योंकि इस्राएलियों ने वहाँ झगड़ा किया था, और यह कहकर यहोवा की परीक्षा की थी, “क्या यहोवा हमारे बीच है या नहीं?” अमालेकियों की पराजय8 फिर अमालेकियों ने आकर रपीदीम में इस्राएलियों पर आक्रमण किया। 9 तब मूसा ने यहोशू से कहा, “हमारे लिए कुछ पुरुषों को चुन ले, और बाहर जाकर अमालेकियों से लड़; मैं कल परमेश्वर की लाठी अपने हाथ में लिए हुए पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूँगा।” 10 यहोशू ने मूसा के कहे अनुसार किया और वह अमालेकियों से लड़ने लगा; और मूसा, हारून, तथा हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गए। 11 जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता था तब तक तो इस्राएल प्रबल होता था; परंतु जब-जब वह अपना हाथ नीचे करता था, तब-तब अमालेक प्रबल होता था। 12 पर जब मूसा के हाथ थक गए, तो उन्होंने एक पत्थर लेकर मूसा के नीचे रख दिया, और वह उस पर बैठ गया, जबकि हारून और हूर एक-एक ओर खड़े होकर उसके हाथों को संभालते रहे; और उसके हाथ सूर्यास्त तक स्थिर रहे। 13 इस प्रकार यहोशू ने अमालेकियों और उसके लोगों को तलवार के बल से हरा दिया। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “स्मरण रखने के लिए इस बात को पुस्तक में लिख ले और यहोशू को सुना दे कि मैं आकाश के नीचे से अमालेक का स्मरण पूरी रीति से मिटा डालूँगा।” 15 तब मूसा ने एक वेदी बनाकर उसका नाम “यहोवा निस्सी” रखा; 16 और कहा, “यहोवा ने शपथ खाई है कि यहोवा अमालेकियों से पीढ़ियों तक युद्ध करता रहेगा।” |