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लूका 9:49 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

अपरञ्च योहन् व्याजहार हे प्रभेा तव नाम्ना भूतान् त्याजयन्तं मानुषम् एकं दृष्टवन्तो वयं, किन्त्वस्माकम् अपश्चाद् गामित्वात् तं न्यषेधाम्। तदानीं यीशुरुवाच,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

অপৰঞ্চ যোহন্ ৱ্যাজহাৰ হে প্ৰভেा তৱ নাম্না ভূতান্ ত্যাজযন্তং মানুষম্ একং দৃষ্টৱন্তো ৱযং, কিন্ত্ৱস্মাকম্ অপশ্চাদ্ গামিৎৱাৎ তং ন্যষেধাম্| তদানীং যীশুৰুৱাচ,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

অপরঞ্চ যোহন্ ৱ্যাজহার হে প্রভেा তৱ নাম্না ভূতান্ ত্যাজযন্তং মানুষম্ একং দৃষ্টৱন্তো ৱযং, কিন্ত্ৱস্মাকম্ অপশ্চাদ্ গামিৎৱাৎ তং ন্যষেধাম্| তদানীং যীশুরুৱাচ,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

အပရဉ္စ ယောဟန် ဝျာဇဟာရ ဟေ ပြဘေा တဝ နာမ္နာ ဘူတာန် တျာဇယန္တံ မာနုၐမ် ဧကံ ဒၖၐ္ဋဝန္တော ဝယံ, ကိန္တွသ္မာကမ် အပၑ္စာဒ် ဂါမိတွာတ် တံ နျၐေဓာမ်၊ တဒါနီံ ယီၑုရုဝါစ,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

aparanjca yOhan vyAjahAra hE prabhEा tava nAmnA bhUtAn tyAjayantaM mAnuSam EkaM dRSTavantO vayaM, kintvasmAkam apazcAd gAmitvAt taM nyaSEdhAm| tadAnIM yIzuruvAca,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

અપરઞ્ચ યોહન્ વ્યાજહાર હે પ્રભેा તવ નામ્ના ભૂતાન્ ત્યાજયન્તં માનુષમ્ એકં દૃષ્ટવન્તો વયં, કિન્ત્વસ્માકમ્ અપશ્ચાદ્ ગામિત્વાત્ તં ન્યષેધામ્| તદાનીં યીશુરુવાચ,

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

aparaJca yohan vyAjahAra he prabheा tava nAmnA bhUtAn tyAjayantaM mAnuSam ekaM dRSTavanto vayaM, kintvasmAkam apazcAd gAmitvAt taM nyaSedhAm| tadAnIM yIzuruvAca,

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 9:49
10 अन्तरसन्दर्भाः  

किन्तु योहन् तं निषिध्य बभाषे, त्वं किं मम समीपम् आगच्छसि? वरं त्वया मज्जनं मम प्रयोजनम् आस्ते।


ततः शिमोन बभाषे, हे गुरो यद्यपि वयं कृत्स्नां यामिनीं परिश्रम्य मत्स्यैकमपि न प्राप्तास्तथापि भवतो निदेशतो जालं क्षिपामः।


अथ तयोरुभयो र्गमनकाले पितरो यीशुं बभाषे, हे गुरोऽस्माकं स्थानेऽस्मिन् स्थितिः शुभा, तत एका त्वदर्था, एका मूसार्था, एका एलियार्था, इति तिस्रः कुट्योस्माभि र्निर्म्मीयन्तां, इमां कथां स न विविच्य कथयामास।


अनेन नाम्ना समुपदेष्टुं वयं किं दृढं न न्यषेधाम? तथापि पश्यत यूयं स्वेषां तेनोपदेशेने यिरूशालमं परिपूर्णं कृत्वा तस्य जनस्य रक्तपातजनितापराधम् अस्मान् प्रत्यानेतुं चेष्टध्वे।


अपरं भिन्नजातीयलोकानां परित्राणार्थं तेषां मध्ये सुसंवादघोषणाद् अस्मान् प्रतिषेधन्ति चेत्थं स्वीयपापानां परिमाणम् उत्तरोत्तरं पूरयन्ति, किन्तु तेषाम् अन्तकारी क्रोधस्तान् उपक्रमते।