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लूका 7:27 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

पश्य स्वकीयदूतन्तु तवाग्र प्रेषयाम्यहं। गत्वा त्वदीयमार्गन्तु स हि परिष्करिष्यति। यदर्थे लिपिरियम् आस्ते स एव योहन्।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

পশ্য স্ৱকীযদূতন্তু তৱাগ্ৰ প্ৰেষযাম্যহং| গৎৱা ৎৱদীযমাৰ্গন্তু স হি পৰিষ্কৰিষ্যতি| যদৰ্থে লিপিৰিযম্ আস্তে স এৱ যোহন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

পশ্য স্ৱকীযদূতন্তু তৱাগ্র প্রেষযাম্যহং| গৎৱা ৎৱদীযমার্গন্তু স হি পরিষ্করিষ্যতি| যদর্থে লিপিরিযম্ আস্তে স এৱ যোহন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ပၑျ သွကီယဒူတန္တု တဝါဂြ ပြေၐယာမျဟံ၊ ဂတွာ တွဒီယမာရ္ဂန္တု သ ဟိ ပရိၐ္ကရိၐျတိ၊ ယဒရ္ထေ လိပိရိယမ် အာသ္တေ သ ဧဝ ယောဟန်၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

pazya svakIyadUtantu tavAgra prESayAmyahaM| gatvA tvadIyamArgantu sa hi pariSkariSyati| yadarthE lipiriyam AstE sa Eva yOhan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

પશ્ય સ્વકીયદૂતન્તુ તવાગ્ર પ્રેષયામ્યહં| ગત્વા ત્વદીયમાર્ગન્તુ સ હિ પરિષ્કરિષ્યતિ| યદર્થે લિપિરિયમ્ આસ્તે સ એવ યોહન્|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

pazya svakIyadUtantu tavAgra preSayAmyahaM| gatvA tvadIyamArgantu sa hi pariSkariSyati| yadarthe lipiriyam Aste sa eva yohan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 7:27
10 अन्तरसन्दर्भाः  

यतः, पश्य स्वकीयदूतोयं त्वदग्रे प्रेष्यते मया। स गत्वा तव पन्थानं स्मयक् परिष्करिष्यति॥ एतद्वचनं यमधि लिखितमास्ते सोऽयं योहन्।


भविष्यद्वादिनां ग्रन्थेषु लिपिरित्थमास्ते, पश्य स्वकीयदूतन्तु तवाग्रे प्रेषयाम्यहम्। गत्वा त्वदीयपन्थानं स हि परिष्करिष्यति।


अतो हे बालक त्वन्तु सर्व्वेभ्यः श्रेष्ठ एव यः। तस्यैव भाविवादीति प्रविख्यातो भविष्यसि। अस्माकं चरणान् क्षेमे मार्गे चालयितुं सदा। एवं ध्वान्तेऽर्थतो मृत्योश्छायायां ये तु मानवाः।


तर्हि यूयं किं द्रष्टुं निरगमत? किमेकं भविष्यद्वादिनं? तदेव सत्यं किन्तु स पुमान् भविष्यद्वादिनोपि श्रेष्ठ इत्यहं युष्मान् वदामि;


अतो युष्मानहं वदामि स्त्रिया गर्ब्भजातानां भविष्यद्वादिनां मध्ये योहनो मज्जकात् श्रेष्ठः कोपि नास्ति, तत्रापि ईश्वरस्य राज्ये यः सर्व्वस्मात् क्षुद्रः स योहनोपि श्रेष्ठः।


तदा सोवदत्। परमेशस्य पन्थानं परिष्कुरुत सर्व्वतः। इतीदं प्रान्तरे वाक्यं वदतः कस्यचिद्रवः। कथामिमां यस्मिन् यिशयियो भविष्यद्वादी लिखितवान् सोहम्।