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लूका 7:26 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

तर्हि यूयं किं द्रष्टुं निरगमत? किमेकं भविष्यद्वादिनं? तदेव सत्यं किन्तु स पुमान् भविष्यद्वादिनोपि श्रेष्ठ इत्यहं युष्मान् वदामि;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

তৰ্হি যূযং কিং দ্ৰষ্টুং নিৰগমত? কিমেকং ভৱিষ্যদ্ৱাদিনং? তদেৱ সত্যং কিন্তু স পুমান্ ভৱিষ্যদ্ৱাদিনোপি শ্ৰেষ্ঠ ইত্যহং যুষ্মান্ ৱদামি;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

তর্হি যূযং কিং দ্রষ্টুং নিরগমত? কিমেকং ভৱিষ্যদ্ৱাদিনং? তদেৱ সত্যং কিন্তু স পুমান্ ভৱিষ্যদ্ৱাদিনোপি শ্রেষ্ঠ ইত্যহং যুষ্মান্ ৱদামি;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

တရှိ ယူယံ ကိံ ဒြၐ္ဋုံ နိရဂမတ? ကိမေကံ ဘဝိၐျဒွါဒိနံ? တဒေဝ သတျံ ကိန္တု သ ပုမာန် ဘဝိၐျဒွါဒိနောပိ ၑြေၐ္ဌ ဣတျဟံ ယုၐ္မာန် ဝဒါမိ;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

tarhi yUyaM kiM draSTuM niragamata? kimEkaM bhaviSyadvAdinaM? tadEva satyaM kintu sa pumAn bhaviSyadvAdinOpi zrESTha ityahaM yuSmAn vadAmi;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

તર્હિ યૂયં કિં દ્રષ્ટું નિરગમત? કિમેકં ભવિષ્યદ્વાદિનં? તદેવ સત્યં કિન્તુ સ પુમાન્ ભવિષ્યદ્વાદિનોપિ શ્રેષ્ઠ ઇત્યહં યુષ્માન્ વદામિ;

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

tarhi yUyaM kiM draSTuM niragamata? kimekaM bhaviSyadvAdinaM? tadeva satyaM kintu sa pumAn bhaviSyadvAdinopi zreSTha ityahaM yuSmAn vadAmi;

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 7:26
8 अन्तरसन्दर्भाः  

अतो हे बालक त्वन्तु सर्व्वेभ्यः श्रेष्ठ एव यः। तस्यैव भाविवादीति प्रविख्यातो भविष्यसि। अस्माकं चरणान् क्षेमे मार्गे चालयितुं सदा। एवं ध्वान्तेऽर्थतो मृत्योश्छायायां ये तु मानवाः।


योहन आगमनपर्य्यनतं युष्माकं समीपे व्यवस्थाभविष्यद्वादिनां लेखनानि चासन् ततः प्रभृति ईश्वरराज्यस्य सुसंवादः प्रचरति, एकैको लोकस्तन्मध्यं यत्नेन प्रविशति च।


यदि मनुष्यस्येति वदामस्तर्हि सर्व्वे लोका अस्मान् पाषाणै र्हनिष्यन्ति यतो योहन् भविष्यद्वादीति सर्व्वे दृढं जानन्ति।


यूयं किं द्रष्टुं निरगमत? किं सूक्ष्मवस्त्रपरिधायिनं कमपि नरं? किन्तु ये सूक्ष्ममृदुवस्त्राणि परिदधति सूत्तमानि द्रव्याणि भुञ्जते च ते राजधानीषु तिष्ठन्ति।


पश्य स्वकीयदूतन्तु तवाग्र प्रेषयाम्यहं। गत्वा त्वदीयमार्गन्तु स हि परिष्करिष्यति। यदर्थे लिपिरियम् आस्ते स एव योहन्।


योहन् देदीप्यमानो दीप इव तेजस्वी स्थितवान् यूयम् अल्पकालं तस्य दीप्त्यानन्दितुं सममन्यध्वं।