ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनम्


समग्रं बाइबिलम् पुरातननियमः नवीननियमः




लूका 4:43 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

किन्तु स तान् जगाद, ईश्वरीयराज्यस्य सुसंवादं प्रचारयितुम् अन्यानि पुराण्यपि मया यातव्यानि यतस्तदर्थमेव प्रेरितोहं।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

কিন্তু স তান্ জগাদ, ঈশ্ৱৰীযৰাজ্যস্য সুসংৱাদং প্ৰচাৰযিতুম্ অন্যানি পুৰাণ্যপি মযা যাতৱ্যানি যতস্তদৰ্থমেৱ প্ৰেৰিতোহং|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

কিন্তু স তান্ জগাদ, ঈশ্ৱরীযরাজ্যস্য সুসংৱাদং প্রচারযিতুম্ অন্যানি পুরাণ্যপি মযা যাতৱ্যানি যতস্তদর্থমেৱ প্রেরিতোহং|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ကိန္တု သ တာန် ဇဂါဒ, ဤၑွရီယရာဇျသျ သုသံဝါဒံ ပြစာရယိတုမ် အနျာနိ ပုရာဏျပိ မယာ ယာတဝျာနိ ယတသ္တဒရ္ထမေဝ ပြေရိတောဟံ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

kintu sa tAn jagAda, IzvarIyarAjyasya susaMvAdaM pracArayitum anyAni purANyapi mayA yAtavyAni yatastadarthamEva prEritOhaM|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

કિન્તુ સ તાન્ જગાદ, ઈશ્વરીયરાજ્યસ્ય સુસંવાદં પ્રચારયિતુમ્ અન્યાનિ પુરાણ્યપિ મયા યાતવ્યાનિ યતસ્તદર્થમેવ પ્રેરિતોહં|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

kintu sa tAn jagAda, IzvarIyarAjyasya susaMvAdaM pracArayitum anyAni purANyapi mayA yAtavyAni yatastadarthameva preritohaM|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 4:43
12 अन्तरसन्दर्भाः  

अनन्तरं भजनभवने समुपदिशन् राज्यस्य सुसंवादं प्रचारयन् मनुजानां सर्व्वप्रकारान् रोगान् सर्व्वप्रकारपीडाश्च शमयन् यीशुः कृत्स्नं गालील्देशं भ्रमितुम् आरभत।


अपरञ्च सोऽतिप्रत्यूषे वस्तुतस्तु रात्रिशेषे समुत्थाय बहिर्भूय निर्जनं स्थानं गत्वा तत्र प्रार्थयाञ्चक्रे।


यीशुः पुनरवदद् युष्माकं कल्याणं भूयात् पिता यथा मां प्रैषयत् तथाहमपि युष्मान् प्रेषयामि।


दिने तिष्ठति मत्प्रेरयितुः कर्म्म मया कर्त्तव्यं यदा किमपि कर्म्म न क्रियते तादृशी निशागच्छति।


फलत ईश्वरेण पवित्रेणात्मना शक्त्या चाभिषिक्तो नासरतीययीशुः स्थाने स्थाने भ्रमन् सुक्रियां कुर्व्वन् शैताना क्लिष्टान् सर्व्वलोकान् स्वस्थान् अकरोत्, यत ईश्वरस्तस्य सहाय आसीत्;


त्वं वाक्यं घोषय कालेऽकाले चोत्सुको भव पूर्णया सहिष्णुतया शिक्षया च लोकान् प्रबोधय भर्त्सय विनयस्व च।