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लूका 9:58 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

58 तदानीं यीशुस्तमुवाच, गोमायूनां गर्त्ता आसते, विहायसीयविहगाानां नीडानि च सन्ति, किन्तु मानवतनयस्य शिरः स्थापयितुं स्थानं नास्ति।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

58 তদানীং যীশুস্তমুৱাচ, গোমাযূনাং গৰ্ত্তা আসতে, ৱিহাযসীযৱিহগাाনাং নীডানি চ সন্তি, কিন্তু মানৱতনযস্য শিৰঃ স্থাপযিতুং স্থানং নাস্তি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

58 তদানীং যীশুস্তমুৱাচ, গোমাযূনাং গর্ত্তা আসতে, ৱিহাযসীযৱিহগাाনাং নীডানি চ সন্তি, কিন্তু মানৱতনযস্য শিরঃ স্থাপযিতুং স্থানং নাস্তি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

58 တဒါနီံ ယီၑုသ္တမုဝါစ, ဂေါမာယူနာံ ဂရ္တ္တာ အာသတေ, ဝိဟာယသီယဝိဟဂါाနာံ နီဍာနိ စ သန္တိ, ကိန္တု မာနဝတနယသျ ၑိရး သ္ထာပယိတုံ သ္ထာနံ နာသ္တိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

58 tadAnIM yIzustamuvAca, gOmAyUnAM garttA AsatE, vihAyasIyavihagAाnAM nIPAni ca santi, kintu mAnavatanayasya ziraH sthApayituM sthAnaM nAsti|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

58 તદાનીં યીશુસ્તમુવાચ, ગોમાયૂનાં ગર્ત્તા આસતે, વિહાયસીયવિહગાाનાં નીડાનિ ચ સન્તિ, કિન્તુ માનવતનયસ્ય શિરઃ સ્થાપયિતું સ્થાનં નાસ્તિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

58 tadAnIM yIzustamuvAca, gomAyUnAM garttA Asate, vihAyasIyavihagAाnAM nIDAni ca santi, kintu mAnavatanayasya ziraH sthApayituM sthAnaM nAsti|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




लूका 9:58
9 अन्तरसन्दर्भाः  

सर्षपबीजं सर्व्वस्माद् बीजात् क्षुद्रमपि सदङ्कुरितं सर्व्वस्मात् शाकात् बृहद् भवति; स तादृशस्तरु र्भवति, यस्य शाखासु नभसः खगा आगत्य निवसन्ति; स्वर्गीयराज्यं तादृशस्य सर्षपैकस्य समम्।


ततो यीशु र्जगाद, क्रोष्टुः स्थातुं स्थानं विद्यते, विहायसो विहङ्गमानां नीडानि च सन्ति; किन्तु मनुष्यपुत्रस्य शिरः स्थापयितुं स्थानं न विद्यते।


यूयञ्चास्मत्प्रभो र्यीशुख्रीष्टस्यानुग्रहं जानीथ यतस्तस्य निर्धनत्वेन यूयं यद् धनिनो भवथ तदर्थं स धनी सन्नपि युष्मत्कृते निर्धनोऽभवत्।


हे मम प्रियभ्रातरः, शृणुत, संसारे ये दरिद्रास्तान् ईश्वरो विश्वासेन धनिनः स्वप्रेमकारिभ्यश्च प्रतिश्रुतस्य राज्यस्याधिकारिणः कर्त्तुं किं न वरीतवान्? किन्तु दरिद्रो युष्माभिरवज्ञायते।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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