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लूका 9:10 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

10 अनन्तरं प्रेरिताः प्रत्यागत्य यानि यानि कर्म्माणि चक्रुस्तानि यीशवे कथयामासुः ततः स तान् बैत्सैदानामकनगरस्य विजनं स्थानं नीत्वा गुप्तं जगाम।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

10 অনন্তৰং প্ৰেৰিতাঃ প্ৰত্যাগত্য যানি যানি কৰ্ম্মাণি চক্ৰুস্তানি যীশৱে কথযামাসুঃ ততঃ স তান্ বৈৎসৈদানামকনগৰস্য ৱিজনং স্থানং নীৎৱা গুপ্তং জগাম|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

10 অনন্তরং প্রেরিতাঃ প্রত্যাগত্য যানি যানি কর্ম্মাণি চক্রুস্তানি যীশৱে কথযামাসুঃ ততঃ স তান্ বৈৎসৈদানামকনগরস্য ৱিজনং স্থানং নীৎৱা গুপ্তং জগাম|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

10 အနန္တရံ ပြေရိတား ပြတျာဂတျ ယာနိ ယာနိ ကရ္မ္မာဏိ စကြုသ္တာနိ ယီၑဝေ ကထယာမာသုး တတး သ တာန် ဗဲတ္သဲဒါနာမကနဂရသျ ဝိဇနံ သ္ထာနံ နီတွာ ဂုပ္တံ ဇဂါမ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

10 anantaraM prEritAH pratyAgatya yAni yAni karmmANi cakrustAni yIzavE kathayAmAsuH tataH sa tAn baitsaidAnAmakanagarasya vijanaM sthAnaM nItvA guptaM jagAma|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

10 અનન્તરં પ્રેરિતાઃ પ્રત્યાગત્ય યાનિ યાનિ કર્મ્માણિ ચક્રુસ્તાનિ યીશવે કથયામાસુઃ તતઃ સ તાન્ બૈત્સૈદાનામકનગરસ્ય વિજનં સ્થાનં નીત્વા ગુપ્તં જગામ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

10 anantaraM preritAH pratyAgatya yAni yAni karmmANi cakrustAni yIzave kathayAmAsuH tataH sa tAn baitsaidAnAmakanagarasya vijanaM sthAnaM nItvA guptaM jagAma|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




लूका 9:10
10 अन्तरसन्दर्भाः  

हा कोरासीन्, हा बैत्सैदे, युष्मन्मध्ये यद्यदाश्चर्य्यं कर्म्म कृतं यदि तत् सोरसीदोन्नगर अकारिष्यत, तर्हि पूर्व्वमेव तन्निवासिनः शाणवसने भस्मनि चोपविशन्तो मनांसि परावर्त्तिष्यन्त।


ईश्वरं विना पापानि मार्ष्टुं कस्य सामर्थ्यम् आस्ते?


अथ ते सप्ततिशिष्या आनन्देन प्रत्यागत्य कथयामासुः, हे प्रभो भवतो नाम्ना भूता अप्यस्माकं वशीभवन्ति।


बैत्सैदानाम्नि यस्मिन् ग्रामे पितरान्द्रिययोर्वास आसीत् तस्मिन् ग्रामे तस्य फिलिपस्य वसतिरासीत्।


यूयं स्वनायकानाम् आज्ञाग्राहिणो वश्याश्च भवत यतो यैरुपनिधिः प्रतिदातव्यस्तादृशा लोका इव ते युष्मदीयात्मनां रक्षणार्थं जाग्रति, अतस्ते यथा सानन्दास्तत् कुर्य्यु र्न च सार्त्तस्वरा अत्र यतध्वं यतस्तेषाम् आर्त्तस्वरो युष्माकम् इष्टजनको न भवेत्।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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