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लूका 22:35 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

35 अपरं स पप्रच्छ, यदा मुद्रासम्पुटं खाद्यपात्रं पादुकाञ्च विना युष्मान् प्राहिणवं तदा युष्माकं कस्यापि न्यूनतासीत्? ते प्रोचुः कस्यापि न।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

35 অপৰং স পপ্ৰচ্ছ, যদা মুদ্ৰাসম্পুটং খাদ্যপাত্ৰং পাদুকাঞ্চ ৱিনা যুষ্মান্ প্ৰাহিণৱং তদা যুষ্মাকং কস্যাপি ন্যূনতাসীৎ? তে প্ৰোচুঃ কস্যাপি ন|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

35 অপরং স পপ্রচ্ছ, যদা মুদ্রাসম্পুটং খাদ্যপাত্রং পাদুকাঞ্চ ৱিনা যুষ্মান্ প্রাহিণৱং তদা যুষ্মাকং কস্যাপি ন্যূনতাসীৎ? তে প্রোচুঃ কস্যাপি ন|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

35 အပရံ သ ပပြစ္ဆ, ယဒါ မုဒြာသမ္ပုဋံ ခါဒျပါတြံ ပါဒုကာဉ္စ ဝိနာ ယုၐ္မာန် ပြာဟိဏဝံ တဒါ ယုၐ္မာကံ ကသျာပိ နျူနတာသီတ်? တေ ပြောစုး ကသျာပိ န၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

35 aparaM sa papraccha, yadA mudrAsampuTaM khAdyapAtraM pAdukAnjca vinA yuSmAn prAhiNavaM tadA yuSmAkaM kasyApi nyUnatAsIt? tE prOcuH kasyApi na|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

35 અપરં સ પપ્રચ્છ, યદા મુદ્રાસમ્પુટં ખાદ્યપાત્રં પાદુકાઞ્ચ વિના યુષ્માન્ પ્રાહિણવં તદા યુષ્માકં કસ્યાપિ ન્યૂનતાસીત્? તે પ્રોચુઃ કસ્યાપિ ન|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

35 aparaM sa papraccha, yadA mudrAsampuTaM khAdyapAtraM pAdukAJca vinA yuSmAn prAhiNavaM tadA yuSmAkaM kasyApi nyUnatAsIt? te procuH kasyApi na|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




लूका 22:35
16 अन्तरसन्दर्भाः  

यूयं क्षुद्रं महद् वा वसनसम्पुटकं पादुकाश्च मा गृह्लीत, मार्गमध्ये कमपि मा नमत च।


ततः स उवाच, हे पितर त्वां वदामि, अद्य कुक्कुटरवात् पूर्व्वं त्वं मत्परिचयं वारत्रयम् अपह्वोष्यसे।


तदा सोवदत् किन्त्विदानीं मुद्रासम्पुटं खाद्यपात्रं वा यस्यास्ति तेन तद्ग्रहीतव्यं, यस्य च कृपाणोे नास्ति तेन स्ववस्त्रं विक्रीय स क्रेतव्यः।


यात्रार्थं यष्टि र्वस्त्रपुटकं भक्ष्यं मुद्रा द्वितीयवस्त्रम्, एषां किमपि मा गृह्लीत।


तदेव शास्त्रेऽपि लिखितम् आस्ते यथा, येनाधिकं संगृहीतं तस्याधिकं नाभवत् येन चाल्पं संगृहीतं तस्याल्पं नाभवत्।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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