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लूका 8:15 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।

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पवित्र बाइबल

15 और अच्छी धरती पर गिरे बीज से अर्थ है वे व्यक्ति जो अच्छे और सच्चे मन से जब वचन को सुनते हैं तो उसे धारण भी करते हैं। फिर अपने धैर्य के साथ वह उत्तम फल देते हैं।

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Hindi Holy Bible

15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 अच्‍छी भूमि पर गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुन कर उसे सच्‍चे और निष्‍कपट हृदय में सुरक्षित रखते और अपने धैर्य के कारण फल लाते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

15 परंतु अच्छी भूमि के बीज वे हैं, जो अच्छे और भले मन से वचन सुनकर उसे दृढ़ता से थामे रहते हैं और धीरज से फल लाते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.

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लूका 8:15
40 क्रॉस रेफरेंस  

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ।


हे परमेश्‍वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।


हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;


जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ।


परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।


जो कसदी इस नगर से युद्ध कर रहे हैं, वे आकर इसमें आग लगाकर फूँक देंगे, और जिन घरों की छतों पर उन्होंने बाल के लिये धूप जलाकर और दूसरे देवताओं को तपावन देकर मुझे रिस दिलाई है, वे घर जला दिए जाएँगे।


परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।


उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और मानते हैं।”


भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है।


जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं जो सुनते हैं, पर आगे चल कर चिन्ता, और धन, और जीवन के सुखविलास में फँस जाते हैं और उनका फल नहीं पकता।


“कोई दीया जला के बरतन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ।


“यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।


यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ।


जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा;


परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्‍वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिससे पवित्रता प्राप्‍त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।


क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझ में अर्थात् मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती। इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।


वैसे ही हे मेरे भाइयो, तुम भी मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिये मरे हुए बन गए, कि उस दूसरे के हो जाओ, जो मरे हुओं में से जी उठा : ताकि हम परमेश्‍वर के लिये फल लाएँ।


परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं, तो धीरज से उसकी बाट जोहते भी हैं।


न खतना कुछ है और न खतनारहित, परन्तु परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मानना ही सब कुछ है।


क्योंकि विश्‍वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है; और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन् परमेश्‍वर का दान है,


और तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे और तेरे वंश के मन का ख़तना करेगा, कि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन और सारे प्राण के साथ प्रेम करे, जिससे तू जीवित रहे।


और उस धार्मिकता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिससे परमेश्‍वर की महिमा और स्तुति होती रहे।


ताकि तुम्हारा चाल–चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और तुम परमेश्‍वर की पहिचान में बढ़ते जाओ,


जो तुम्हारे पास पहुँचा है, और जैसा जगत में भी फल लाता और बढ़ता जाता है, वैसे ही जिस दिन से तुम ने उसको सुना और सच्‍चाई से परमेश्‍वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है।


क्योंकि तुम्हें धीरज धरना आवश्यक है, ताकि परमेश्‍वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।


इस कारण चाहिए कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं, और भी मन लगाएँ, ऐसा न हो कि बहककर उन से दूर चले जाएँ।


पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ, और तुम में किसी बात की घटी न रहे।


यदि हम उसकी आज्ञाओं को मानेंगे, तो इससे हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं।


हमारे पर का पालन करें:

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