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रोमियों 14:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 तुम परमेश्‍वर के सामने अपनी धारणा अपने तक सीमित रखो। धन्‍य है वह, जिसका अन्त:करण उसे दोषी नहीं मानता, जब वह अपनी धारणा के अनुसार आचरण करता है!

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पवित्र बाइबल

22 अपने विश्वास को परमेश्वर और अपने बीच ही रख। वह धन्य है जो जिसे उत्तम समझता है, उसके लिए अपने को दोषी नहीं पाता।

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Hindi Holy Bible

22 तेरा जो विश्वास हो, उसे परमेश्वर के साम्हने अपने ही मन में रख: धन्य है वह, जो उस बात में, जिस वह ठीक समझता है, अपने आप को दोषी नहीं ठहराता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 तेरा जो विश्‍वास हो, उसे परमेश्‍वर के सामने अपने ही मन में रख। धन्य है वह जो उस बात में, जिसे वह ठीक समझता है, अपने आप को दोषी नहीं ठहराता।

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नवीन हिंदी बाइबल

22 तेरा जो विश्‍वास है उसे परमेश्‍वर के सामने अपने तक ही सीमित रख। धन्य है वह जो उस बात में जिसे वह ठीक समझता है अपने आपको दोषी नहीं ठहराता।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 इन विषयों पर अपने विश्वास को स्वयं अपने तथा परमेश्वर के मध्य सीमित रखो. धन्य है वह व्यक्ति, जिसकी अंतरात्मा उसके द्वारा स्वीकृत किए गए विषयों में उसे नहीं धिक्कारती.

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रोमियों 14:22
13 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिए मैं परमेश्‍वर तथा मनुष्‍यों की दृष्‍टि में अपना अन्‍त:करण निर्दोष बनाये रखने का निरन्‍तर प्रयत्‍न करता रहता हूँ।


मैं जानता हूँ और प्रभु येशु का शिष्‍य होने के नाते मेरा विश्‍वास है कि कोई भी वस्‍तु अपने में अशुद्ध नहीं है; किन्‍तु यदि कोई यह समझता है कि अमुक वस्‍तु अशुद्ध है, तो वह उसके लिए अशुद्ध हो जाती है।


कोई व्यक्‍ति मानता है कि उसे हर प्रकार का भोजन करने की अनुमति है, जब कि जिसका विश्‍वास दुर्बल है, वह साग-सब्‍जी ही खाता है।


किन्‍तु जो खाने के विषय में सन्‍देह करता है और तब भी खाता है, वह दोषी है; क्‍योंकि उसका यह कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, और जो कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, वह पाप है।


कोई एक दिन को दूसरे दिन से श्रेष्‍ठ मानता है, जब कि कोई सब दिनों को बराबर समझता है। हर व्यक्‍ति इसके सम्‍बन्‍ध में अपनी-अपनी धारणा बना ले।


इसलिए, हे दूसरों पर दोष लगाने वाले! तुम चाहे जो भी हो, अक्षम्‍य हो। तुम दूसरों पर दोष लगाने के कारण अपने को दोषी ठहराते हो; क्‍योंकि तुम, जो दूसरों पर दोष लगाते हो, ये ही कुकर्म स्‍वयं करते हो।


मैं अपना ही आचरण नहीं समझता हूँ। क्‍योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, वह नहीं, बल्‍कि वही करता हूँ, जिस से मैं घृणा करता हूँ।


मैं कितना अभागा मनुष्‍य हूँ! इस मृत्‍यु के अधीन रहने वाले शरीर से मुझे कौन मुक्‍त करेगा?


परन्‍तु यह ज्ञान सब को प्राप्‍त नहीं है। कुछ लोग हाल में मूर्तिपूजक थे। वे मांस, देवता को अर्पित समझ कर खाते हैं और उनका अन्‍त:करण दुर्बल होने के कारण दूषित हो जाता है।


हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्‍त:करण हमें विश्‍वास दिलाता है कि हमने मनुष्‍यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्‍यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्‍कि उस सच्‍चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्‍वर की कृपा का वरदान है।


भाइयो और बहिनो! यदि यह पता चले कि किसी ने कोई अपराध किया है, तो आप लोग, जो आध्‍यात्‍मिक हैं, उसे नम्रतापूर्वक सुधारें। आप स्‍वयं सावधान रहें: कहीं ऐसा न हो कि आप भी प्रलोभन में पड़ जायें।


आप लोगों में जो ज्ञानी और समझदार होने का दावा करता है, वह अपने सदाचरण द्वारा, अपने नम्र तथा बुद्धिमान व्‍यवहार द्वारा इस बात का प्रमाण दे।


प्रियो! यदि हमारा अन्‍त:करण हम पर दोष नहीं लगाता है, तो हम परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।


हमारे पर का पालन करें:

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