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रोमियों 14:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 मैं जानता हूँ और प्रभु येशु का शिष्‍य होने के नाते मेरा विश्‍वास है कि कोई भी वस्‍तु अपने में अशुद्ध नहीं है; किन्‍तु यदि कोई यह समझता है कि अमुक वस्‍तु अशुद्ध है, तो वह उसके लिए अशुद्ध हो जाती है।

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पवित्र बाइबल

14 प्रभु यीशु में आस्थावान होने के कारण मैं मानता हूँ कि अपने आप में कोई भोजन अपवित्र नहीं है। वह केवल उसके लिए अपवित्र हैं, जो उसे अपवित्र मानता हैं, उसके लिए उसका खाना अनुचित है।

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Hindi Holy Bible

14 मैं जानता हूं, और प्रभु यीशु से मुझे निश्चय हुआ है, कि कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं, परन्तु जो उस को अशुद्ध समझता है, उसके लिये अशुद्ध है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 मैं जानता हूँ और प्रभु यीशु में मुझे निश्‍चय हुआ है कि कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं, परन्तु जो उसको अशुद्ध समझता है उसके लिये अशुद्ध है।

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नवीन हिंदी बाइबल

14 मैं जानता हूँ और प्रभु यीशु में मुझे निश्‍चय हुआ है कि कुछ भी अपने आपमें अशुद्ध नहीं है; परंतु जो उसे अशुद्ध समझता है, उसके लिए वह अशुद्ध है।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 मुझे यह मालूम है तथा प्रभु येशु मसीह में मैं पूरी तरह से निश्चित हूं कि अपने आप में कुछ भी अशुद्ध नहीं है. यदि किसी व्यक्ति ने किसी वस्तु को अशुद्ध मान ही लिया है, वह उसके लिए ही अशुद्ध है.

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रोमियों 14:14
12 क्रॉस रेफरेंस  

तो उन्‍होंने देखा कि येशु के कुछ शिष्‍य अशुद्ध अर्थात् बिना धोये हाथों से भोजन कर रहे हैं।


पतरस ने उनसे यह कहा, “आप जानते हैं कि गैर-यहूदी से सम्‍पर्क रखना या उसके घर में प्रवेश करना यहूदी के लिए मना है; किन्‍तु परमेश्‍वर ने मुझ पर यह प्रकट किया है कि किसी भी मनुष्‍य को अशुद्ध अथवा अपवित्र नहीं कहना चाहिए।


कोई व्यक्‍ति मानता है कि उसे हर प्रकार का भोजन करने की अनुमति है, जब कि जिसका विश्‍वास दुर्बल है, वह साग-सब्‍जी ही खाता है।


भोजन के कारण परमेश्‍वर की कृति का विनाश मत करो। यह सच है कि सब कुछ अपने में शुद्ध है, किन्‍तु भोजन द्वारा दूसरे के मार्ग में रोड़े अटकाना बुरा है।


किन्‍तु जो खाने के विषय में सन्‍देह करता है और तब भी खाता है, वह दोषी है; क्‍योंकि उसका यह कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, और जो कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, वह पाप है।


बाजार में जो मांस बिकता है, उसे आप अन्‍त:करण की शान्‍ति के लिए पूछताछ किये बिना खा सकते हैं;


मान लीजिए कि आप को ‘ज्ञान’ प्राप्‍त हो और आप किसी मन्‍दिर में भोजन करने जायें। यदि ऐसा कोई व्यक्‍ति आप को यह करते देख ले, जिसका अन्‍त:करण दुर्बल है, तो क्‍या उसे मूर्तियों को अर्पित मांस खाने के लिए प्रोत्‍साहन नहीं मिलेगा?


परन्‍तु यह ज्ञान सब को प्राप्‍त नहीं है। कुछ लोग हाल में मूर्तिपूजक थे। वे मांस, देवता को अर्पित समझ कर खाते हैं और उनका अन्‍त:करण दुर्बल होने के कारण दूषित हो जाता है।


क्‍योंकि परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया, वह सब अच्‍छा है और ऐसा कुछ भी त्‍याज्‍य नहीं है, जो धन्‍यवाद के साथ ग्रहण किया जाता है।


जो शुद्ध हैं, उनके लिए सब कुछ शुद्ध है। किन्‍तु जो दूषित और अविश्‍वासी हैं, उनके लिए कुछ भी शुद्ध नहीं हैं, क्‍योंकि उनका मन और अन्‍त:करण, दोनों दूषित हैं।


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