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यूहन्ना 6:63 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

63 आत्‍मा ही जीवन प्रदान करता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं होता। मैंने तुम से जो वचन कहे हैं, वे आत्‍मा और जीवन हैं।

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पवित्र बाइबल

63 आत्मा ही है जो जीवन देता है, देह का कोई उपयोग नहीं है। वचन, जो मैंने तुमसे कहे हैं, आत्मा है और वे ही जीवन देते हैं।

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Hindi Holy Bible

63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं; जो बातें मैं ने तुम से कही हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

63 आत्मा ही है जो जीवन देता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। मैंने तुमसे जो वचन कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी।

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सरल हिन्दी बाइबल

63 आत्मा ही हैं, जो शरीर को जीवन देती है. केवल शरीर का कुछ महत्व नहीं. जो वचन मैंने तुमसे कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी.

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यूहन्ना 6:63
31 क्रॉस रेफरेंस  

तब प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को भूमि की मिट्टी से गढ़ा तथा उसके नथुनों में जीवन का श्‍वास फूँका और मनुष्‍य एक जीवित प्राणी बन गया।


तेरे वचनों के उद्घाटन से प्रकाश होता है, उससे बुद्धिहीन बुद्धि पाते हैं।


मेरी विपत्ति में मेरी यही सांत्‍वना है, कि तेरा वचन मुझे पुनर्जीवित करता है।


मैं तेरे आदेश कभी नहीं भूलूंगा; क्‍योकि उन्‍हीं के द्वारा तूने मुझे जीवित किया है।


मेरी शिक्षा को कस कर पकड़े रह, उसकी रक्षा कर, वह तेरा जीवन है।


जिस तरह पिता मृतकों को उठाता और उन्‍हें जीवन देता है, उसी तरह पुत्र भी जिसे चाहता, उसे जीवन प्रदान करता है;


सिमोन पतरस ने उन्‍हें उत्तर दिया, “प्रभु! हम किसके पास जाएँ! आपके पास शाश्‍वत जीवन के वचन हैं।


“जाइए और खड़े होकर मन्‍दिर में जनता को इस जीवन की सब बातें सुनाइए।” यह सुनकर वे सबेरा होते ही मन्‍दिर में गये और शिक्षा देने लगे।


इस प्रकार हम देखते हैं कि संदेश सुनने से विश्‍वास उत्‍पन्न होता है और जो सुनाया जाता है, वह मसीह का वचन है।


खतना कराने से अवश्‍य लाभ होता है, यदि तुम व्‍यवस्‍था का पालन करते हो; किन्‍तु यदि तुम व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करते हो, तो तुम्‍हारा खतना निरर्थक है।


क्‍योंकि, ओ मनुष्‍य! पवित्र आत्‍मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्‍यु के नियम से मुक्‍त कर दिया है।


धर्मग्रन्‍थ में लिखा है कि “प्रथम मनुष्‍य आदम एक जीवन्‍त प्राणी बन गया।” अन्‍तिम आदम तो एक जीवनदायक आत्‍मा बन गया।


यदि हमें पवित्र आत्‍मा द्वारा जीवन प्राप्‍त हो गया है, तो हम पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा के अनुसार जीवन बितायें।


यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।


किसी का खतना हुआ हो अथवा नहीं, इसका कोई महत्व नहीं। महत्व इस बात का है कि हम पूर्ण रूप से नयी सृष्‍टि बन जायें।


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के ये शब्‍द खोखले नहीं हैं, वरन् ये तुम्‍हारा जीवन हैं। इन शब्‍दों के अनुसार कार्य करने से तुम्‍हारी आयु उस देश में लम्‍बी होगी, जहाँ तुम यर्दन नदी को पार कर अधिकार करने के लिए जा रहे हो।’


हम इसलिए निरन्‍तर परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते हैं कि जब आपने हम से परमेश्‍वर का सन्‍देश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्‍यों का वचन नहीं, बल्‍कि- जैसा कि वह वास्‍तव में है- परमेश्‍वर का वचन समझ कर स्‍वीकार किया और यह वचन अब आप विश्‍वासियों में क्रियाशील है।


शरीर के व्‍यायाम से कुछ लाभ तो होता है, किन्‍तु भक्‍ति से जो लाभ मिलता है, वह असीम है; क्‍योंकि वह जीवन का आश्‍वासन देती है, इहलोक में भी और परलोक में भी।


नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्‍तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की कृपा से बल प्राप्‍त करे। भोजन-सम्‍बन्‍धी निषेध-विधियों का पालन करने वालों को इन से लाभ नहीं हुआ।


क्‍योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवन्‍त, सशक्‍त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है। वह प्राण और आत्‍मा के, अथवा ग्रंथियों और मज्‍जा के विच्‍छेद तक पहुँचता और हमारे हृदय के भावों तथा विचारों को परखता है।


उसने अपनी ही इच्‍छा से सत्‍य के वचन द्वारा हम को जीवन प्रदान किया है, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्‍टि के प्रथम फल बनें।


आपने दुबारा जन्‍म लिया है। आप लोगों का यह जन्‍म नश्‍वर बीज से नहीं, किंतु अनश्‍वर बीज से, परमेश्‍वर के जीवन्‍त एवं शाश्‍वत वचन से हुआ है;


मसीह ने भी एक बार ही पापों के प्रायश्‍चित के लिए दु:ख भोगा; धर्मी अधर्मियों के लिए मर गये, जिससे वह आप लोगों को परमेश्‍वर के पास ले जायें। वह शरीर की दृष्‍टि से तो मारे गये, किन्‍तु आत्‍मा द्वारा जिलाये गये।


यह बपतिस्‍मा का प्रतीक है, जो अब आपका उद्धार करता है। बपतिस्‍मा का अर्थ शरीर का मैल धोना नहीं, बल्‍कि शुद्ध हृदय से अपने को परमेश्‍वर के प्रति समर्पित करना है। यह बपतिस्‍मा येशु मसीह के पुनरुत्‍थान द्वारा हमारा उद्धार करता है।


हमारे पर का पालन करें:

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