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यूहन्ना 1:38 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

38 येशु ने मुड़ कर उन्‍हें अपने पीछे आते देखा, तो कहा, “तुम क्‍या चाहते हो?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “रब्‍बी! (अर्थात् गुरु) आप कहाँ रहते हैं?”

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पवित्र बाइबल

38 जब यीशु ने मुड़कर देखा कि वे पीछे आ रहे हैं तो उनसे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिये?” उन्होंने जवाब दिया, “रब्बी, तेरा निवास कहाँ है?” (“रब्बी” अर्थात् “गुरु।”)

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Hindi Holy Bible

38 यीशु ने फिरकर और उन को पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो? उन्होंने उस से कहा, हे रब्बी, अर्थात (हे गुरू) तू कहां रहता है? उस ने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

38 यीशु ने मुड़कर उनको पीछे आते देखा और उनसे कहा, “तुम किसकी खोज में हो?” उन्होंने उससे कहा, “हे रब्बी (अर्थात् हे गुरु), तू कहाँ रहता है?”

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नवीन हिंदी बाइबल

38 यीशु ने मुड़कर उनको पीछे आते देखा और उनसे पूछा,“तुम क्या चाहते हो?” उन्होंने उसे उत्तर दिया, “हे रब्बी (अर्थात् हे गुरु), तू कहाँ रहता है?”

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सरल हिन्दी बाइबल

38 मसीह येशु ने उन्हें अपने पीछे आते देख उनसे पूछा, “तुम क्या चाहते हो?” उन्होंने कहा, “गुरुवर, आप कहां रहते हैं?”

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यूहन्ना 1:38
30 क्रॉस रेफरेंस  

सौभाग्‍यशाली हैं आपकी स्‍त्रियां! सौभाग्‍यशाली हैं आपके ये दरबारी, जो आपकी सेवा में सदा प्रस्‍तुत रहते और आपकी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुनते हैं।


मैंने केवल एक वरदान प्रभु से मांगा है; मैं जीवन पर्यन्‍त प्रभु के घर में निवास करूँ, और प्रभु के सौन्‍दर्य को निहार सकूँ; उसके भवन में दर्शन करूँ। मैं इसी वरदान की खोज करूँगा।


जो मनुष्‍य बुद्धिमानों का सत्‍संग करता है, वह स्‍वयं बुद्धिमान बनता है; पर मूर्खों का साथी विपत्ति में पड़ता है।


जो मनुष्‍य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्‍सन्‍देह सुखी हैं।


मेरी बात को सुननेवाला मनुष्‍य धन्‍य है। वह प्रतिदिन मेरे द्वार पर आस लगाए खड़ा रहता है; वह मेरी प्रतीक्षा में द्वार पर पलकें बिछाए रहता है।


हे प्रभु, तू सदा-सर्वदा सिंहासन पर विराजमान है। तेरा राज्‍य पीढ़ी दर पीढ़ी विद्यमान है।


उसकी मरियम नामक एक बहिन थी। वह प्रभु येशु के चरणों में बैठ कर येशु की शिक्षा सुन रही थी।


येशु के साथ-साथ एक विशाल जनसमूह चल रहा था। उन्‍होंने मुड़ कर लोगों से कहा,


तब वह उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पड़ा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और वह दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्‍बन किया।


जब येशु उस जगह पहुँचे, तो उन्‍होंने आँखें ऊपर उठा कर जक्‍कई से कहा, “जक्‍कई! जल्‍दी नीचे उतरो, क्‍योंकि आज मुझे तुम्‍हारे यहाँ ठहरना है।”


और प्रभु ने मुड़ कर पतरस की ओर देखा। तब पतरस को याद आया कि प्रभु ने उससे कहा था कि आज मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्‍वीकार करोगे,


जिस मनुष्‍य से भूत निकले थे, वह येशु से विनती करने लगा, “मुझे अपने साथ रहने दीजिए”, पर येशु ने उसे विदा करते हुए कहा,


दोनों शिष्‍य उनकी यह बात सुन कर येशु के पीछे हो लिये।


येशु ने उनसे कहा, “आओ और देखो।” उन्‍होंने जा कर देखा कि वह कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे।


नतनएल ने उनसे कहा, “गुरु जी! आप परमेश्‍वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं।”


उन्‍होंने फिलिप के पास आ कर यह निवेदन किया, “महाशय! हम येशु से मिलना चाहते हैं।” फिलिप गलील प्रदेश के बेतसैदा नगर का निवासी था।


येशु यह जान कर कि उन पर क्‍या-क्‍या बीतेगी, आगे बढ़े और उन से बोले, “किसे ढूँढ़ रहे हो?”


येशु ने उन से फिर पूछा, “किसे ढूँढ़ रहे हो?” वे बोले, “येशु नासरी को।”


वह रात में येशु के पास आया और बोला, “गुरुजी, हम जानते हैं कि आप परमेश्‍वर की ओर से आए हुए गुरु हैं। आप जो आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखाते हैं, उन्‍हें कोई तब तक नहीं दिखा सकता, जब तक कि परमेश्‍वर उसके साथ न हो।”


उन्‍होंने योहन के पास जा कर कहा, “गुरुजी! देखिए, जो यर्दन नदी के उस पार आपके साथ थे और जिनके विषय में आपने साक्षी दी थी, वह बपतिस्‍मा देने लगे हैं और सब लोग उनके पास जाने लगे हैं।”


इस बीच उनके शिष्‍यों ने उन से यह अनुरोध किया, “गुरुजी! भोजन कर लीजिए।”


उन्‍होंने झील पार की और येशु को वहाँ पा कर उन से कहा, “गुरुजी! आप यहाँ कब आए?”


तब पतरस उन लोगों के पास नीचे जाकर बोले, “आप जिसे ढूँढ़ रहे हैं, मैं वही हूँ। आप लोगों के आने का क्‍या कारण है?”


इसलिए आपके बुलाने पर मैं बिना किसी आपत्ति के यहाँ आया हूँ। अब मैं पूछना चाहता हूँ कि आपने मुझे क्‍यों बुलाया?”


रूत ने कहा, ‘आप मुझसे विनती मत कीजिए कि मैं आपको छोड़ दूँ, आपके पीछे-पीछे न आऊं और लौट जाऊं। जहाँ-जहाँ आप जाएँगी, वहाँ-वहाँ मैं भी जाऊंगी। जहाँ आप रहेंगी, वहाँ मैं भी रहूँगी। आपके लोग, मेरे लोग होंगे। आपका परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।


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