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यिर्मयाह 35:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 मैं उनको प्रभु के भवन के एक कमरे में ले गया। इस कमरे में परमेश्‍वर के जन, नबी हानान बेन-यिग्‍दल्‍याह के पुत्र रहते थे। इसी कमरे के पास उच्‍चाधिकारी का कक्ष था। इस कमरे के ऊपर राजभवन के आंगन के पहरेदार मासेयाह बेन-शल्‍लूम का कमरा था।

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पवित्र बाइबल

4 तब मैं रेकाबी परिवार को यहोवा के मन्दिर में ले आया। हम लोग उस कमरे में गये जो हानान के पुत्रों का कहा जाता है। हानान यिग्दल्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। हानान परमेश्वर का व्यक्ति था। वह कमरा उस कमरे से अगला कमरा था जिसमें यहूदा के राजकुमार ठहरते थे। यह शल्लूम के पुत्र मासेयाह के कमरे के ऊपर था। मासेयाह मन्दिर में द्वारपाल था।

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Hindi Holy Bible

4 और मैं उन को परमेश्वर के भवन में, यिग्दल्याह के पुत्र हानान, जो परमेश्वर का एक जन था, उसकी कोठरी में ले आया जो हाकिमों की उस कोठरी के पास थी और शल्लूम के पुत्र डेवढ़ी के रख वाले मासेयाह की कोठरी के ऊपर थी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 मैं उनको परमेश्‍वर के भवन में, यिग्दल्याह के पुत्र हानान, जो परमेश्‍वर का एक जन था, उसकी कोठरी में ले आया जो हाकिमों की उस कोठरी के पास थी और शल्‍लूम के पुत्र डेवढ़ी के रखवाले मासेयाह की कोठरी के ऊपर थी।

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सरल हिन्दी बाइबल

4 याहवेह के भवन में परमेश्वर के बर्तन इगदालिया के पुत्र हनान के पुत्रों के कक्ष में ले गया. यह अधिकारियों के कक्ष के निकट और यह शल्लूम के पुत्र, द्वारपाल मआसेइयाह के कक्ष के ऊपर था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

4 मैं उनको परमेश्वर के भवन में, यिग्दल्याह के पुत्र हानान, जो परमेश्वर का एक जन था, उसकी कोठरी में ले आया जो हाकिमों की उस कोठरी के पास थी और शल्लूम के पुत्र डेवढ़ी के रखवाले मासेयाह की कोठरी के ऊपर थी।

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यिर्मयाह 35:4
35 क्रॉस रेफरेंस  

परन्‍तु परमेश्‍वर का यह सन्‍देश ‘परमेश्‍वर के जन’ शमायाह को मिला:


जब यारोबआम बेत-एल की वेदी पर सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य जलाने के लिए खड़ा था, तब प्रभु के वचन से उत्‍प्रेरित होकर यहूदा प्रदेश से ‘परमेश्‍वर का एक जन’ वहाँ आया।


जब नबी ने, जो परमेश्‍वर के जन को मार्ग से लौटा लाया था, यह बात सुनी तब उसने कहा, ‘वह परमेश्‍वर का जन है। उसने प्रभु के आदेश से विद्रोह किया था। अत: प्रभु ने उसको सिंह के हवाले कर दिया, जिसने उसको चीर-फाड़ दिया, और उसको मार डाला। ऐसा ही प्रभु ने उससे कहा था।’


विधवा ने एलियाह से कहा, ‘परमेश्‍वर के जन, मैंने आपका क्‍या अपराध किया था? क्‍या आप मेरे घर में इसलिए आए थे कि परमेश्‍वर मेरे अधर्म का स्‍मरण कराए और इस कारण मेरे पुत्र का देहान्‍त हो जाए।’


स्‍त्री ने एलियाह को उत्तर दिया, ‘अब मैं जान गई कि आप निश्‍चय ही परमेश्‍वर के जन हैं। आपके मुख का प्रभु-वचन सत्‍य है।’


परमेश्‍वर का वही जन समीप आया। उसने इस्राएल प्रदेश के राजा से यह कहा, ‘प्रभु यह कहता है ‘ सीरियाई लोगों ने यह कहा है, “प्रभु पहाड़ों का ईश्‍वर है, वह घाटियों का ईश्‍वर नहीं है।” इसलिए मैं इस विशाल सेना को तेरे हाथ में सौंप दूंगा। तब तुझे ज्ञात होगा कि मैं निश्‍चय ही प्रभु हूं।’


राजा ने एलियाह के पास पचास सैनिकों तथा उनके सेना-नायक को भेजा। सेना-नायक गया। उस समय एलियाह पहाड़ की चोटी पर बैठे हुए थे। सेना-नायक ने एलियाह को पुकारा, ‘ओ परमेश्‍वर के जन! महाराज ने यह कहा है: “नीचे उतरो!” ’


पुरोहित यहोयादा ने एक बक्‍सा लिया। उसने उसके ढक्‍कन में एक छेद किया। तत्‍पश्‍चात् उसने प्रभु के भवन के प्रवेश-द्वार की दाहिनी ओर वेदी के समीप उसे रख दिया। मन्‍दिर की ड्‍योढ़ी की रखवाली करने वाले पुरोहित प्रभु के भवन में चढ़ाए जाने वाले चांदी के सिक्‍कों को इस बक्‍से में डाल देते थे।


अंगरक्षकों के नायक ने मुख्‍य पुरोहित सरायाह, उपपुरोहित सफन्‍याह तथा तीन द्वारपालों को पकड़ा।


अत: नामान यर्दन नदी के तट पर गया। वहां उसने परमेश्‍वर के जन एलीशा के कथन के अनुसार, यर्दन नदी के जल में सात डुबकी लगाई। तब उसकी त्‍वचा पुन: शिशु की त्‍वचा के समान चिकनी हो गई, और वह शुद्ध हो गया।


तब परमेश्‍वर के जन एलीशा के सेवक गेहजी ने यह सोचा, ‘मेरे गुरु ने इस सीरियाई नामान को यों ही छोड़ दिया। जो भेंट वह लाया था, उसको उन्‍होंने अपने हाथ से स्‍वीकार नहीं किया। जीवन्‍त प्रभु की सौगन्‍ध! मैं उसके पीछे दौड़कर जाऊंगा, और उससे कुछ भेंट लूंगा।’


अत: इस्राएल के राजा ने उस स्‍थान में सैनिक भेज दिए, जिसके विषय में परमेश्‍वर के जन एलीशा ने उसको बताया था। यों एलीशा राजा को सावधान करते थे। राजा ने अनेक बार वहां युद्ध में अपने प्राण बचाए।


इस्राएल के राजा ने सेना-नायक को, जिसके हाथ का सहारा वह लेता था, नगर के प्रवेश-द्वार पर नियुक्‍त किया। किन्‍तु लोगों ने प्रवेश-द्वार पर उसे कुचल दिया, और वह मर गया। ऐसा ही परमेश्‍वर के जन एलीशा ने उससे कहा था, जब वह राजा के साथ उनके पास आया था।


सेना-नायक ने जिसके हाथ के सहारे राजा खड़ा था, परमेश्‍वर के जन से यह कहा, ‘यदि स्‍वयं प्रभु आकाश में झरोखे बनाए तो भी क्‍या यह सम्‍भव है?’ एलीशा ने सेना-नायक को उत्तर दिया, ‘तुम स्‍वयं अपनी आंखों से यह देखोगे; परन्‍तु तुम उस अन्न को खा नहीं सकोगे।’


वे मन्‍दिर के चारों ओर दिन-रात पहरा देते थे; क्‍योंकि पहरा देने का दायित्‍व उनको ही सौंपा गया था। वे प्रतिदिन सबेरे उसका द्वार खोलते थे।


उसके पिता दाऊद ने पुरोहितों और उप-पुरोहितों के सेवा-कार्य अलग-अलग बांट दिए थे। उसने अपने पिता के प्रबन्‍ध के अनुसार ऐसा ही किया: उसने पुरोहित-कार्य सम्‍पन्न करने के लिए पुरोहितों के दल बनाए, और उनकी बारी निश्‍चित कर दी। उसने उप-पुरोहितों का गायक-दल नियुक्‍त किया। ये उप-पुरोहित आराधना के समय न केवल वाद्य-यन्‍त्र बजाते थे, बल्‍कि वे दैनिक आराधना में पुरोहितों की सहायता भी करते थे। राजा सुलेमान ने मन्‍दिर के प्रवेश-द्वारों पर पहरा देने के लिए उप-पुरोहितों के अनेक दल बना दिए थे। इस प्रकार उप-पुरोहित द्वारपाल भी थे; क्‍योंकि परमेश्‍वर के जन दाऊद ने ऐसा ही आदेश दिया था।


तेरे आंगनों में एक दिन रहना अन्‍यत्र हजार दिन रहने से श्रेष्‍ठ है। दुष्‍टता के शिविर में निवास करने की अपेक्षा अपने परमेश्‍वर के भवन के द्वार पर खड़ा रहना ही मुझे प्रिय है।


राजा सिदकियाह ने पशहूर बेन-मलकियाह तथा पुरोहित सफन्‍याह बेन-मासेयाह को यिर्मयाह के पास भेजा और नबी से यह निवेदन किया,


यहूदा प्रदेश के उच्‍चाधिकारियों ने यह खबर सुनी। वे राजमहल से निकलकर प्रभु के भवन में आए, और वहां मन्‍दिर के नव प्रवेश-द्वार पर आसन जमा कर बैठ गए। नबी यिर्मयाह का न्‍याय आरम्‍भ हुआ।


अत: मैं गया और इन लोगों को अपने साथ ले आया: याजन्‍याह, जिस के दादा का नाम हबस्‍सिन्‍याह, और पिता का नाम यिर्मयाह था, उस के सब भाई तथा उसके सब पुत्र। वस्‍तुत: रेकाब के सब वंशजों को मैं ले आया।


अंगरक्षकों के नायक नबूजरदान ने महापुरोहित सरायाह, उपमहापुरोहित सफन्‍याह तथा आंगन के तीन द्वारपालों को बन्‍दी बनाया।


वहां एक कक्ष था। उसका दरवाजा फाटक के ओसारे से लगा हुआ था। इस कक्ष में अग्‍नि-बलि में चढ़ाए जाने वाले पशु को धोया जाता था।


वे अपने घर की ड्‍योढ़ी मेरे गृह की ड्‍योढ़ी से, और अपने द्वार के खम्‍भे मेरे द्वार के खम्‍भों से लगा कर बनाते थे। मेरे गृह और उनके घर के मध्‍य केवल दीवार थी। उन्‍होंने अत्‍यन्‍त घृणित कार्य किए थे, और इन घृणित कार्यों से मेरे पवित्र नाम को अपवित्र कर दिया था। अत: मैंने अपने क्रोध में उनको पूर्णत: नष्‍ट कर दिया था।


जो आशीर्वाद परमेश्‍वर के प्रियजन मूसा ने अपनी मृत्‍यु के पूर्व इस्राएली समाज को दिया था, वह यह है।


परमेश्‍वर का सेवक होने के नाते तुम इन सब बातों से अलग रह कर धार्मिकता, भक्‍ति, विश्‍वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो।


जिससे परमेश्‍वर का भक्‍त सुयोग्‍य और हर-प्रकार के सत्‍कार्य के लिए उपयुक्‍त बन जाये।


यहूदा कुल के लोग गिलगाल में यहोशुअ के पास आए। यपून्ने के पुत्र और कनिज्‍जी गोत्र के कालेब ने उससे कहा, ‘जो बातें प्रभु ने मेरे और तुम्‍हारे सम्‍बन्‍ध में अपने सेवक मूसा से कादेश-बर्नेअ नगर में की थीं, उन्‍हें तुम जानते हो।


एक दिन परमेश्‍वर का एक प्रियजन एली के पास आया। उसने एली से कहा, ‘प्रभु ने यह कहा है: “जब तेरा पितृ-कुल मिस्र देश में फरओ राजाओं का गुलाम था तब मैंने उस पर स्‍वयं को प्रकट किया था।


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