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यिर्मयाह 23:29 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

29 ‘मेरा वचन अग्‍नि है! मेरा वचन हथौड़ा है, जो चट्टान को टुकड़े-टुकड़े कर देता है!’

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पवित्र बाइबल

29 मेरा सन्देश ज्वाला की तरह है। यह उस हथौड़े की तरह है जो चट्टान को चूर्ण करता है। यह सन्देश यहोवा का है।”

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Hindi Holy Bible

29 यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

29 यहोवा की यह भी वाणी है, क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?

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सरल हिन्दी बाइबल

29 “क्या मेरा संदेश अग्नि-सदृश नहीं?” यह याहवेह का प्रश्न है, “और क्या एक हथौड़े सदृश नहीं जो चट्टान को चूर्ण कर देता है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

29 यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?

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यिर्मयाह 23:29
11 क्रॉस रेफरेंस  

यदि मैं यह कहूं, कि मैं तेरी चर्चा न करूंगा, तेरे नाम से नहीं बोलूंगा, तो मेरे हृदय में मानो अग्‍नि धधक उठती है, और वह हड्डियों में समा जाती है। मैं उस आग को बाहर निकलने से रोक नहीं पाता हूं; सचमुच मैं उसको रोक सकने में असमर्थ हो जाता हूं।


अत: स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है: ‘उन्‍होंने तुझे “हवा” कहा है, इसलिए देख, मैं तेरे मुंह में अपने शब्‍दों को अग्‍नि बना दूंगा, और यहूदा प्रदेश की जनता तथा यरूशलेम के निवासियों को सूखी लकड़ी! मेरे अग्‍निमय वचन उन्‍हें भस्‍म कर देंगे।’


अत: मैंने नबियों के माध्‍यम से तेरे लोगों पर कठोर प्रहार किए; अपने मुंह के वचनों से मैंने उनका वध किया। सूर्य के सदृश मेरा न्‍याय प्रकट होता है।


तब शिष्‍यों ने एक दूसरे से कहा, “हमारे हृदय कितने उद्दीप्‍त हो रहे थे, जब वह मार्ग में हम से बातें कर रहे थे और हमें धर्मग्रन्‍थ समझा रहे थे!”


आत्‍मा ही जीवन प्रदान करता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं होता। मैंने तुम से जो वचन कहे हैं, वे आत्‍मा और जीवन हैं।


उन्‍हें एक प्रकार की आग दिखाई पड़ी, जो जीभों में विभाजित हो कर उन में से हर एक के ऊपर आ कर ठहर गयी।


यह सुनकर वे मर्माहत हो गये और उन्‍होंने पतरस तथा अन्‍य प्रेरितों से पूछा, “भाइयो! हमें क्‍या करना चाहिए?”


विनष्‍ट हो जाने वालों के लिए यह गंध घातक हो कर मृत्‍यु की ओर ले जाती है; किन्‍तु मुक्‍ति प्राप्‍त करने वालों के लिए यह जीवनदायक हो कर जीवन की ओर ले जाती है। इस कार्य को योग्‍य रीति से कौन सम्‍पन्न कर सकता है?


क्‍योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवन्‍त, सशक्‍त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है। वह प्राण और आत्‍मा के, अथवा ग्रंथियों और मज्‍जा के विच्‍छेद तक पहुँचता और हमारे हृदय के भावों तथा विचारों को परखता है।


यदि कोई इन्‍हें हानि पहुँचाना चाहता है, तो इनके मुख से आग निकलती है और वह इनके शत्रुओं को नष्‍ट कर देती है। जो इन्‍हें हानि पहुँचाना चाहेगा, उसे इसी प्रकार मरना होगा।


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