11 तेरे प्रवेश-द्वार निरन्तर खुले रहेंगे; वे दिन-रात कभी बन्द न होंगे, ताकि लोग अपने-अपने राष्ट्र का धन तेरे पास ला सकें; उनके राजा उनकी अगुवायी करेंगे।
11 तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएँगे जिससे जाति-जाति की धन-सम्पत्ति और उनके राजा बन्दी होकर तेरे पास पहुँचाए जाएँ। (प्रका. 21:24,26)
अत: मैंने आदेश दिया कि जब विश्राम-दिवस आरम्भ होने के पूर्व अन्धेरा होने लगे, तब यरूशलेम के प्रवेश-द्वारों को बन्द कर दिया जाए, और जब तक विश्राम-दिवस समाप्त न हो जाए तब तक उनको न खोला जाए। मैंने अपने निजी सेवक प्रवेश-द्वारों पर नियुक्त किए और उन्हें आदेश दिया कि माल-असबाब का कोई भी बोझ विश्राम-दिवस पर शहर के भीतर नहीं आएगा।
राजा तेरे बच्चों के पालक-पिता होंगे; रानियाँ उनको दूध पिलानेवाली धाइयाँ बनेंगी। वे भूमि की ओर सिर झुकाकर तुझे प्रणाम करेंगे, वे तेरे पैरों की धूल चाटेंगे। तब तुझे अनुभव होगा कि निस्सन्देह मैं ही प्रभु हूं; जो लोग मेरी प्रतीक्षा करते हैं, वे निराश नहीं होंगे।
उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर लाऊंगा; अपने प्रार्थनाघर में उन्हें आनन्द प्रदान करूंगा। जब वे वेदी पर अपनी अग्निबलि तथा अन्न-बलि चढ़ाएंगे तब मैं उनकी बलि स्वीकार करूंगा; क्योंकि मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलागा।’
तेरे देश में हिंसा की घटना फिर कभी नहीं सुनी जाएगी; और न तेरी सीमाओं के भीतर विध्वन्स और विनाश होगा। तू अपने शहरपनाह का नाम “उद्धार” और प्रवेश-द्वार का नाम “स्तुति” रखेगी।
यह देखकर तू प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो उठेगी, तेरा हृदय हर्षित और गदगद हो उठेगा; क्योंकि समुद्र का अपार धन, राष्ट्रों की धन-सम्पत्ति तेरे पास आएगी।
किन्तु तुम ‘प्रभु के पुरोहित’ कहलाओगे; अन्य जातियों के लोग तुम्हें ‘हमारे परमेश्वर के सेवक’ कहेंगे। तुम राष्ट्रों की धन-सम्पत्ति भोगोगे, उनके वैभव से तुम्हारा ऐश्वर्य बढ़ेगा।