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यशायाह 55:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 ऐसे ही जो शब्‍द मेरे मुंह से निकलता है, वह मेरे पास खाली नहीं लौटेगा; वरन् जिस उद्देश्‍य से मैंने उसको उच्‍चारा था, वह उसको पूरा करेगा; जिसके लिए मैंने उसको भेजा था, वह उसको सफल करेगा।’

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पवित्र बाइबल

11 ऐसे ही मेरे मुख में से मेरे शब्द निकलते हैं और जब तक घटनाओं को घटा नहीं लेते, वे वापस नहीं आते हैं। मेरे शब्द ऐसी घटनाओं को घटाते हैं जिन्हें मैं घटवाना चाहता हूँ। मेरे शब्द वे सभी बातें पूरी करा लेते हैं जिनको करवाने को मैं उनको भेजता हूँ।

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Hindi Holy Bible

11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 वैसे ही मेरे मुंह से निकला शब्द व्यर्थ नहीं लौटेगा: न ही उस काम को पूरा किए बिना आयेगा जिसके लिये उसे भेजा गया है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैंने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।

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यशायाह 55:11
29 क्रॉस रेफरेंस  

घास सूख जाती है, फूल मुरझाते हैं, पर हमारे परमेश्‍वर का वचन नित्‍य है, वह कभी टलता नहीं।


मैंने स्‍वयं अपनी शपथ खाई है, मेरी धार्मिकता से मेरे मुंह से यह वचन निकला है, और वह नहीं टलेगा: ‘हर एक मनुष्‍य मेरे सम्‍मुख घुटना टेकेगा, प्रत्‍येक जीभ मेरे नाम से शपथ लेगी।’


मैं आदिकाल से ही अन्‍त की बातें बताता आया हूं, मैंने प्राचीनकाल में ही भविष्‍य की घटनाएं घोषित कर दी हैं। मैंने यह कहा है: ‘मेरे संकल्‍प अटल हैं, मैं अपने समस्‍त अभिप्रायों को निस्‍सन्‍देह पूर्ण करूंगा।’


यह प्रभु की इच्‍छा थी कि वह मार सहे, प्रभु ने उसे दु:ख से पीड़ित किया। जब वह पाप-बलि के लिए अपना प्राण अर्पित करता है, तब वह अपने वंश को देखेगा; वह दीर्घायु प्राप्‍त करेगा। उसके हाथ से प्रभु की इच्‍छा सफल होगी।


‘मेरे लिए यह वैसा है जैसा नूह के समय में था: मैंने शपथ ली थी कि जल-प्रलय से पृथ्‍वी पुन: न डूबेगी। वैसी ही शपथ अब मैं पुन: ले रहा हूं : मैं तुझसे नाराज न होऊंगा, मैं तुझे फिर न डांटूंगा।


प्रभु कहता है, ‘जहाँ तक मेरा प्रश्‍न है, मैंने तेरे साथ यह विधान स्‍थापित किया है : मेरा आत्‍मा, जो तुझ पर है, तथा मेरे वचन, जो मैंने तेरे मुंह में प्रतिष्‍ठित किए हैं, वे तेरे मुंह से, तेरी सन्‍तान के मुंह से तथा आनेवाली पीढ़ी से पीढ़ी के मुंह से आज से युग-युगान्‍त तक कभी अलग न होंगे’ − प्रभु की यही वाणी है।


प्रभु का यह सन्‍देश मुझे मिला। उसने मुझसे पूछा, ‘यिर्मयाह, तुझे क्‍या दिखाई दे रहा है?’ मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, मुझे बादाम वृक्ष की एक शाखा दिखाई दे रही है।’


तब प्रभु ने मुझ से कहा, ‘तूने ठीक देखा; क्‍योंकि मैं अपने वचन को पूरा करने के लिए जाग्रत हूं।’


प्रभु का सन्‍देश मुझे दूसरी बार मिला। प्रभु ने मुझसे पूछा; ‘तुझे क्‍या दिखाई दे रहा है?’ मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, मुझे एक हण्‍डा दिखाई दे रहा है, जो उबल रहा है, और उसका मुंह उत्तर दिशा से हमारी ओर है।’


जब तक प्रभु अपने हृदय के संकल्‍प को कार्य रूप में परिणत नहीं करेगा, और उसको पूर्ण नहीं कर लेगा, तब तक वह अपने क्रोध को शांत नहीं करेगा। अन्‍तिम दिनों में तुम्‍हें यह बात स्‍पष्‍ट समझ में आ जाएगी।


जिन विपत्तियों के विषय में मैंने कहा है, मैं उन सब को इन पर लाऊंगा, और जो-जो विपत्तियाँ इस पुस्‍तक में लिखी हैं, और जिन के विषय में यिर्मयाह ने नबूवत की है, वे सब इन राष्‍ट्रों पर पड़ेंगी।


देख, मैं-प्रभु ने यह कहा है, और यह अवश्‍य पुरा होगा। मैं अपने निश्‍चय को नहीं बदलूंगा। मैं तुझ पर तरस खा कर तुझे जीवित नहीं छोड़ूंगा, और न ही अपने निश्‍चय के लिए मैं पछताऊंगा। ओ यरूशलेम नगरी, तेरे आचरण और व्‍यवहार के अनुरूप मैं तेरा न्‍याय करूंगा।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


देखो, प्रभु के आदेश से ऊंचे भवन ध्‍वस्‍त हो जाते हैं, और छोटे मकान टुकड़े-टुकड़े।


नहीं, अमर हैं तो मेरे शब्‍द और मेरी संविधियां जो मैंने अपने सेवक नबियों को दी थीं। क्‍या वे तुम्‍हारे पूर्वजों पर सच सिद्ध नहीं हुई? अत: तुम्‍हारे पूर्वजों ने पश्‍चात्ताप किया और यह कहा: “स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने हमारे साथ जैसा व्‍यवहार करने का निश्‍चय किया था, वैसा ही उसने किया। उसने हमारे बुरे मार्गों और दुष्‍कर्मों के अनुरूप हमारे साथ व्‍यवहार किया और हमें दण्‍ड दिया।” ’


परमेश्‍वर मनुष्‍य नहीं है कि वह झूठ बोले, और न वह मनुष्‍य का पुत्र है कि पश्‍चात्ताप करे! जो उसने कहा, क्‍या वह उसको न करे? जो वह बोले, क्‍या वह उसको पूर्ण न करे?


आकाश और पृथ्‍वी टल जाएँ, तो टल जाएँ, परन्‍तु मेरे शब्‍द कदापि नहीं टल सकते।


आत्‍मा ही जीवन प्रदान करता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं होता। मैंने तुम से जो वचन कहे हैं, वे आत्‍मा और जीवन हैं।


इस प्रकार हम देखते हैं कि संदेश सुनने से विश्‍वास उत्‍पन्न होता है और जो सुनाया जाता है, वह मसीह का वचन है।


जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं, वे क्रूस की शिक्षा को ‘मूर्खता’ समझते हैं। किन्‍तु हम लोगों के लिए, जो मुक्‍ति के मार्ग पर चलते हैं, वह परमेश्‍वर का सामर्थ्य है;


मेरी शिक्षाएँ वर्षा के सदृश बरसें, मेरे शब्‍द ओस के सदृश टपकें, जैसे हरी घास पर रिमझिम वर्षा, जैसे वनस्‍पति पर बौछार!


हम इसलिए निरन्‍तर परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते हैं कि जब आपने हम से परमेश्‍वर का सन्‍देश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्‍यों का वचन नहीं, बल्‍कि- जैसा कि वह वास्‍तव में है- परमेश्‍वर का वचन समझ कर स्‍वीकार किया और यह वचन अब आप विश्‍वासियों में क्रियाशील है।


जो भूमि अपने ऊपर बार-बार पड़ने वाला पानी सोख लेती और उन लोगों के लिए उपयोगी फसल उगाती है, जो उन पर खेती करते हैं, तो वह परमेश्‍वर की आशिष प्राप्‍त करती है।


उसने अपनी ही इच्‍छा से सत्‍य के वचन द्वारा हम को जीवन प्रदान किया है, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्‍टि के प्रथम फल बनें।


आपने दुबारा जन्‍म लिया है। आप लोगों का यह जन्‍म नश्‍वर बीज से नहीं, किंतु अनश्‍वर बीज से, परमेश्‍वर के जीवन्‍त एवं शाश्‍वत वचन से हुआ है;


शमूएल और बड़ा हुआ। प्रभु उसके साथ था। जो बातें उसने शमूएल से कही थीं, उसने उन्‍हें पूरा किया; एक भी निष्‍फल नहीं हुई।


हमारे पर का पालन करें:

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