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यशायाह 40:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 वह प्रभु ही है जो पृथ्‍वी के चक्र के ऊपर विराजमान है। और हम, पृथ्‍वी के निवासी, मात्र टिड्डियां हैं! प्रभु आकाश को वितान के समान तानता है, उसको तम्‍बू के समान फैलाता है ताकि मनुष्‍य उस के नीचे रह सकें।

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पवित्र बाइबल

22 यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है! वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है! उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं। उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया। उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।

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Hindi Holy Bible

22 यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहने वाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल की नाईं फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है, और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य हैं; जो आकाश को मलमल के समान फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;

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सरल हिन्दी बाइबल

22 यह वह हैं जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाश में विराजमान हैं. पृथ्वी के निवासी तो टिड्डी के समान हैं, वह आकाश को मख़मल के वस्त्र के समान फैला देते हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

22 यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल के समान फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;

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यशायाह 40:22
28 क्रॉस रेफरेंस  

परमेश्‍वर ने कहा, ‘जल के मध्‍य मेहराब हो, और वह जल को जल से अलग करे।’


घने बादल उसको ढके हुए हैं, अत: वह देख नहीं सकता। वह आकाश-मण्‍डल के ऊपर चलता- फिरता है।”


परमेश्‍वर उत्तर दिशा को शून्‍य में फैला देता है; वह पृथ्‍वी को निराधार लटका देता है।


क्‍या कोई व्यक्‍ति मेघों के विस्‍तार का अनुभव कर सकता है? क्‍या कोई मनुष्‍य परमेश्‍वर के निवास- स्‍थान में मेघ-गर्जन को समझ सकता है?


क्‍या तुम परमेश्‍वर के समान, आकाश- मण्‍डल को, जो ढले हुए दर्पण की तरह पक्‍का है, चादर के सदृश तान सकते हो?


केवल परमेश्‍वर ने ही आकाश को वितान की तरह फैलाया है; अपने सागर की उत्ताल तरंगों को वह वश में रखता है।


तू प्रकाश को वस्‍त्र के सदृश पहिनता है। तूने आकाश को तम्‍बू के समान ताना है


उसने अंधकार को अपने चारों ओर ओढ़ लिया; गगन के काले मेघ उसका शिविर थे।


फिर भी उनकी आवाज समस्‍त पृथ्‍वी पर फैल जाती है, और पृथ्‍वी के सीमान्‍त तक उनकी ध्‍वनि। परमेश्‍वर ने आकाश के मध्‍य सूर्य के लिए एक शिविर स्‍थापित किया है।


स्‍वामी, जो स्‍वर्ग में विराजमान है, हंसता है; वह उनका उपहास करता है।


प्रभु जल-प्रवाह पर विराजमान है; राजाधिराज प्रभु युग-युगांत सिंहासनारूढ़ है।


वह स्‍वर्ग पर, सनातन के स्‍वर्ग पर सवारी करता है, देखो, वह अपनी वाणी, शक्‍तिशाली वाणी सुनाता है।


जब प्रभु ने आकाश की रचना की तब मैं वहां थी; जब उसने गहरे महासागर के ऊपर वितान खींचा था, तब भी मैं उपस्‍थित थी।


मिस्र देश के विरुद्ध नबूवत: प्रभु एक तीव्रगामी मेघ पर सवार हो मिस्र देश आ रहा है। उसके सम्‍मुख मिस्र देश के देवताओं की मूर्तियाँ थर्रा उठेंगी। मिस्र के निवासियों का हृदय डूब जाएगा।


“हे स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएल के परमेश्‍वर! तू करूबों पर विराजमान है। केवल तू ही पृथ्‍वी के समस्‍त राज्‍यों का परमेश्‍वर है। तूने ही पृथ्‍वी और आकाश को बनाया है।


देखो, राष्‍ट्र तो ऐसे हैं, जैसे बाल्‍टी में एक बूंद; वे तराजू के पलड़ों में लगे रजकण के समान हैं! देखो, वह द्वीपों को धूल के सदृश उठा लेता है।


उसके सम्‍मुख पृथ्‍वी के समस्‍त राष्‍ट्र नगण्‍य हैं, उनका अस्‍तित्‍व शून्‍य से भी कम है, वे कुछ भी नहीं हैं!


जब तक वह पृथ्‍वी पर न्‍याय की स्‍थापना नहीं कर लेगा तब तक उसका उत्‍साह बुझेगा नहीं, वह हिम्‍मत नहीं हारेगा। द्वीप उसके धर्म-नियमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


प्रभु परमेश्‍वर, जिसने आकाश को बनाया और उसको विस्‍तृत फैलाया है, जिसने पृथ्‍वी और उस पर होनेवाली प्रत्‍येक वस्‍तु की रचना की है; जो पृथ्‍वी के सब लोगों में प्राण डालता है, जो पृथ्‍वी पर विचरनेवालों को आत्‍मा प्रदान करता है, वह यों कहता है:


तेरा मुक्‍तिदाता, तुझे गर्भ में गढ़नेवाला प्रभु यों कहता है: “मैं ही प्रभु हूं, मैं ही सबका बनानेवाला हूं। मैंने ही आकाश को वितान के समान ताना है, मैंने ही पृथ्‍वी को आकार दिया है। उस समय मेरे साथ कौन था?


तू अपने सृजक प्रभु को क्‍यों भूल गया, जिसने आकाश को फैलाया, जिसने पृथ्‍वी की नींव डाली? तू दिन-भर, निरन्‍तर अत्‍याचार करनेवाले के क्रोध से क्‍यों भयभीत रहता है? जब वह तुझे नष्‍ट करने को तत्‍पर होता है तब तू क्‍यों थर-थर कांपता है? कहां है अत्‍याचार करनेवाले का क्रोध?


प्रभु यों कहता है : ‘आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्‍वी मेरे चरणों की चौकी है! तब तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे? वह स्‍थान कहाँ है, जहाँ मैं विश्राम कर सकता हूं?’


प्रभु परमेश्‍वर ने ही पृथ्‍वी को अपने सामर्थ्य से बनाया है; उसने ही संसार को अपनी बुद्धि से स्‍थित किया है। प्रभु परमेश्‍वर ने आकाश को अपनी समझ से फैलाया है।


प्रभु की ओर से यह एक गंभीर चेतावनी है। जिस प्रभु ने आकाश को ताना है, जिसने पृथ्‍वी की नींव डाली है और जिसने मानव के भीतर की आत्‍मा को निर्मित किया है, उस प्रभु की इस्राएल के सम्‍बन्‍ध में यह वाणी है। प्रभु यों कहता है:


वहाँ हमने दानवों को भी देखा है (अनक के वंशज, जो दानवों से निकले हैं)। उन्‍हें देखकर हम तो अपनी दृष्‍टि में टिड्डों के सदृश दिखाई दिए, और ऐसे ही उनकी दृष्‍टि में भी।’


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