यशायाह 30:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)6 नेगेब क्षेत्र के जानवरों के विषय में नबूवत: मिस्र देश को जानेवाले राजदूत, अपनी धन-सम्पत्ति गधों की पीठ पर लादे, अपने खजाने को ऊंटों के कोहान पर रखे, संकट और कष्टप्रद नेगेब प्रदेश से गुजरते हैं, जो सिंह और सिंहनी का इलाका है, जहाँ सांप और उड़नेवाले सर्प पाए जाते हैं। वे ऐसी कौम के पास जा रहे हैं जिससे उन्हें कोई लाभ न होगा! अध्याय देखेंपवित्र बाइबल6 दक्षिण के पशुओं के लिए दु:खद सन्देश: नेगव विपत्तियों और खतरों से भरा एका देश है। यह प्रदेश सिंहों, नागों और उड़ने वाले साँपों से भरा पड़ा है। किन्तु कुछ लोग नेगव से होते हुए यात्रा कर रहे हैं—वे मिस्र की ओर जा रहे हैं। उन लोगों ने गधों की पीठों पर अपनी धन दौलत लादी हुई है। उन लोगों ने अपना खज़ाना ऊँटों की पीठों पर लाद रखा है अर्थात् ये लोग एक ऐसे देश पर भरोसा रखे हैं जो उन्हें नहीं बचा सकता। अध्याय देखेंHindi Holy Bible6 दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊंटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में हो कर, जहां सिंह और सिंहनी, नाग और उड़ने वाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिन से उन को लाभ न होगा। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)6 दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पत्ति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊँटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में होकर, जहाँ सिंह और सिंहनी, नाग और उड़नेवाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिनसे उनको लाभ न होगा। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल6 नेगेव के पशु के बारे में कहा कि; विपत्ति और वेदना के देश से होकर, जहां से सिंह और सिंहनी, सांप और वे सांप जो उड़ते हैं, वे अपनी धन-संपत्ति अपने गधों पर और अपना खजाना ऊंटों पर, रखकर उन लोगों के पास ले जाते हैं, जिनसे उनको कोई फायदा नहीं, अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20196 दक्षिण देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन-सम्पत्ति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊँटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में होकर, जहाँ सिंह और सिंहनी, नाग और उड़नेवाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिनसे उनको लाभ न होगा। अध्याय देखें |
शबा देश की रानी ने राजा सुलेमान की कीर्ति सुनी। उसने पहेलियों से उसकी परीक्षा करने के लिए यरूशलेम नगर को प्रस्थान किया। उसके साथ असंख्य सेवक-सेविकाएं और बहुमूल्य उपहार थे। मसाले, प्रचुर मात्रा में सोना और मणि-मुक्ता ऊंटों पर लदे हुए थे। वह राजा सुलेमान के पास पहुंची। उसने अपने मन की सब बातें सुलेमान से कहीं।
उन्होंने पश्चात्ताप कर यह नहीं कहा, “हमारा प्रभु कहां है जिसने हमें मिस्र देश से मुक्त कर बाहर निकाला था, जिसने निर्जन प्रदेश में हमारा नेतृत्व किया था, जो हमें मरुस्थल और गड्ढों के प्रदेश से, निर्जल और घोर अंधकार के क्षेत्र से, निर्जन प्रदेश से ले गया था, जहां कोई आता-जाता न था, जहां कोई रहता न था?”