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यशायाह 30:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 यद्यपि स्‍वामी ने तुम्‍हें कष्‍ट की रोटी खिलाई और दु:ख का पानी पिलाया; तो भी प्रभु, तुम्‍हारा गुरु तुमसे स्‍वयं को फिर कभी नहीं छिपाएगा! तुम स्‍वयं अपनी आंखों से अपने गुरु के दर्शन करोगे!

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पवित्र बाइबल

20 यद्यपि मेरा यहोवा परमेश्वर तुम्हें दु:ख और कष्ट दे सकता है ऐसे ही जैसे मानों वह ऐसा रोटी—पानी हो, जिसे तुम हर दिन खाते—पीते हो। किन्तु वास्तव में परमेश्वर तो तुम्हारा शिक्षक है, और वह तुमसे छिपा नहीं रहेगा। तुम स्वयं अपनी आँखों से अपने उस शिक्षक को देखोगे।

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Hindi Holy Bible

20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आँखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।

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सरल हिन्दी बाइबल

20 यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल भी दे, तो भी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आँखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।

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यशायाह 30:20
17 क्रॉस रेफरेंस  

तुम उनसे कहना, “महाराज ने यों कहा है : तुम इस आदमी को कारागार में बन्‍द रखो। जब तक मैं युद्ध से सकुशल लौट न आऊं तब तक तुम इसे बस इतना भोजन देना कि यह जीवित रह सके।”


तुम उनसे कहना, “महाराज ने यों कहा है : तुम इस आदमी को कारागार में बन्‍द रखो। जब तक मैं युद्ध से सकुशल न लौट आऊं तब तक तुम इसे बस इतना भोजन देना कि यह जीवित रह सके।”


मैं रोटी के सदृश राख खाता हूँ, मैं अपने पेय में आंसू मिलाता हूँ,


तुम व्‍यर्थ ही तड़के उठते, और देर से सोते हो, तुम व्‍यर्थ ही कठोर परिश्रम की रोटी खाते हो, क्‍योंकि प्रभु ही अपने प्रियजनों को नींद प्रदान करता है।


प्रभु का क्रोध क्षण मात्र के लिए होता है; पर उसकी कृपा जीवनपर्यन्‍त बनी रहती है। रोदन संध्‍या समय आकर रात में ठहर सकता है, पर प्रभात के साथ उल्‍लास का आगमन होता है।


हमारे झण्‍डे हमें नहीं दिखाई देते; अब कोई नबी नहीं रहा; हमारे मध्‍य कोई नहीं जानता कि हमारी यह दशा कब तक रहेगी।


तूने उसे आंसू की रोटी खिलाई, और पीने को आंसू ही आंसू दिए।


वे ताना मारते हैं: “नबी किस व्यक्‍ति को ज्ञान सिखाएगा? वह किसको प्रभु का सन्‍देश समझाएगा? क्‍या उन शिशुओं को, जिन्‍होंने अभी-अभी मां का दूध पीना छोड़ा है, जो मां के स्‍तन से अलग किए गए हैं?”


ये कार्य करनेवाला व्यक्‍ति उच्‍चस्‍थान पर निवास करेगा, उसके रक्षा-स्‍थान चट्टानी किले होंगे; उसे भोजन सदा मिलता रहेगा, उसे जल का अभाव कभी न होगा।


‘बन्‍दी, जो जंजीर के भार से दबा है, अविलम्‍ब मुक्‍त होगा। वह मरेगा नहीं, और न “मृत्‍यु के गड्ढे” में फेंका जाएगा। उसे भोजन का अभाव भी न होगा;


इसलिए फसल के स्‍वामी से विनती करो कि वह अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजे।”


वे शिष्‍यों का मन सुदृढ़ करते और उन्‍हें विश्‍वास में स्‍थिर रहने के लिए प्रोत्‍साहित करते थे, और कहते थे कि हमें बहुत-से कष्‍ट सह कर परमेश्‍वर के राज्‍य में प्रवेश करना है।


उन्‍होंने कुछ लोगों को प्रेरित, कुछ को नबी, कुछ को शुभ समाचार-प्रचारक और कुछ को धर्मपाल तथा शिक्षक होने का वरदान दिया।


तू उस पशु-बलि के साथ खमीरी रोटी मत खाना। तू सात दिन तक उसके साथ बेखमीर रोटी, “दु:ख की रोटी” खाना, क्‍योंकि तू मिस्र देश से हड़बड़ी में निकला था। इस प्रकार तू अपने जीवन भर उस दिन को स्‍मरण रखेगा, जब तू मिस्र देश से बाहर निकला था।


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