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यशायाह 30:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 प्रभु कहता है; “ओ विद्रोही पुत्रो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम योजना तो बनाते हो, परन्‍तु मेरी सम्‍मति से नहीं; तुम सन्‍धि तो करते हो, पर मेरे आत्‍मा की प्रेरणा से नहीं। यों तुम पाप पर पाप करे रहे हो।

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पवित्र बाइबल

1 यहोवा ने कहा, “मेरे इन बच्चों को देखो, ये मेरी बात नहीं मानते। ये योजनाएँ बनाते हैं किन्तु मेरी सहायता नहीं लेना चाहते। ये दूसरी जातियों के साथ समझौता करते हैं जबकि मेरी आत्मा उन समझौतों को नहीं चाहती। ये लोग अपने सिर पर पाप का बोझ बढ़ाते चले आ रहे हैं।

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Hindi Holy Bible

1 यहोवा की यह वाणी है, हाय उन बलवा करने वाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 यहोवा की यह वाणी है, “हाय उन बलवा करनेवाले लड़कों पर जो युक्‍ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बाँधते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 याहवेह ने कहा, “हाय उन विद्रोही लड़कों पर! वे योजनाएं बनाते हैं किंतु मेरी सहायता से नहीं, वाचा तो बांधते हैं, परंतु मेरी आत्मा से नहीं. इस प्रकार वे पाप करते हैं;

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 यहोवा की यह वाणी है, “हाय उन बलवा करनेवाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बाँधते परन्तु मेरी आत्मा के सिखाए नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।

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यशायाह 30:1
48 क्रॉस रेफरेंस  

मिस्र देश पर? मिस्र देश क्‍या है? एक टूटा हुआ सरकण्‍डा! जो व्यक्‍ति उस पर टिकता है, वह उस व्यक्‍ति के हाथ में चुभता है, और उसको छेद देता है। मिस्र देश का राजा फरओ अपने भरोसा करने वालों के साथ ऐसा ही व्‍यवहार करता है।


क्‍या तुम मिस्र देश के रथों और घुड़सवारों के बल पर मेरे महाराज के छोटे से छोटे सेनानायक को पीठ दिखाने के लिए विवश कर सकते हो?


मैं युग-युगान्‍त तेरे शिविर में रहूँगा; मैं तेरे पंखों के आश्रय में शरण लूंगा। सेलाह


ओ आकाश, सुन! ओ पृथ्‍वी, ध्‍यान दे, क्‍योंकि प्रभु ने यह कहा है : ‘मैंने बाल-बच्‍चों का पालन-पोषण किया, उनको बड़ा किया; पर उन्‍होंने ही मेरे विरुद्ध विद्रोह कर दिया।


तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्‍वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्‍याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।


ओ पापी राष्‍ट्र! ओ अधर्म के बोझ से दबे लोगो! ओ कुकर्मियों की सन्‍तान! ओ भ्रष्‍टाचारी पुत्रो! तुमने प्रभु को त्‍याग दिया, तुमने इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर को तुच्‍छ समझा। तुम उससे मुंह मोड़ कर दूर हो गए।


अब तुम्‍हारे किस अंग पर प्रहार किया जा सकता है? तुम्‍हारा कोई अंग भी मार से बचा नहीं, फिर भी तुम बार-बार विद्रोह करते हो! तुम्‍हारा सारा सिर घायल है, तुम्‍हारा सम्‍पूर्ण हृदय रोगी है।


तुमने यह कहा है: “हमने मौत से सन्‍धि की है; अधोलोक से समझौता किया है अत: जब प्रलय का जल-प्रवाह बहेगा तब वह हम तक नहीं पहुंचेगा! असत्‍य को हमने अपना आश्रय-स्‍थल माना है,


पलंग इतना बड़ा नहीं है कि पैर फैलाकर सोनेवाला सो सके; चादर इतनी छोटी है कि वह उसे पूरा ओढ़ नहीं सकता!


धिक्‍कार है उन्‍हें, जो अपनी योजना को गहरे अन्‍धकार में प्रभु से छिपाते हैं, जो अन्‍धेरे में काम करते हैं, और यह सोचते हैं, “हमें कौन देखता है? हमें कौन जानता है?”


क्‍योंकि यह विद्रोही कौम है, झूठी संतान है, ये प्रभु की शिक्षा न सुननेवाले पुत्र हैं।


ओ इस्राएलियो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम मिस्र-देश से सहायता मांगने जाते हो; तुम उसकी अश्‍व-शक्‍ति का सहारा लेते हो। तुम्‍हें उसके रथों पर भरोसा है; क्‍योंकि उसके पास असंख्‍य रथ हैं। तुम्‍हें उसके घुड़सवारों पर विश्‍वास है; क्‍योंकि वे बहुत बलवान हैं। ओ इस्राएलियो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर की ओर सहायता के लिए नहीं देखते; तुम प्रभु का मार्गदर्शन नहीं खोजते।


राजा और प्रशासक जनता के लिए मानो आंधी से छिपने का आश्रय-स्‍थल तूफान से बचने का आड़-स्‍थल होंगे। वे मानो निर्जल प्रदेश में जल के झरने उत्तप्‍त भूमि में विशाल चट्टान की छाया होंगे।


तब वह सियोन पर्वत की समस्‍त इमारतों पर, तथा उसके समस्‍त सभा-भवनों के ऊपर दिन के समय मेघ तथा रात के समय धूआं और धधकती अग्‍नि का प्रकाश उत्‍पन्न करेगा। सबके ऊपर प्रभु की महिमा मंडप और वितान के सदृश फैली रहेगी।


धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम अधर्म को झूठ की डोरियों से, और पाप को गाड़ी की रस्‍सी से खींचते हो।


किन्‍तु उन्‍होंने प्रभु से विरोध किया, उसके पवित्र आत्‍मा को दु:ख दिया। अत: वह उनका शत्रु बन गया, और उसने उनके विरुद्ध युद्ध किया।


मैं विद्रोही कौम की ओर दिन भर हाथ फैलाए रहा, उन्‍हें बुलाता रहा। यह कौम अपने मन की योजनाओं के अनुसार उस मार्ग पर चलती है, जो भला नहीं है।


प्रभु ने अपना सामर्थ्यपूर्ण हाथ मुझ पर रखा और मुझे चेतावनी दी कि मैं इन लोगों के मार्ग पर न चलूं। उसने मुझ से यों कहा :


‘जिस कार्य को ये लोग षड्‍यन्‍त्र कहते हैं, उसको तुम लोग षड्‍यन्त्र मत कहो। जिससे ये डरते हैं, उससे तुम मत डरो और न उससे आतंकित हो।


ओ मेरे शिष्‍यो! जब लोग तुमसे यह कहेंगे, ‘बुदबुदानेवाले और गुनगुनानेवाले भूत-प्रेत के साधकों और जादू-टोना करनेवालों से मार्गदर्शन प्राप्‍त करो’ तो तुम यह कहना, ‘क्‍या हमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन नहीं प्राप्‍त करना चाहिए? क्‍या जीवित जाति के लिए मुर्दों से मार्ग-दर्शन प्राप्‍त करना उचित है?’


प्रभु यों कहता है : ‘वह मनुष्‍य शापित है, जो आदमी पर भरोसा करता है, जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है, जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है।


अब मिस्र की ओर ताकने से क्‍या लाभ? नील नदी का पानी पीने से तुझे कुछ फायदा न होगा। असीरिया देश से संधि करने से तेरा भला न होगा। फरात नदी का जल भी तुझ में नवजीवन नहीं डाल सकेगा।


‘इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है; यहूदा प्रदेश के राजा ने मेरी इच्‍छा जानने के लिए तेरे पास यहूकल और पुरोहित सफन्‍याह को भेजा है। अत: तू उनसे यह कहना: “जो फरओ की सेना तुम्‍हारी सहायता के लिए आयी है, वह अपने देश मिस्र को लौटने पर है।


जैसे खेत के रखवाले खेत के चारों ओर चक्‍कर लगाते हैं वैसे ही वे यरूशलेम को घेर रहे हैं। क्‍योंकि उसने मुझसे विद्रोह किया था,’ प्रभु की यह वाणी है।


ओ यहूदा प्रदेश के बचे हुए लोगो! प्रभु तुमसे यों कहता है: “मिस्र देश को मत जाओ।” मैंने आज तुम्‍हें चेतावनी दी है; तुम भूल में मत पड़ो,


लेकिन इन लोगों का हृदय हठीला और विद्रोही है। वे मुझ-प्रभु की ओर पीठ फेर कर भटक गए हैं।


उसने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, ये वे लोग हैं, जो नगर में अधर्म करने के लिए नए-नए उपाय सोचते हैं, ये जनता को गलत परामर्श देते हैं।


उसने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, मैं तुझको इस्राएली राष्‍ट्र के पास भेज रहा हूं, जो विद्रोही कौम है, जिसने मेरे प्रति विद्रोह किया है। वे और उनके पूर्वज आज तक मेरे प्रति अपराध करते चले आ रहे हैं।


तू इस्राएल के विद्रोही वंशजों को यह दृष्‍टांत सुनाना। तू उनसे यह कहना, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: हण्‍डे को आग पर रखो, चूल्‍हे पर रखो; और उसमें पानी उण्‍डेलो।


वे इतने निर्बल होंगे कि इस्राएली उन पर कभी भरोसा नहीं करेंगे। जब कभी वे सहायता के लिए उनकी ओर ताकेंगे, तब उन्‍हें मिस्रियों का अधर्म स्‍मरण हो जाएगा। तब इस्राएलियों को मालूम होगा कि मैं ही स्‍वामी-प्रभु हूं।” ’


मैंने तेरे मन को चकमक पत्‍थर से अधिक कठोर बना दिया है। वे विद्रोही कुल की सन्‍तान हैं। तू उनकी तीखी दृष्‍टि से मत डरना और न हताश होना।’


उसके नगरों में युद्ध होगा। उनके प्रवेश-द्वारों की अर्गलाएँ टूट जाएंगी। युद्ध उसे उसके किलों में खा जाएगा!


एफ्रइम राज्‍य के लोग अब भी अधिकाधिक पाप कर रहे हैं। वे अपने लिए देवताओं की मूर्तियाँ ढाल रहे हैं। ये चांदी की मूर्तियाँ कलात्‍मक ढंग से गढ़ी गई हैं, ये कारीगरी का उत्तम नमूना हैं। लोग कहते हैं ‘इन मूर्तियों के सम्‍मुख बलि चढ़ाओ।’ वे बछड़े की मूर्तियों को चूमते हैं।


धिक्‍कार है उन्‍हें! वे मेरे मार्ग से भटक गए हैं। सर्वनाश हो उनका! उन्‍होंने मुझसे विद्रोह किया है। मैं उनका उद्धार करना चाहता हूं; पर वे मेरे विरुद्ध झूठ बोलते हैं।


तब दूत ने मुझे बताया, ‘जरूब्‍बाबेल के लिए प्रभु का यह सन्‍देश है: स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: बल से नहीं, शक्‍ति से नहीं, वरन् मेरे आत्‍मा के द्वारा।


अब तुम, जो पापियों की सन्‍तान हो, इस्राएल के प्रति प्रभु का क्रोध और अधिक भड़काने के लिए अपने बाप-दादा के स्‍थान पर उठ खड़े हुए हो।


किन्‍तु तुम अपने इस हठ और अपने हृदय के अपश्‍चात्ताप के कारण कोप के दिन के लिए अपने विरुद्ध कोप का संचय कर रहे हो, जब परमेश्‍वर का निष्‍पक्ष न्‍याय प्रकट होगा।


यदि कोई व्यक्‍ति इस शपथपूर्ण व्‍यवस्‍था के वचन सुनने के पश्‍चात् मन ही मन अपने को सौभाग्‍यशाली मानता है, और यह कहता है, “यद्यपि मैं अपने हृदय के हठ के अनुसार चलूंगा, तो भी मेरा कुशल-मंगल होगा” , तो ऐसा विचार गेहूं के साथ घुन को भी पीस डालता है।


जिस दिन से मैं तुम्‍हें जानता हूँ उस दिन से तुम प्रभु के प्रति विद्रोह कर रहे हो।


‘स्‍मरण रखना और कभी मत भूलना कि तुमने निर्जन प्रदेश में अपने प्रभु परमेश्‍वर को क्रोधित किया था। जिस दिन से तुम मिस्र देश से बाहर निकले हो, और इस स्‍थान पर पहुँचे हो, तुम प्रभु से विद्रोह करते रहे हो।


किन्‍तु पापी और धूर्त लोग दूसरों को और अपने को धोखा देते हुए बदतर होते जायेंगे।


अत: इस्राएली सैनिकों ने उनका भोजन स्‍वीकार किया। उन्‍होंने भोजन स्‍वीकार करने के पूर्व प्रभु का निर्देश नहीं मांगा।


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