12 इनके विषय में प्रभु ने यह कहा था: “यही विश्राम है, कि तुम स्वयं थके-मांदे लोगों को विश्राम दो; इसी से पुनर्जीवन प्राप्त होता है।” परन्तु उन्होंने नहीं सुना था।
12 यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही।
तब राजा आसा ने प्रभु परमेश्वर की दुहाई दी। उसने कहा, ‘हे प्रभु, निर्बल की सहायता करने वाला तेरे समान और कौन ईश्वर है? जब बलवान और निर्बल में लड़ाई होती है, तब तू निर्बल की सहायता करता है। हे प्रभु परमेश्वर, हमारी सहायता कर; क्योंकि हमने तुझ पर भरोसा किया है। हम तेरे नाम में ही शत्रु की इस विशाल सेना का सामना करने के लिए आए हैं। हे प्रभु, तू ही हमारा परमेश्वर है। कोई भी मनुष्य तुझ पर प्रबल न हो!’
इस्राएल का पवित्र परमेश्वर, प्रभु, स्वामी यों कहता है: “लौट आने और शान्त रहने से ही तुम्हारी रक्षा होगी, चुप रहने और भरोसा करने में ही तुम्हारी शक्ति है।” पर तुमने ऐसा नहीं किया।
प्रभु यों कहता है, ‘मार्ग के किनारे खड़े हो, और स्वयं देखो। प्राचीन पथों का पता लगाओ। लोगों से पूछो कि सन्मार्ग कहां है। तब उस पर चलो, तभी तुम्हारी आत्मा को चैन मिलेगा। लेकिन यरूशलेम निवासी कहते हैं, “हम सन्मार्ग पर नहीं चलेंगे।”
परन्तु उन्होंने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने प्रभु की ओर पीठ फेर ली और अपने कानों में रूई ठूंस ली। उन्होंने उसके सन्देश को अनसुना कर दिया।
मैंने उन्हें बवण्डर के द्वारा अनेक राष्ट्रों में जिन्हें वे नहीं जानते थे, बिखेर दिया। उनका देश जिसको उन्हें छोड़ना पड़ा, उजड़ गया। उस उजड़े देश में किसी ने कदम भी नहीं रखा। हरा-भरा देश उजाड़ हो गया।” ’
आप लोग सावधान रहें। आप बोलने वाले की बात सुनना अस्वीकार नहीं करें। जिन लोगों ने पृथ्वी पर चेतावनी देने वाले की वाणी को अनसुना कर दिया था, यदि वे नहीं बच सके, तो हम कैसे बच सकेंगे, यदि हम स्वर्ग से चेतावनी देनेवाले की वाणी अनसुनी कर देंगे?