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यशायाह 14:32 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

32 राष्‍ट्र के राजदूतों को क्‍या उत्तर देना चाहिए? यह कि प्रभु ने सियोन की नींव डाली है, उसकी प्रजा के दु:खी जन उसमें शरण लेंगे।

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पवित्र बाइबल

32 वह सेना अपने नगर में दूत भेजेंगे। दूत अपने लोगों से क्या कहेंगे वे घोषणा करेंगे: “पलिश्ती पराजित हुआ, किन्तु यहोवा ने सिय्योन को सुदृढ़ बनाया है, और उसके दीन जन वहाँ रक्षा पाने को गये।”

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Hindi Holy Bible

32 तब अन्यजातियों के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि यहोवा ने सिय्योन की नेव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उस में शरण लेंगे॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

32 तब जाति–जाति के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि, “यहोवा ने सिय्योन की नींव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उसमें शरण लेंगे।”

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सरल हिन्दी बाइबल

32 देशों के लोगों को कौन उत्तर देगा? “याहवेह ने ज़ियोन की नींव डाली है, उसमें दुखियों को शरण मिलेगी.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

32 तब जाति-जाति के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि “यहोवा ने सिय्योन की नींव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उसमें शरण लेंगे।”

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यशायाह 14:32
30 क्रॉस रेफरेंस  

अत: तोई ने अपने पुत्र योराम को राजा दाऊद के पास उसका कुशल-क्षेम पूछने और उसे बधाई देने के लिए भेजा; क्‍योंकि दाऊद ने हदद-एजेर से युद्ध कर उसे पराजित किया था। हदद-एजेर की तोई से शत्रुता थी। योराम अपने साथ सोना, चांदी और पीतल के पात्र लाया।


प्रभु सियोन को पुन: निर्मित करेगा, वह अपनी महिमा में प्रकट होगा।


तेरे सेवकों की सन्‍तान सुरक्षित निवास करेगी, और उसके वंशज तेरे सम्‍मुख स्‍थिर होंगे।


देखो राजा एकत्र हुए; उन्‍होंने एक-साथ नगर पर आक्रमण किया।


यरूशलेम नगर की नींव पवित्र पर्वत पर रखी गई है;


किन्‍तु सियोन के विषय में कहा जाएगा: ‘यह अथवा वह, उसमें उत्‍पन्न हुआ था।’ स्‍वयं सर्वोच्‍च प्रभु नगर को सुरक्षित रखेगा।”


प्रभु का नाम मानो मजबूत किला है, जिसमें धार्मिक मनुष्‍य भागकर शरण लेते हैं और सुरक्षित रहते हैं।


वरन् वह गरीबों का न्‍याय धार्मिकता से करेगा, वह पृथ्‍वी के दीन-दलितों का निर्णय निष्‍पक्षता से करेगा। वह अपने शब्‍द-रूपी डंडे से अत्‍याचारियों पर प्रहार करेगा; वह मुंह की फूंक से दुष्‍टों का नाश करेगा।


ओ सियोन के निवासियो, जयजयकार करो, आनन्‍द से गीत गाओ; तुम्‍हारे मध्‍य रहनेवाला इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर महान है।”


तू गरीबों का सुदृढ़ आश्रय रहा है; तू संकट में पड़े निर्धन का सहारा रहा है। तू तूफान से रक्षा करनेवाला शरण-स्‍थल, ग्रीष्‍म-ताप से बचानेवाली शीतल छाया है। निर्दयी जन का फूत्‍कार उस तूफान के झोंके-सा है, जो दीवार से टकराता है;


इसलिए प्रभु, स्‍वामी यों कहता है: “देखो, मैं सियोन की नींव के लिए एक पत्‍थर, कसौटी पर कसा गया एक पत्‍थर, सुदृढ़ नींव के लिए आधार-शिला का कीमती पत्‍थर रख रहा हूं: ‘विश्‍वास करनेवाला अपने विश्‍वास में डगमगाता नहीं।’


पीड़ित व्यक्‍ति प्रभु में अधिकाधिक आनन्‍दित होंगे, समाज का सर्वाधिक दरिद्र मनुष्‍य इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर में हर्षित होगा;


यरूशलेम से बचे हुए यहूदा कुल के वंशज और सियोन पर्वत से भागकर बचे हुए लोगों का दल बाहर निकलेगा। प्रभु का धर्मोत्‍साह यह कार्य करेगा।


उसी समय असीरिया के राजा ने इथियोपिआ देश के राजा तिरहाकाह के विषय में यह खबर सुनी, “महाराज, वह आप से युद्ध करने के लिए निकला है।” अतएव उसने राजा हिजकियाह के पास दूतों को फिर भेजा, और यह सन्‍देश दिया:


इन्‍हीं दिनों में बेबीलोन के राजा मरोदख-बलअदान ने, जो बलअदान का पुत्र था, पत्रों और उपहारों के साथ अपने दूतों को हिजकियाह के पास भेजा। उसने सुना था कि हिजकियाह अस्‍वस्‍थ था, और अब स्‍वस्‍थ हो गया है।


वह दिन में धूप से बचाव के लिए छाया करेगी। वह आंधी और वर्षा से बचने के लिए आश्रय और शरण-स्‍थल होगी।


मैं राजा कुस्रू के विषय में यह कहता हूं, ‘वह मेरा चरवाहा है, वह मेरे समस्‍त अभिप्रायों को पूरा करेगा।’ मैंने यरूशलेम के विषय में यह कहा है: ‘उसका पुनर्निर्माण होगा,’ और मन्‍दिर के विषय में यह कहा है: ‘तेरे भवन की नींव फिर डाली जाएगी।’ ”


‘ओ दुखियारी, तूफान की झकझोरी, तुझको शान्‍ति नहीं मिली। ओ यरूशलेम नगरी! अब मैं तेरे पत्‍थरों की पच्‍चीकारी करूंगा, और उन्‍हें अच्‍छे ढंग से लगाऊंगा; मैं तेरी नींव में नीलमणि डालूंगा।


जब तू दुहाई देगी, तब तेरी ये मूर्तियां, जिनका अम्‍बार तूने लगा रखा है, तुझे बचाएं। हवा उन्‍हें उड़ा ले जाएगी, वे एक ही फूंक में उड़ जाएंगी। परन्‍तु जो मनुष्‍य मेरी शरण में आएगा, वह इस देश पर अधिकार करेगा, वह मेरे पवित्र पर्वत का अधिकारी होगा।


‘नगर का घेरा नौ किलोमीटर होगा। आज से इस नगर का नाम होगा : “प्रभु यहाँ है!”


मैं तेरे मध्‍य में विनम्र और विनीत लोगों का एक समूह छोड़ूंगा। वे मुझ-प्रभु के नाम का आश्रय खोजेंगे।


उस दिन विधान† तोड़ा गया। भेड़-बकरियों के व्‍यापारी मुझे ताकते रहे। वे यह बात जानते थे कि यह प्रभु का आदेश है।


अत: मैं भेड़-बकरियों के व्‍यापारियों के पास मजदूरी करने लगा और वध होने वाले रेवड़ का चरवाहा बन गया। मैं रेवड़ की भेड़-बकरियों को चराने लगा। मैंने दो लाठियां लीं। मैंने एक लाठी का नाम “कृपा” और दूसरी का नाम “एकता” रखा। मैं उनको लेकर भेड़-बकरियां चराने लगा।


मैं तुम से कहता हूँ कि तुम ‘पतरस’ अर्थात् ‘चट्टान’ हो और इस ‘चट्टान’ पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक इस पर प्रबल नहीं हो पाएँगे।


अब्राहम ने ऐसा किया, क्‍योंकि वह उस पक्‍की नींव वाले नगर की प्रतीक्षा में थे, जिसका वास्‍तुकार तथा निर्माता परमेश्‍वर है।


आप लोग सियोन पर्वत, जीवन्‍त परमेश्‍वर के नगर, स्‍वर्गीय यरूशलेम के पास पहुँचे हैं, जहाँ लाखों स्‍वर्गदूत आनन्‍द-उत्‍सव मनाते हैं


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्‍या परमेश्‍वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्‍वास के धनी हो जायें और उस राज्‍य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्‍तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है?


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