यशायाह 10:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)14 मेरा हाथ देश-देश के खजानों तक पहुँच गया; जैसे शिकारी घोंसले के त्यक्त अंडों को एक-एक करके उठाता है वैसे ही मैंने पृथ्वी के समस्त देशों को हथिया लिया। पंख फड़फड़ानेवाला वहाँ कोई न था, और न अपनी चोंच खोलनेवाला, और न चीं चीं करनेवाला।’ अध्याय देखेंपवित्र बाइबल14 मैंने स्वयं अपने हाथों से उन सब लोगों की धन दौलत ऐसे ले ली है जैसे कोई व्यक्ति चिड़ियाँ के घोंसले से अण्डे उठा लेता है। चिड़ियाँ जो प्राय: अपने घोंसले और अण्डों को छोड जाती है और उस घोंसले की रखवाली करने के लिये कोई भी नहीं रह जाता। वहाँ अपने पंखों और अपनी चोंच से शोर मचाने और लड़ाई करने के लिये कोई पक्षी नहीं होता। इसीलिए लोग अण्डों को उठा लेते हैं। इसी प्रकार धरती के सभी लोगों को उठा ले जाने से रोकने के लिए कोई भी व्यक्ति वहाँ नहीं था।” अध्याय देखेंHindi Holy Bible14 देश देश के लोगों की धनसम्पत्ति, चिडिय़ों के घोंसलों की नाईं, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैं ने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने वा चोंच खोलने वा चीं चीं करने वाला न था॥ अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)14 देश देश के लोगों की धन–सम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों के समान मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैं ने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फडफ़ड़ाने या चोंच खोलने या चीं चीं करनेवाला न था।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल14 देश के लोगों की धन-संपत्ति इस प्रकार कब्जे में की, जिस प्रकार चिड़िया घोंसलों को और बचे हुए अण्डों को इकट्ठा करती है.’ ” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201914 देश-देश के लोगों की धन-सम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों के समान, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैंने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने या चोंच खोलने या चीं-चीं करनेवाला न था।” अध्याय देखें |
ओ चट्टान की गुफाओं में रहने वाले! ओ पहाड़ी शिखरों पर निवास करने वाले! तुझे अपनी शक्ति पर बड़ा घमण्ड था। और तूने आसपास के राष्ट्रों में अपनी शक्ति का आतंक फैला रखा था। तेरे इसी आतंक ने, तेरे हृदय के घमण्ड ने तुझे धोखा दिया! यद्यपि तूने बाज की तरह ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाया है, तो भी मैं तुझे ऊंचे स्थान से नीचे गिराऊंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।