14 तू भोजन करेगा, पर तृप्त नहीं होगा, तेरा पेट हमेशा खाली रहेगा। तू बचाएगा तो भी तू जमा नहीं कर पाएगा। जो कुछ तू बचाएगा, मैं उसे तेरे तलवारधारी शत्रु को दे दूंगा।
14 तुम खाना खाओगे किन्तु तुम्हारा पेट नहीं भरेगा। तुम फिर भी भूखे रहोगे। तुम लोगों को बचाओगे, उन्हें सुरक्षित घऱ ले आने को किन्तु तुम जिसे भी बचाओगे, मैं उसे तलवार के घाट उतार दूँगा!
14 तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति ले कर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चला कर लुटवा दूंगा।
14 तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पेट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति लेकर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चलाकर लुटवा दूँगा।
14 तुम खाना तो खाओगे किंतु संतुष्टि नहीं मिलेगी; खाने के बाद भी तुम्हारा पेट खाली रहेगा. तुम जमा तो करोगे, पर बचेगा कुछ भी नहीं, क्योंकि तुम्हारी बचत को मैं तलवार से लुटवा दूंगा.
14 तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पेट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति लेकर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चलाकर लुटवा दूँगा।
नेगेब क्षेत्र के जानवरों के विषय में नबूवत: मिस्र देश को जानेवाले राजदूत, अपनी धन-सम्पत्ति गधों की पीठ पर लादे, अपने खजाने को ऊंटों के कोहान पर रखे, संकट और कष्टप्रद नेगेब प्रदेश से गुजरते हैं, जो सिंह और सिंहनी का इलाका है, जहाँ सांप और उड़नेवाले सर्प पाए जाते हैं। वे ऐसी कौम के पास जा रहे हैं जिससे उन्हें कोई लाभ न होगा!
वे दाहिनी ओर से छीन-झपट कर खाते हैं; फिर भी उनकी भूख मिटती नहीं; वे बायीं ओर से भकोसते हैं, फिर भी सन्तुष्ट नहीं होते। वे अपनी सन्तान का भी मांस खा रहे हैं।
जो मनुष्य आतंक से डर कर भागेगा, वह गड्ढे में गिरेगा; और जो गड्ढे से बाहर निकलेगा, वह फंदे में फंसेगा। मैं-प्रभु कहता हूँ : मोआब के दण्ड-वर्ष के दिनों में मैं मोआब पर ये विपत्तियां ढाहूंगा।”
‘तेरी आबादी का एक-तिहाई भाग महामारी से मर जाएगा। वे तेरे सामने अकाल से मर जाएंगे। आबादी का दूसरा एक-तिहाई भाग नगर के चारों ओर शत्रु की तलवार से मारा जाएगा, और शेष तीसरे भाग को मैं सब दिशाओं में बिखेर दूंगा, और तलवार खींच कर उनका पीछा करूंगा।
वे खाएंगे, पर सन्तुष्ट न होंगे। सन्तान-उत्पत्ति के लिए अन्य देवताओं की पूजा करेंगे, पर उनको सन्तान न होगी; क्योंकि उन्होंने अपनी वेश्यावृत्ति के लिए मुझ-प्रभु को त्याग दिया है।
मैं तुम्हारे जीवन का आधार चूर-चूर कर दूंगा। दस स्त्रियां एक ही तन्दूर पर रोटियां बनाएंगी, और वे तुम्हें रोटी तौल-तौलकर देंगी। तुम रोटियां खाओगे, पर तृप्त नहीं होगे।
तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्हारी ठण्ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’
उन दिनों में जब कोई व्यक्ति अन्न के ढेर के पास दो सौ किलो की आशा से जाता था, तब उसे एक सौ प्राप्त होता था। जब वह अंगूर-रस के कुण्ड के पास जाता और सोचता था कि वह एक सौ लिटर रस निकालेगा तब उसे चालीस ही मिलता था।