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मलाकी 3:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

16 जो प्रभु के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखते थे, उन्‍होंने आपस में बात की। प्रभु ने ध्‍यान दिया, उनकी बात सुनी। उसके सम्‍मुख एक स्‍मरण-पुस्‍तिका लिखी गई। इसमें उन लोगों के नाम लिखे गए, जो प्रभु का चिंतन करते थे।

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पवित्र बाइबल

16 परमेश्वर के भक्तों ने आपस में बातें कीं और यहोवा ने उनकी सुनी। उसके सामने एक पुस्तक हैं। उस पुस्तक में परमेश्वर के भक्तों के नाम हैं। वे ही लोग है जो यहोवा के नाम का सम्मान करते हैं।

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Hindi Holy Bible

16 तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

16 तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके सामने एक पुस्तक लिखी जाती थी।

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सरल हिन्दी बाइबल

16 तब जो याहवेह का भय मानते थे, उन्होंने एक दूसरे से बात की, और याहवेह ने ध्यान से उनकी बातें सुनी. जिन्होंने याहवेह का भय माना और उसके नाम का आदर किया, उनके बारे में याहवेह के सामने एक स्मरण पुस्तिका लिखी गई.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

16 तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके सामने एक पुस्तक लिखी जाती थी।

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मलाकी 3:16
64 क्रॉस रेफरेंस  

दूत ने कहा, ‘बालक की ओर अपना हाथ मत बढ़ा और न उसे कुछ हानि पहुँचा। अब मैं जान गया हूँ कि तू परमेश्‍वर का सच्‍चा भक्‍त है। क्‍योंकि तूने मेरे लिए अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा।’


राजा दाऊद अपने महल में रहने लगा। प्रभु ने उसके चारों ओर के शत्रुओं से उसे शान्‍ति प्रदान की।


स्‍वामी, जैसे ही मैं आपके पास से प्रस्‍थान करूंगा, प्रभु का आत्‍मा आपको अनजान स्‍थान में ले जाएगा, जिस को मैं नहीं जानता। जब मैं महाराज अहाब के पास पहुँचूंगा, उनको आपके विषय में बताऊंगा और आप उन्‍हें नहीं मिलेंगे, तब क्‍या वह मुझे जीवित छोड़ देंगे? आप का यह सेवक बचपन से ही प्रभु का भक्‍त है।


अहाब ने ओबद्याह को बुलाया। ओबद्याह राजमहल का गृह-प्रबन्‍धक था। वह प्रभु का बड़ा भक्‍त था।


मेरे पिता दाऊद की यह हार्दिक इच्‍छा थी कि वह इस्राएली राष्‍ट्र के प्रभु परमेश्‍वर के नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाए।


हे प्रभु, अपने इस सेवक की प्रार्थना पर, अपने इन सेवकों की विनती पर ध्‍यान दे; क्‍योंकि ये प्रसन्नतापूर्वक तेरे नाम की आराधना करते हैं। आज अपने सेवक को सफलता प्रदान कर, ताकि सम्राट अर्तक्षत्र मुझ पर कृपादृष्‍टि करे।’


सम्राट ने तत्‍काल षड्‍यन्‍त्र की खोजबीन की, और सूचना सच निकली। दोनों खोजे फांसी के खम्‍भों पर टांग दिये गए। इस षड्‍यन्‍त्र का विवरण ‘इतिहास ग्रन्‍थ’ में सम्राट के सम्‍मुख लिख लिया गया।


उस रात सम्राट क्षयर्ष सो न सका। उसने ‘इतिहास-ग्रन्‍थ’ लाने का आदेश दिया, जिसमें महत्‍वपूर्ण घटनाओं का वर्णन लिखा गया था। ये घटनाएँ सम्राट के सम्‍मुख पढ़ी गईं।


परमेश्‍वर ने मनुष्‍य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्‍ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’


अहंकारवश दुर्जन प्रभु को खोजता नहीं, उसका यह विचार है, “परमेश्‍वर है ही नहीं।”


जब तक मैं जीवित हूं, प्रभु के लिए गीत गाऊंगा; अपने जीवन-भर मैं अपने परमेश्‍वर का स्‍तुतिगान करूंगा।


प्रभु की भक्‍ति करना बुद्धि का आरम्‍भ है; जो उसका पालन करते हैं, उनको उत्तम समझ प्राप्‍त होती है। प्रभु की स्‍तुति सदा की जाएगी!


प्रभु अपने श्रद्धालु भक्‍तों को, बड़े-छोटे सब को आशिष देगा।


मैं उन सब का साथी हूं जो तेरे भक्‍त हैं, जो तेरे आदेशों का पालन करते हैं।


मेरे मुंह में शब्‍द आने भी नहीं पाता, कि तू उसे पूर्णत: जान लेता है।


पर वह अपने भक्‍तों से, उसकी करुणा की प्रतीक्षा करनेवालों से प्रसन्न होता है।


पवित्र जन, जो धरती पर हैं, आदरणीय हैं, उनमें ही मेरा समस्‍त सुख है।


कुछ लोग रथों पर, कुछ लोग अश्वों पर अहंकार करते हैं; परन्‍तु हमें अपने प्रभु परमेश्‍वर के नाम पर गर्व है।


देखो, प्रभु की दृष्‍टि उन लोगों पर है जो उससे डरते हैं; और उन पर है जो उसकी करुणा की प्रतीक्षा करते हैं;


प्रभु की आंखें धार्मिकों पर लगी हैं, और उसके कान उनकी दुहाई पर।


तूने मेरे मारे-मारे फिरने का विवरण रखा है; हे परमेश्‍वर, मेरे आंसुओं को अपने पात्र में रखना। निस्‍सन्‍देह वे तेरी पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।


जिस दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, मेरे शत्रु तत्‍काल पीठ दिखाएंगे; मैं यह जानता हूँ कि परमेश्‍वर मेरे पक्ष में है।


ओ परमेश्‍वर से डरने वालो! आओ और सुनो; मैं तुम्‍हें बताऊंगा कि परमेश्‍वर ने मेरे लिए क्‍या किया है।


जब मेरे हृदय में चिन्‍ताएं बढ़ जाती हैं, तब तेरे आश्‍वासन मेरे चित्त को प्रसन्न करते हैं।


अब तू उनके पाप क्षमा कर। यदि तू नहीं करेगा तो, मैं विनती करता हूँ, तू अपनी उस पुस्‍तक में से मेरा नाम काट दे, जिसे तूने लिखा है।’


जो मनुष्‍य बुद्धिमानों का सत्‍संग करता है, वह स्‍वयं बुद्धिमान बनता है; पर मूर्खों का साथी विपत्ति में पड़ता है।


प्रभु! जो व्यक्‍ति अपने मन को सदा तुझ में लीन रखता है, उसको तू पूर्ण शान्‍त जीवन प्रदान करता है, क्‍योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।”


प्रभु, हम भी तेरे न्‍याय-मार्ग पर तेरी प्रतीक्षा करते हैं। तेरा स्‍मरणीय नाम लेने के लिए हमारे प्राण उत्‍सुक हैं।


सियोन में बचे हुए व्यक्‍ति, यरूशलेम में शेष रहे पुरुष, सब जिनके नाम वहाँ ‘जीवन की पुस्‍तक’ में लिखे हुए हैं, पवित्र कहलाएंगे।


तुममें कौन ऐसा व्यक्‍ति है, जो प्रभु की श्रद्धा-भक्‍ति करता है, जो प्रभु के सेवक के वचन का पालन करता है, जिसके साथ दीपक का प्रकाश नहीं है, और अन्‍धकार में चलता है, वह प्रभु के नाम पर भरोसा करे, वह परमेश्‍वर का सहारा ले!


मैं-प्रभु यह कहता हूं : देखो, यह बात मेरे सामने लिखी हुई है: “मैं अधर्म को देखकर चुप नहीं रहूंगा; वरन् मैं उनको अधर्म का प्रतिफल दूंगा।” मैं उनके दुष्‍कर्मों का, उनके पूर्वजों के दुष्‍कर्मों का पूरा-पूरा बदला, निस्‍सन्‍देह उन्‍हें दूंगा। उन्‍होंने पहाड़ों पर धूप जलाया; पहाड़ियों पर मुझे निन्‍दात्‍मक शब्‍द कहे। अत: मैं गिन-गिनकर उनसे प्रतिशोध लूंगा।’


‘मैंने एफ्रइम को विलाप करते हुए सुना है। वह मुझ से कह रहा था, “तूने मुझे सजा दी, और मैं ताड़ित हुआ, मानो मैं नवसीखिए बछड़े के समान हूं जो जूए में जोतने के योग्‍य नहीं होता और बहुत ताड़ना पाता है। मुझे स्‍वदेश वापस ले जा, तब मैं पुन: प्रतिष्‍ठित होऊंगा, क्‍योंकि तू ही मेरा प्रभु परमेश्‍वर है।


मैं ध्‍यान से उनकी बातें सुनता हूं, किन्‍तु वे उचित बात बोलते ही नहीं! एक भी आदमी अपने दुष्‍कर्म के लिए पश्‍चात्ताप नहीं करता; बल्‍कि वह कहता है, “मैंने किया ही क्‍या है?” जैसे घोड़ा युद्ध के मैदान में बिना समझे-बूझे अपनी नाक की सीध में दौड़ता है, वैसे ही यह जाति मनमाना आचरण कर रही है।


प्रभु ने उससे कहा, ‘यरूशलेम नगर में जाओ, और उन-सब मनुष्‍यों के माथे पर चिह्‍न लगाओ, जो नगर में किए जा रहे घृणित कार्यों के लिए दु:ख मनाते और शोक करते हैं।’


“उस समय महा स्‍वर्गदूत मीखाएल, जो तेरी कौम का रक्षक-दूत है, रक्षा के लिए आएगा। वह संकट का समय होगा। राष्‍ट्र की उत्‍पत्ति से लेकर अब तक ऐसा संकट कभी नहीं हुआ। परन्‍तु इसी संकट-काल में तेरी कौम का उद्धार भी किया जाएगा। जिन लोगों के नाम ग्रन्‍थ में लिखे हुए हैं, वे मुक्‍त किए जाएंगे।


उसके सामने से अग्‍नि-ज्‍वाला निकल रही थी, उसके सम्‍मुख लपटें निकल रही थीं। हजारों-हजार सेवक उसकी परिचर्या कर रहे थे; और लाखों-लाख लोग उसके सम्‍मुख हाथ-जोड़े खड़े थे। न्‍याय करने के लिए दरबार लगा था; और संविधान के ग्रंथ खुले थे।


स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्‍हारे सम्‍मुख उपस्‍थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्‍त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्‍यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्‍याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।


पर तुम मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखते हो, इसलिए तुम पर धार्मिकता का सूर्य उदय होगा, उसके पंखों में रोग-निवारण की किरणें होंगी, जिनके स्‍पर्श से तुम स्‍वस्‍थ होगे। जैसे पशुशाला से छूटकर बछड़ा आनन्‍द से कूदता-फांदता है, वैसे ही तुम मुक्‍त होकर आनन्‍द से विचरण करोगे।


वह भी उसी समय आ कर परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देने लगी; और जो लोग यरूशलेम की मुक्‍ति की प्रतीक्षा में थे, वह उन सब को उस बालक के विषय में बताने लगी।


वहाँ पहुँच कर वे अटारी पर चढ़े, जहाँ वे ठहरे हुए थे। वे थे : पतरस तथा योहन, याकूब तथा अन्‍द्रेयास, फिलिप तथा थोमस, बरतोलोमी तथा मत्ती, हलफई का पुत्र याकूब तथा “धर्मोत्‍साही” शिमोन और याकूब का पुत्र यहूदा।


वह, और उसका समस्‍त परिवार भी, धर्मपरायण तथा ईश्‍वर-भक्‍त था। वह जनता को बहुत दान दिया करता और हर समय परमेश्‍वर की प्रार्थना में लगा रहता था।


जब पेंतेकोस्‍त पर्व का दिन आया और सब शिष्‍य एक स्‍थान पर इकट्ठे थे,


अब समस्‍त यहूदा, गलील तथा सामरी प्रदेशों में कलीसिया को शान्‍ति मिली और उसका निर्माण होता रहा। वह प्रभु के भय में आचरण करती हुई और पवित्र आत्‍मा की सान्‍त्‍वना प्राप्‍त कर वृद्धि करती गई।


मिल कर भजन, स्‍तोत्र और आध्‍यात्‍मिक गीत गायें; पूरे हृदय से प्रभु के आदर में गाते-बजाते रहें।


इसलिए आप परस्‍पर प्रोत्‍साहन दीजिए और एक दूसरे का आध्‍यात्‍मिक निर्माण कीजिए, जैसा कि आप कर भी रहे हैं।


भाइयो और बहिनो! हम आप से अनुरोध करते हैं कि आप आलसियों को चेतावनी दें, भीरुओं को सान्‍त्‍वना दें, दुर्बलों को संभालें और सब के साथ सहनशीलता का व्‍यवहार करें।


हमें इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्‍साहित कर सकते हैं।


आप सावधान रहें- कोई व्यक्‍ति परमेश्‍वर की कृपा से वंचित न हो। ऐसी कोई कड़वी जड़ फूटने न पाये, जो हानिकर हो और समस्‍त समुदाय को दूषित कर दे।


जब तक “आज” बना रहता है, आप लोग प्रतिदिन एक दूसरे को प्रोत्‍साहन देते जायें, जिससे कोई भी पाप के फन्‍दे में पड़ कर कठोर न बने।


प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा और तेरे नाम की स्‍तुति नहीं करेगा? क्‍योंकि तू ही पवित्र है। सभी राष्‍ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे, क्‍योंकि तेरे न्‍यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये हैं।”


मैंने छोटे-बड़े, सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़ा देखा। पुस्‍तकें खोली गयीं। तब एक अन्‍य पुस्‍तक-अर्थात जीवन-ग्रन्‍थ खोला गया। पुस्‍तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर मृतकों का उनके कर्मों के अनुसार न्‍याय किया गया।


हमारे पर का पालन करें:

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