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मलाकी 1:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 धोखा देनेवाला व्यक्‍ति शापित हो। उसके रेवड़ में स्‍वस्‍थ नर पशु है। उसने उसे चढ़ाने की मन्नत मांगी, पर चढ़ाया अपने प्रभु को−वर्जित विकृत पशु! स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: ‘मैं समस्‍त पृथ्‍वी का सम्राट हूँ। समस्‍त राष्‍ट्र मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति प्रकट करते हैं।

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पवित्र बाइबल

14 “कुछ लोगों के पास अच्छे नर— जानवर हैं, जिसे वे बलि के रूप में दे सकते हैं। किन्तु वे उन अच्छे जानवरों को मुझे नहीं देते। कुछ लोग मेरे पास अच्छे जानवर लाते हैं। वे उन स्वस्थ जानवरों को मुझे देने की प्रतिज्ञा करते हैं। किन्तु वे गुप्त रूप से उन अच्छे जानवरों को बदल देते हैं और मुझे रोगी जानवर देते हैं। उन लोगों के साथ बुरा घटेगा! मैं महान राजा हूँ। तुम्हें मेरा सम्मान करना चाहिये! संसार में सर्वत्र लोग मेरा सम्मान करते हैं!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा!

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Hindi Holy Bible

14 जिस छली के झुण्ड में नरपशु हो परन्तु वह मन्नत मान कर परमेश्वर को बर्जा हुआ पशु चढ़ाए, वह शापित है; मैं तो महाराजा हूं, और मेरा नाम अन्यजातियों में भययोग्य है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 जिस छली के झुण्ड में नर पशु हो परन्तु वह मन्नत मानकर परमेश्‍वर को वर्जित पशु चढ़ाए, वह शापित है; मैं तो महाराजा हूँ, और मेरा नाम जाति–जाति में भययोग्य है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 “वह धोखेबाज श्रापित है, जिसके पास उसके झुंड में ग्रहण योग्य नर पशु हो और उसने उसे देने की शपथ भी खायी हो, पर वह एक दोषयुक्त पशु प्रभु को चढ़ाता है. क्योंकि मैं एक महान राजा हूं,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है, “और जाति-जाति के लोगों के बीच मेरे नाम का भय माना जाए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

14 जिस छली के झुण्ड में नरपशु हो परन्तु वह मन्नत मानकर परमेश्वर को वर्जित पशु चढ़ाए, वह श्रापित है; मैं तो महाराजा हूँ, और मेरा नाम अन्यजातियों में भययोग्य है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

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मलाकी 1:14
39 क्रॉस रेफरेंस  

कदाचित् पिताजी मुझे स्‍पर्श करें। तब मैं उनकी दृष्‍टि में उनके अन्‍धेपन का मजाक उड़ानेवाला ठहरूँगा, और अपने ऊपर उनका आशीर्वाद नहीं, वरन् अभिशाप लाऊंगा।’


परन्‍तु राजा दाऊद ने अरौनाह से कहा, ‘नहीं, मैं ये वस्‍तुएँ तुमसे रुपए देकर ही खरीदूँगा। मैं अपने प्रभु परमेश्‍वर को ऐसी अग्‍नि-बलि नहीं चढ़ाऊंगा जिसका मैंने मूल्‍य नहीं चुकाया।’ अत: दाऊद ने चांदी के पचास सिक्‍कों में खलियान और बैलों को खरीद लिया


प्रभु सियोन को पुन: निर्मित करेगा, वह अपनी महिमा में प्रकट होगा।


क्‍योंकि प्रभु, सर्वोच्‍च परमेश्‍वर भय योग्‍य है; वह समस्‍त पृथ्‍वी का महान राजा है।


उसने जातियों को हमारे अधीन और राष्‍ट्रों को हमारें चरणों-तले किया है।


परमेश्‍वर समस्‍त राज्‍यों पर राज्‍य करता है; परमेश्‍वर अपने पवित्र सिंहासन पर विराजता है।


उसका पवित्र पर्वत, जिसकी उठान सुन्‍दर है, समस्‍त पृथ्‍वी के हर्ष का कारण है। सियोन पर्वत श्रेष्‍ठ पर्वत है, और वह राजाधिराज का नगर है।


परमेश्‍वर अपने पवित्र स्‍थान में भयप्रद है; इस्राएल का परमेश्‍वर ही अपनी प्रजा को शक्‍ति और सामर्थ्य प्रदान करता है; परमेश्‍वर धन्‍य है!


वह सामन्‍तों के दु:साहस को नष्‍ट करनेवाला है; वह पृथ्‍वी के राजाओं के लिए भयावह है।


प्रभु महान परमेश्‍वर है; वह समस्‍त देवताओं के ऊपर महान राजा है;


सर्वोच्‍च और महान परमेश्‍वर, जिसका नाम पवित्र है, जो अनन्‍तकाल तक जीवित है, यह कहता है : ‘मैं उच्‍च और पवित्र स्‍थान में निवास करता हूं, पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं जिसकी आत्‍मा विदीर्ण और विनम्र है। मैं उस विनम्र व्यक्‍ति की आत्‍मा को संजीव करता हूं, और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित।


किन्‍तु प्रभु ही सच्‍चा ईश्‍वर है। वह जीवंत परमेश्‍वर है, और शाश्‍वत महाराजाधिराज है। जब वह क्रुद्ध होता है, तब पृथ्‍वी कांप उठती है; उसके क्रोध को सहन करने की शक्‍ति किसी राष्‍ट्र में नहीं है।


राजाधिराज, जिसका नाम स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु है, यह कहता है : ‘मेरे जीवन की सौगन्‍ध! जैसे पर्वतों में ताबोर पर्वत है, जैसे समुद्र-तट पर कर्मेल पर्वत है वैसे ही आने वाला शत्रु सब शत्रुओं में महाशत्रु है।


‘उस मनुष्‍य को शाप लगे, जो प्रभु के काम में आलस्‍य करता है। शापित है वह मनुष्‍य जो प्रभु के आदेश का पालन नहीं करता, और अपनी तलवार को म्‍यान में रखता है, और रक्‍त नहीं बहाता।


‘देखो, मोआब का विनाश करने वाला आ गया। और वह नगरों में पहुंच गया; मोआब के सर्वोत्तम सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए। राजाधिराज ने, जिसका नाम “स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु है,” यह कहा है।


“अब मैं, नबूकदनेस्‍सर, स्‍वर्ग के राजा की स्‍तुति और महिमा करता हूं, उसके गुणों का गान करता हूं; क्‍योंकि उसके सब कार्य सच्‍चे, और प्रत्‍येक व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है। ‘जो मनुष्‍य घमण्‍ड से सिर ऊंचा करके चलता है, उसको वह नीचा कर सकता है।’


मैंने प्रभु परमेश्‍वर से अपना पाप स्‍वीकार किया, और तब उससे इन शब्‍दों में प्रार्थना की : “हे स्‍वामी, तू महान और भययोग्‍य परमेश्‍वर है। जो लोग तुझसे प्रेम करते हैं, और तेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं, उन पर तू करुणा करता है, और उनके साथ अपने विधान को पूरा करता है।


प्रभु उनके लिए भयानक सिद्ध होगा। वह पृथ्‍वी के सब देवताओं को भूखों मार डालेगा। सब राष्‍ट्रों के लोग और द्वीप-निवासी, अपने-अपने स्‍थान में प्रभु की वन्‍दना करेंगे।


प्रभु समस्‍त पृथ्‍वी का राजा होगा। उस दिन एक ही प्रभु होगा और उसका नाम भी एक ही होगा।


उदयाचल से अस्‍ताचल तक, समस्‍त राष्‍ट्रों में मेरा नाम महान है। हर स्‍थान में मेरे नाम पर धूप-द्रव्‍य और शुद्ध भेंट चढ़ाई जाती है। मैं, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: समस्‍त राष्‍ट्रों में मेरा नाम महान है।


‘जब तुम पशु-बलि में अंधा पशु चढ़ाते हो, तब क्‍या यह दुष्‍कर्म नहीं है? जब लंगड़े अथवा रोगी पशु की बलि चढ़ाते हो, तब क्‍या इसमें कोई बुराई नहीं है? यदि तुम अपने राज्‍यपाल को ऐसा पशु भेंट करोगे, तो क्‍या वह तुमसे प्रसन्न होगा, और तुम पर कृपादृष्‍टि करेगा?’ स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की यह वाणी है।


‘ओ पुरोहितो, अब तुम्‍हारे लिए यह आज्ञा है:


तुम-सब, सारा राष्‍ट्र महाशाप से शापित है, क्‍योंकि तुम मुझे धोखा दे रहे हो।


तब स्‍वामी उसे कठोर दंड देगा। इस प्रकार उसका अन्‍त वही होगा जो ढोंगियों का होता है। वहाँ वह रोएगा और दाँत पीसेगा।


न पृथ्‍वी की, क्‍योंकि वह उसका पायदान है; न यरूशलेम की, क्‍योंकि वह राजाधिराज का नगर है।


यह जो कुछ कर सकती थी, इसने कर दिया। इसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले ही से मेरे शरीर पर इत्र लगाया।


तो उस सेवक का स्‍वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी जिसे वह नहीं जानता होगा। तब स्‍वामी उसे कठोर दंड देगा। इस प्रकार उसका अंत वही होगा जो अविश्‍वासियों का होता है।


यदि दान देने की उत्‍सुकता है, तो सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ भी दिया जाए, वह परमेश्‍वर को ग्राह्य है। किसी से यह आशा नहीं की जाती है कि वह अपने सामर्थ्य से अधिक दान दे।


‘यदि तू इस पुस्‍तक में लिखित व्‍यवस्‍था के सब वचनों का पालन नहीं करेगा, उनके अनुसार कार्य नहीं करेगा, और अपने प्रभु परमेश्‍वर के महिमामय और आतंकपूर्ण नाम से नहीं डरेगा


यह प्रकटीकरण यथासमय परमधन्‍य तथा एकमात्र अधीश्‍वर के द्वारा होगा। वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है,


क्‍योंकि हमारा परमेश्‍वर भस्‍म कर देने वाली अग्‍नि है।


प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा और तेरे नाम की स्‍तुति नहीं करेगा? क्‍योंकि तू ही पवित्र है। सभी राष्‍ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे, क्‍योंकि तेरे न्‍यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये हैं।”


लेकिन कायरों, अविश्‍वासियों, नीचों, हत्‍यारों, व्‍यभिचारियों, ओझों, मूर्तिपूजकों और हर प्रकार के मिथ्‍यावादियों का अंत यह होगा − धधकती आग और गन्‍धक के कुण्‍ड में द्वितीय मृत्‍यु!”


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