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मरकुस 1:35 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

35 प्रात:काल, जब अंधेरा ही था, येशु उठे और घर से बाहर निकले। वह किसी एकान्‍त स्‍थान जा कर प्रार्थना करने लगे।

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पवित्र बाइबल

35 अँधेरा रहते, सुबह सवेरे वह घर छोड़ कर किसी एकांत स्थान पर चला गया जहाँ उसने प्रार्थना की।

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Hindi Holy Bible

35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

35 भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

35 बड़े भोर को अंधेरे में ही वह उठकर बाहर निकल गया और किसी एकांत स्थान पर जाकर वहाँ प्रार्थना करने लगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

35 भोर होने पर, जब अंधकार ही था, मसीह येशु उठे और एक सुनसान जगह को गए. वहां वह प्रार्थना करने लगे.

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मरकुस 1:35
15 क्रॉस रेफरेंस  

वे मेरे प्रेम के बदले मुझ पर दोषारोपण करते हैं, फिर भी मैं निरन्‍तर प्रार्थना करता हूं।


प्रभु, प्रात: तू मेरी पुकार सुनता है, प्रात: मैं तेरे लिए बलि तैयार करता और तेरी प्रतीक्षा करता हूं।


येशु यह समाचार सुन कर वहाँ से हट गये और नाव पर चढ़ कर एक निर्जन स्‍थान की ओर एकान्‍त में चले गए। जब लोगों को इसका पता चला, तब वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उनकी खोज में चल पड़े।


येशु लोगों को विदा कर एकान्‍त में प्रार्थना करने पहाड़ी पर चढ़े। सन्‍ध्‍या होने पर वह वहाँ अकेले थे।


सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले,


परन्‍तु येशु प्राय: अलग जा कर एकान्‍त स्‍थानों में प्रार्थना किया करते थे।


उन दिनों येशु प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर परमेश्‍वर की प्रार्थना में लीन रहे।


इस पर येशु ने उन से कहा, “जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्‍छा पर चलना और उसका कार्य पूरा करना, यही मेरा भोजन है।


जब येशु ने यह देखा कि लोग आ कर उन्‍हें राजा बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, तो वह अकेले ही पहाड़ी पर फिर चले गये।


आप लोग हर समय पवित्र आत्‍मा में सब प्रकार की प्रार्थना तथा निवेदन करते रहें। आप लोग जागते रहें और सब सन्‍तों के लिए लगन से निरन्‍तर प्रार्थना करते रहें।


आप लोग अपने मनोभावों को येशु मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें:


मसीह ने इस पृथ्‍वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्‍वर से, जो उन्‍हें मृत्‍यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्‍ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।


हमारे पर का पालन करें:

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