17 यीशु ने उससे कहा, “अच्छा क्या है, इसके बारे में तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? क्योंकि अच्छा तो केवल एक ही है! फिर भी यदि तू अनन्त जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो तू आदेशों का पालन कर।”
तूने उन्हें चेतावनी दी थी कि वे तेरी धर्म-व्यवस्था की ओर उन्मुख हों। पर उन्होंने तेरी प्रति धृष्ट व्यवहार किया, और तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। जिन न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने से मनुष्य को जीवन प्राप्त होता है, उनका उल्लंघन कर उन्होंने पाप किया। उन न्याय-सिद्धान्तों के विरुद्ध हठवादी रुख अपनाया : उनको मानने से इन्कार कर दिया।
‘किन्तु इस्राएलियों की नई पीढ़ी ने भी मुझसे विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया। मेरे न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने में तत्परता नहीं दिखाई, जिनका पालन करके मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस को अपवित्र किया। ‘अत: मैंने निश्चय किया कि मैं उनको दण्ड देने के लिए निर्जन प्रदेश में उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा, मैं उन पर घातक प्रहार करूंगा।
सभी उत्तम दान और सभी पूर्ण वरदान ऊपर के हैं और नक्षत्रों के उस सृष्टिकर्ता पिता के यहाँ से उतरते हैं, जिस में न तो कोई परिवर्तन है और न परिक्रमा के कारण कोई अन्धकार।
इस प्रकार हम अपने प्रति परमेश्वर का प्रेम जान गये और इस में विश्वास करते हैं। परमेश्वर प्रेम है और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में और परमेश्वर उस में निवास करता है।