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मत्ती 12:50 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

50 क्‍योंकि जो मेरे स्‍वर्गिक पिता की इच्‍छा के अनुसार कार्य करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता।”

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पवित्र बाइबल

50 हाँ स्वर्ग में स्थित मेरे पिता की इच्छा पर जो कोई चलता है, वही मेरा भाई, बहन और माँ है।”

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Hindi Holy Bible

50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और मेरी बहिन, और मेरी माता है।”

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नवीन हिंदी बाइबल

50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पर चलता है, वही मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

50 जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन तथा मेरी माता.”

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मत्ती 12:50
38 क्रॉस रेफरेंस  

मैं अपने भाई-बहिनों में तेरा नाम घोषित करूँगा। मैं मंडली के मध्‍य तेरी स्‍तुति करूँगा;


मेरी दुलहन उस वाटिका के सदृश है जिसका प्रवेश-द्वार बन्‍द है। वह प्रवेश-निषिद्ध उद्यान है! वह मुहरबन्‍द झरना है!


और हाथ से अपने शिष्‍यों की ओर संकेत करते हुए उन्‍होंने कहा, “देखो, ये हैं मेरी माता और मेरे भाई!


येशु उसी दिन घर से निकले और झील के किनारे बैठ गए।


वह बोल ही रहा था कि उन सब पर एक चमकीला बादल छा गया और उस बादल में से यह वाणी सुनाई पड़ी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्‍यन्‍त प्रसन्न हूँ। इसकी बात सुनो।”


“राजा उन्‍हें यह उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, जो कुछ तुम ने मेरे इन छोटे से छोटे भाई-बहिनों में से किसी एक के लिए किया, वह तुम ने मेरे लिए ही किया।’


“तब राजा उन्‍हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ : जो कुछ तुम ने मेरे इन छोटे से छोटे भाई-बहिनों में से किसी एक के लिए नहीं किया, वह तुम ने मेरे लिए भी नहीं किया।’


येशु ने उनसे कहा, “डरो नहीं। जाओ और मेरे भाइयों को यह सन्‍देश दो कि वे गलील प्रदेश को जाएँ। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे।”


जो व्यक्‍ति परमेश्‍वर की इच्‍छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता।”


किन्‍तु येशु ने उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई वे हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो, तो तुम मेरे मित्र हो।


येशु ने उससे कहा, “चरणों से लिपट कर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास, ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयों के पास जाओ, और उनसे यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्‍हारे पिता, अपने परमेश्‍वर और तुम्‍हारे परमेश्‍वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।”


येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का कार्य यह है कि जिसे उसने भेजा है, उसमें विश्‍वास करो।”


मेरे पिता की इच्‍छा यह है कि जो पुत्र को देखे और उस में विश्‍वास करे, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त हो। मैं उसे अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।”


“परमेश्‍वर ने अज्ञानता के युगों को अनदेखा कर दिया; परन्‍तु अब उसकी आज्ञा यह है कि सर्वत्र सभी मनुष्‍य पश्‍चात्ताप करें,


मैंने पहले दमिश्‍क तथा यरूशलेम के लोगों में, और उसके बाद समस्‍त यहूदा प्रदेश तथा ग़ैर-यहूदियों में भी यह प्रचार किया कि वे पश्‍चात्ताप करें, परमेश्‍वर की ओर अभिमुख हो जायें और पश्‍चात्ताप के अनुरूप आचरण करें।


क्‍योंकि परमेश्‍वर ने निश्‍चित किया कि जिन्‍हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाई-बहिनों में पहिलौठा हो।


क्‍या अन्‍य प्रेरितों, प्रभु के भाइयों और कैफ़ा की भांति हमें अपनी मसीही पत्‍नी को अपने साथ ले चलने का अधिकार नहीं?


मैं जितनी तत्‍परता से आप लोगों की चिन्‍ता करता हूँ, वह परमेश्‍वर की चिन्‍ता-जैसी है। मैंने आपके एकमात्र दूल्‍हे मसीह के साथ आपकी सगाई सम्‍पन्न की, जिससे मैं आप को पवित्र कुआँरी की तरह उनके सामने प्रस्‍तुत कर सकूँ।


यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।


किसी का खतना हुआ हो अथवा नहीं, इसका कोई महत्व नहीं। महत्व इस बात का है कि हम पूर्ण रूप से नयी सृष्‍टि बन जायें।


इस नवीनता में कोई भेद नहीं रहता, इसमें न यूनानी है, न यहूदी; न खतना है, न खतने का अभाव; न बर्बर है, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतन्‍त्र। केवल मसीह हैं, जो सब कुछ और सब में हैं।


वृद्धाओं को माता और युवतियों को बहिन समझ कर उनके साथ शुद्ध मन से व्‍यवहार करो।


वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर और परमेश्‍वर से मलकीसेदेक के अनुरूप महापुरोहित की उपाधि प्राप्‍त कर उन सब के शाश्‍वत मुक्‍ति के स्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।


और उसे मानवीय वासनाओं के अनुसार नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार अपना शेष जीवन बिताना चाहिए।


संसार और उसकी वासना समाप्‍त हो रही है; किन्‍तु जो परमेश्‍वर की इच्‍छा पूरी करता है, वह युग-युग तक बना रहता है।


धन्‍य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्‍त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।


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