यारोबआम ने आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन एक यात्रा पर्व प्रतिष्ठित किया, जैसा यहूदा प्रदेश में मनाया जाता था। तत्पश्चात् उसने वेदी पर बलि चढ़ाई। ऐसा ही उसने बेत-एल नगर में किया। उसने स्वनिर्मित बछड़े की प्रतिमाओं को बलि चढ़ाई। उसने बेत-एल में पहाड़ी शिखर की वेदियों के लिए, जिनको उसने निर्मित किया था, पुरोहित नियुक्त किए।
यदि तुम किसी प्रदेश में गरीबों पर अत्याचार होते देखो, यदि तुम वहाँ न्याय और धर्म का गला घोंटा जाता हुआ देखो, तो आश्चर्य मत करना; क्योंकि एक अधिकारी के ऊपर उससे बड़ा अधिकारी होता है और उससे भी ऊपर उच्च अधिकारी होता है।
ओ यहूदा कुल! तूने राजा ओमरी की संविधियों को माना, तूने अहाब के राजवंश के कार्यों के अनुरूप कार्य किया। तूने उनके परामर्श के अनुसार आचरण किया। अत: मैं तुझे उजाड़ दूंगा। तेरे नागरिकों को उपहास का पात्र बना दूंगा। तू अन्य कौमों की निन्दा सहेगा।’
महापुरोहितों और फरीसियों ने येशु को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से यह आदेश दिया था कि यदि किसी व्यक्ति को मालूम हो जाए कि येशु कहाँ हैं, तो वह इसकी सूचना उनको दे।
तब वे येशु को काइफा के यहाँ से राजभवन ले गये। अब प्रात:काल हो गया था। यहूदी धर्मगुरु राजभवन के अन्दर इसलिए नहीं गये कि गैर-यहूदियों के सम्पर्क से अशुद्ध न हो जाएँ, बल्कि पास्का (फसह) पर्व का भोज खा सकें।
उसके माता-पिता ने यह इसलिए कहा कि वे धर्मगुरुओं से डरते थे। यहूदी धर्मगुरु यह तय कर चुके थे कि यदि कोई येशु को मसीह मानेगा, तो वह सभागृह से बहिष्कृत कर दिया जाएगा।