तब राजा आसा ने प्रभु परमेश्वर की दुहाई दी। उसने कहा, ‘हे प्रभु, निर्बल की सहायता करने वाला तेरे समान और कौन ईश्वर है? जब बलवान और निर्बल में लड़ाई होती है, तब तू निर्बल की सहायता करता है। हे प्रभु परमेश्वर, हमारी सहायता कर; क्योंकि हमने तुझ पर भरोसा किया है। हम तेरे नाम में ही शत्रु की इस विशाल सेना का सामना करने के लिए आए हैं। हे प्रभु, तू ही हमारा परमेश्वर है। कोई भी मनुष्य तुझ पर प्रबल न हो!’
अपने दयामय नाम के हेतु हमें मत ठुकरा। अन्य कौमों में अपने महिमामय सिंहासन को अपमानित न होने दे। प्रभु, स्मरण कर कि तूने हमारे साथ विधान स्थापित किया है; अपना यह विधान मत तोड़!
ये लोग इस प्रकार प्रार्थना करते हैं: ‘हे प्रभु, यह सच है कि हमारे दुष्कर्म हमारे मुंह पर साक्षी दे रहे हैं, कि हमने तेरे प्रति पाप किया है; हम तेरा साथ छोड़कर अनेक बार पथभ्रष्ट हुए हैं; फिर भी प्रभु, अपने महिमामय नाम के कारण हम पर दया कर।
किन्तु मुझे अपने नाम के हेतु अपना निश्चय त्यागना पड़ा। मैंने अपना क्रोध कार्य-रूप में परिणत नहीं किया, जिससे मेरा नाम उन राष्ट्रों की दृष्टि में अपवित्र न हो जाए, जिनके सामने से मैं इस्राएलियों को निकालकर लाया था।
ओ इस्राएल के वंशजो, मैं तुम्हारे दुराचरण और बुरे व्यवहार के अनुसार तुम्हें दण्ड नहीं दूंगा, बल्कि अपने नाम के अनुरूप तुमसे दयापूर्ण व्यवहार करूंगा। तब तुम्हें ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
किन्तु मैंने अपने नाम के हेतु अपना यह निश्चय त्याग दिया। मैंने अपना क्रोध कार्य-रूप में परिणत नहीं किया, जिससे मेरा नाम उन राष्ट्रों की आंखों में अपवित्र न हो जाए, जिन के मध्य इस्राएली रहते थे। मैंने उन राष्ट्रों की आंखों के सामने इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाला था, और यों मैंने इस्राएलियों पर स्वयं को प्रकट किया था।
हे स्वामी, हमारी प्रार्थना को सुन। हे स्वामी, हमारे अपराध को क्षमा कर। हे स्वामी, हम पर ध्यान दे और हमें मुक्त कर। हे मेरे परमेश्वर, अपनी ही महिमा के लिए विलम्ब मत कर, क्योंकि तेरा नगर और तेरे निज लोग तेरे ही नाम से पुकारे जाते हैं।”
यदि तुम मेरी यह बात नहीं सुनोगे, मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दोगे, तो मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, यह कहता हूं: मैं तुम पर शाप प्रेषित करूंगा। मैं तुम्हारे वरदानों को शापों में बदल दूंगा। निस्सन्देह मैंने उन्हें शाप में बदल दिया है, क्योंकि तुमने मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दिया।
कनानी जाति तथा इस देश में रहने वाली अन्य जातियां हमारी पराजय के विषय में सुनेंगी। वे हमें घेर लेंगी, और पृथ्वी से हमारा नामो-निशान मिटा डालेंगी। तब तू अपने महान नाम के लिए क्या करेगा?’