8-9 तूने स्वर्ग से न्याय-निर्णय सुनाया; जब परमेश्वर, तू न्याय के निमित्त, पृथ्वी के समस्त पीड़ितों को बचाने के लिए उठा, पृथ्वी भयभीत हुई और शान्त हो गई। सेलाह
8-9 न्यायकर्ता के रूप में यहोवा ने खड़े होकर अपना निर्णय सुना दिया। परमेश्वर ने धरती के नम्र लोगों को बचाया। स्वर्ग से उसने अपना निर्णय दिया और सम्पूर्ण धरती शब्द रहित और भयभीत हो गई।
‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
मैंने कहा, ‘हे स्वर्ग के प्रभु परमेश्वर, महान और भक्तियोग्य परमेश्वर, तू उन भक्तों के लिए अपना विधान पूर्ण करता है, उन पर करुणा करता है, जो तुझसे प्रेम करते, और तेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं।
किन्तु प्रभु ही सच्चा ईश्वर है। वह जीवंत परमेश्वर है, और शाश्वत महाराजाधिराज है। जब वह क्रुद्ध होता है, तब पृथ्वी कांप उठती है; उसके क्रोध को सहन करने की शक्ति किसी राष्ट्र में नहीं है।
देखो, जैसे सिंह यर्दन के जंगल से निकलता, तथा मजबूत भेड़शाला पर टूट पड़ता और भेड़ों को तितर-बितर कर देता है, वैसे ही मैं एदोम के निवासियों को एदोम देश से अचानक भगा दूंगा। तब जिसको मैं चुनूंगा, उस को उन पर नियुक्त करूंगा। ‘मेरे समान ईश्वर कौन है? कौन मेरे निर्णय को चुनौती दे सकता है? कौन राजा − अपनी प्रजा का चरवाहा − मेरे सम्मुख खड़ा हो सकता है?
प्रभु के क्रोध के सम्मुख कौन खड़ा रह सकता है? उसकी क्रोधाग्नि को कौन सह सकता है? उसका कोप अग्नि की तरह बरसता है, और प्रभु के सामने चट्टानें फूट जाती हैं।