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भजन संहिता 59:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

7 देख, वे अपने मुंह से डकार रहे हैं। उनके मुंह में तलवारें हैं; वे यह कहते हैं, “कौन सुनता है?”

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पवित्र बाइबल

7 तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन। वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं। वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

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Hindi Holy Bible

7 उनके मुंह के भीतर तलवारें हैं, क्योंकि वे कहते हैं, कौन सुनता है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

7 देख वे डकारते हैं, उनके मुँह के भीतर तलवारें हैं, क्योंकि वे कहते हैं, “कौन सुनता है?”

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नवीन हिंदी बाइबल

7 देख, वे अपने मुँह से जहर उगलते हैं, उनके मुँह के भीतर तलवारें हैं। वे कहते हैं, “कौन सुनता है?”

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सरल हिन्दी बाइबल

7 आप देखिए कि वे अपने मुंह से क्या-क्या उगल रहे हैं, उनके होंठों में से तलवार बाहर आती है, तब वे कहते हैं, “कौन सुन सकता है हमें?”

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भजन संहिता 59:7
16 क्रॉस रेफरेंस  

अभागा अपने हृदय में यह सोचता है, “परमेश्‍वर मुझे भूल गया। उसने अपना मुख छिपा लिया। वह फिर कभी इधर नहीं देखेगा।”


दुर्जन तुझ परमेश्‍वर का क्‍यों तिरस्‍कार करता है? क्‍यों वह अपने हृदय में सोचता है कि तू लेखा न लेगा?


उसके मुंह की बातें मक्‍खन से अधिक चिकनी थीं, पर उसके हृदय में द्वेष था। उसके शब्‍द तेल की अपेक्षा कोमल थे; फिर भी वे नंगी तलवार थे।


मेरा प्राण सिंहों के मध्‍य है; मैं धधकती ज्‍वाला में सोता हूँ; ऐसे मनुष्‍यों के बीच जिन के दांत भाले और तीर हैं, जिनकी जीभ दुधारी तलवार है।


वे यह कहते हैं, “परमेश्‍वर कैसे जान सकता है? क्‍या सर्वोच्‍च परमेश्‍वर में ज्ञान है?”


वे निरन्‍तर धृष्‍ट वचन बोलते हैं; समस्‍त कुकर्मी डींग मारते हैं।


बिना सोच-विचार के बोलनेवाले मनुष्‍य के शब्‍द तलवार की तरह बेधते हैं; पर बुद्धिमान की बातें मलहम का काम करती हैं।


बुद्धिमान के कंठ से ज्ञान की धारा प्रवाहित होती है; किन्‍तु मूर्ख अपने मुंह से केवल मूर्खता ही निकालता है।


उत्तर देने के पूर्व धार्मिक मनुष्‍य अपने मन में विचार करता है; किन्‍तु दुर्जन का मुंह बुरी बातें ही उगलता रहता है।


‘यिर्मयाह, क्‍या तूने ध्‍यान दिया कि ये लोग मेरे बारे में क्‍या कह रहे हैं? ये कहते हैं कि प्रभु ने जिन दो परिवारों को चुना था, उनको त्‍याग दिया है। यों ये मेरे निज लोगों को अपनी दृष्‍टि में तुच्‍छ समझने लगे हैं कि अब वे राष्‍ट्र नहीं रहे; एक कौम के रूप में मेरे निज लोगों का अस्‍तित्‍व समाप्‍त हो गया।


मुझ पर आक्रमण करने वालों के वचन और विचार दिन भर मेरे विरुद्ध रहते हैं।


साँप के बच्‍चो! तुम बुरे हो कर अच्‍छी बातें कैसे कह सकते हो? जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।


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