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भजन संहिता 32:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 मैंने तेरे सम्‍मुख अपना पाप स्‍वीकार किया, और अपने अधर्म को छिपाया नहीं; मैंने कहा, “मैं प्रभु के समक्ष अपने अपराध स्‍वीकार करूंगा।” और तूने मेरे पाप और अधर्म को क्षमाकर दिया। सेलाह

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पवित्र बाइबल

5 किन्तु फिर मैंने यहोवा के समक्ष अपने सभी पापों को मानने का निश्चय कर लिया है। हे यहोवा, मैंने तुझे अपने पाप बता दिये। मैंने अपना कोई अपराध तुझसे नहीं छुपाया। और तूने मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर दिया!

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Hindi Holy Bible

5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, “मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूँगा,” तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। (सेला)

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नवीन हिंदी बाइबल

5 मैंने तेरे सामने अपना पाप स्वीकार किया और अपना अधर्म न छिपाया। मैंने कहा, “मैं अपने अपराध यहोवा के सामने मान लूँगा,” और तूने मेरे पाप के दोष को क्षमा कर दिया। सेला।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 तब मैंने अपना पाप अंगीकार किया, मैंने अपना अपराध नहीं छिपाया. मैंने निश्चय किया, “मैं याहवेह के सामने अपने अपराध स्वीकार करूंगा.” जब मैंने आपके सामने अपना पाप स्वीकार किया तब आपने मेरे अपराध का दोष क्षमा किया.

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भजन संहिता 32:5
37 क्रॉस रेफरेंस  

दाऊद ने नातान से कहा, ‘मैंने प्रभु के विरुद्ध पाप किया।’ नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘प्रभु ने भी आपके पाप को क्षमा किया। अब आप पाप के कारण नहीं मरेंगे।


पर तूने मुझ-प्रभु के वचन का तिरस्‍कार क्‍यों किया? जो कार्य मेरी दृष्‍टि में बुरा है, उसको तूने क्‍यों किया? तूने तलवार से ऊरियाह हित्ती की हत्‍या करवा दी, और उसकी पत्‍नी को छीनकर अपनी पत्‍नी बना लिया। तूने अम्‍मोनी सैनिकों की तलवार से ऊरियाह का वध कर दिया।


युद्ध-सेवा के योग्‍य पुरुषों की जनगणना करने के बाद दाऊद के हृदय ने उसे इस कार्य के लिए फटकारा। अत: उसने प्रभु से कहा, ‘मैंने यह कार्य कर महापाप किया। प्रभु, कृपाकर, अपने सेवक पर से यह अधर्म का बोझ दूर कर। मैं बड़ी मूर्खता का कार्य कर बैठा।’


जब दाऊद ने लोगों का संहार करने वाले दूत को देखा, तब उसने प्रभु से यह कहा, ‘प्रभु, देख, पाप मैंने किया। मैंने ही दुष्‍कर्म किया। पर ये भेड़ें? इन्‍होंने क्‍या किया? प्रभु, मैं विनती करता हूँ : मुझ पर और मेरे परिवार पर अपना हाथ उठा।’


तू उनके पाप और अपराध, जो उन्‍होंने तेरे विरुद्ध किए थे, क्षमा करना। उन्‍हें बन्‍दी बनाने वालों के हृदय में उनके प्रति दया उत्‍पन्न करना कि वे उनके प्रति दया करें।


तब यदि तेरे निज लोग इस्राएली सामूहिक रूप से अथवा कोई भी मनुष्‍य निज रूप से अपनी विपत्ति में दु:खी होकर इस भवन की ओर अपने हाथ फैलाएगा और तुझसे प्रार्थना तथा विनती करेगा,


इसलिए अब तुम अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्‍वर से अपना पाप स्‍वीकार करो, और उसकी इच्‍छा के अनुसार कार्य करो। स्‍वयं को इस देश में रहने वाली जातियों से अलग करो। जिन विदेशी कन्‍याओं से तुमने विवाह किया है, उनसे सम्‍बन्‍ध-विच्‍छेद कर लो।’


क्‍या मैं कभी समाज की क्रुद्ध-भीड़ के डर से कुटुम्‍बियों की घृणा के आतंक से चुप रहा और दरवाजे के बाहर कदम न रखा, जिससे मैं आदम के समान अपना अपराध छिपा लूं अथवा अपने हृदय के कोने में अधर्म ढक लूं?


मनुष्‍य लोगों के सम्‍मुख गीत गाता है, और यह कहता है, “मैंने पाप किया था, मैंने उचित कार्य को अनुचित बना दिया था, तो भी मुझे इस अधर्म का दण्‍ड नहीं दिया गया।


पुर्व पश्‍चिम से जितनी दूर है, वह हमारे अपराध हमसे उतनी ही दूर करता है।


जो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता है, जो तेरे समस्‍त रोगों को स्‍वस्‍थ करता है,


प्रभु, मेरी ओर उन्‍मुख हो, मुझ पर कृपा कर; क्‍योंकि मैं एकाकी और पीड़ित हूँ।


मेरी पीड़ा एवं दु:ख को देख; और मेरे सब पाप क्षमा कर।


प्रभु का क्रोध क्षण मात्र के लिए होता है; पर उसकी कृपा जीवनपर्यन्‍त बनी रहती है। रोदन संध्‍या समय आकर रात में ठहर सकता है, पर प्रभात के साथ उल्‍लास का आगमन होता है।


मैं अपने अधर्म को स्‍वीकार करता हूँ; मैं अपने पाप के लिए दु:खी हूँ।


जो अकारण ही मेरे शत्रु बने, वे शक्‍तिशाली हो गये हैं। जो मुझ से व्‍यर्थ घृणा करते हैं, वे कितने बढ़ गए हैं।


तू अंत:करण की सच्‍चाई से प्रसन्न होता है; अत: मेरे हृदय को ज्ञान की बातें सिखा।


किन्‍तु तू, हे स्‍वामी, दयालु, कृपालु, विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला, करुणा और सच्‍चाई से परिपूर्ण परमेश्‍वर है।


हे स्‍वामी, तू भला और क्षमाशील है, तेरी दुहाई देनेवालों के लिए तू करुणा सागर है।


जो मनुष्‍य अपने अपराध छिपाता है वह जीवन में उन्नति नहीं करता; परन्‍तु अपने अपराध को स्‍वीकार करनेवाले और उसको पुन: न करनेवाले मनुष्‍य पर परमेश्‍वर दया करता है।


यह व्‍यभिचारिणी स्‍त्री का आचरण है : जैसे भोजन के बाद मनुष्‍य मुंह पोंछता है, वैसे ही व्‍यभिचारिणी स्‍त्री व्‍यभिचार कर्म के बाद कहती है, “मैंने कोई बुरा काम नहीं किया।”


उनके पुकारने के पूर्व ही मैं उनको उत्तर दूंगा; उनकी प्रार्थना समाप्‍त भी न होगी कि मैं उसको सुन लूंगा।


‘तू कैसे कह सकती है कि तू अशुद्ध नहीं है? क्‍या तू इन्‍कार कर सकती है कि तूने बअल देवता का अनुसरण नहीं किया? घाटी में तूने जो किया है, उस पर दृष्‍टि कर; अपने आचरण को जान ले! तू कामाग्‍नि में जलती हुई इधर-उधर वेग से दौड़नेवाली ऊंटनी थी!


तू कहती है, “मैं निर्दोष हूं; निश्‍चय ही प्रभु का क्रोध मुझ पर से हट जाएगा।” पर नहीं, क्‍योंकि तूने कहा कि तूने पाप नहीं किया, इसलिए मैं तुझे न्‍याय के कटघरे में खड़ा करूँगा।


केवल तू अपने दुष्‍कर्म को स्‍वीकार कर, कि तूने मुझ-प्रभु परमेश्‍वर से विद्रोह किया था, और यहां-वहां हरएक हरे वृक्ष के नीचे अन्‍य देवताओं की पूजा की थी, और यों तूने मेरे आदेशों को नहीं माना,’ प्रभु ने यह कहा है।


ओ एफ्रइम, निस्‍सन्‍देह, तू मेरा प्रिय पुत्र है, सचमुच तू मेरा प्‍यारा बेटा है। यदि मैं तेरे विरुद्ध कुछ कहता भी हूं, तब भी मुझे तेरी सुधि रहती है। मेरा हृदय तेरे लिए भर आता है, मैं निस्‍सन्‍देह तुझ पर दया करूंगा’, प्रभु की यह वाणी है।


लोग यह कहते हैं : ‘आओ, हम प्रभु के पास लौटें। उसने हमें क्षत-विक्षत किया है, अब वही हमें स्‍वस्‍थ करेगा। उसने हमें घायल किया है, अब वही हमारे घावों पर पट्टी बांधेगा।


यदि कोई व्यक्‍ति इन बातों में से किसी एक के कारण दोषी बनता है, तो वह अपने पाप को स्‍वीकार करेगा, जिसे उसने किया है।


क्‍या मनुष्‍य मुझ-परमेश्‍वर को धोखा दे सकता है? पर तुम मुझे धोखा दे रहे हो। तुम पूछते हो, “हम तुझे किस प्रकार धोखा दे रहे हैं?” तुम अपने दशमांश और विधिवत् भेंटों में मुझे धोखा दे रहे हो।


इस पर येशु ने उनसे कहा, “तुम लोग मनुष्‍यों के सामने तो धर्मी होने का ढोंग रचते हो, परन्‍तु परमेश्‍वर तुम्‍हारा हृदय जानता है। जो बात मनुष्‍यों की दृष्‍टि में महत्व रखती है, वह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित है।


इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, इसके पाप जो बहुत हैं, क्षमा हो गये हैं, क्‍योंकि इसने बहुत प्रेम किया है। पर जिसे थोड़ा क्षमा किया गया, वह प्रेम भी थोड़ा करता है।”


एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह परमेश्‍वर ने मसीह में आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।


यहोशुअ ने आकन से कहा, ‘मेरे पुत्र, इस्राएल के प्रभु परमेश्‍वर की महिमा कर, उसकी स्‍तुति कर! मुझे बता कि तूने क्‍या किया है? मुझ से कुछ मत छिपाना।’


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