अंगरक्षकों का नायक नबूजरदान यिर्मयाह को जंजीरों से बान्ध कर ला रहा था। यिर्मयाह के साथ यरूशलेम और यहूदा प्रदेश के बन्दी भी थे, जो गुलाम बन कर बेबीलोन जा रहे थे। नबूजरदान ने रामाह नगर में यिर्मयाह को मुक्त कर दिया, और उनको रामाह नगर से चले जाने दिया। इसके पश्चात् यिर्मयाह को प्रभु का सन्देश मिला।
मैंने आप को तुरन्त बुला भेजा और आपने पधारने की कृपा की है। प्रभु ने आप को जो-जो आदेश दिये हैं, उन्हें सुनने के लिए हम सब परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित हैं।”
पौलुस यह जानते थे कि धर्म-महासभा में दो दल हैं : एक सदूकियों का और दूसरा फ़रीसियों का। इसलिए उन्होंने पुकार कर कहा, “भाइयो! मैं हूँ फ़रीसी और फरीसियों की सन्तान! मृतकों के पुनरुत्थान की आशा के कारण मुझ पर मुकदमा चल रहा है।”
पौलुस ने उत्तर दिया, “थोड़े में हो या बहुत में, परमेश्वर से मेरी यह प्रार्थना है कि न केवल आप, बल्कि जो लोग आज मेरी बातें सुन रहे हैं, वे सब-के-सब इन बेड़ियों को छोड़ कर मेरे सदृश बन जायें।”
तीन दिन के पश्चात् पौलुस ने प्रमुख यहूदियों को अपने पास बुलाया और उनके एकत्र हो जाने पर उनसे कहा, “भाइयो! मैंने न तो हमारी जाति के विरुद्ध कोई अपराध किया और न पूर्वजों कि प्रथाओं के विरुद्ध, फिर भी मुझे यरूशलेम में बन्दी बनाया गया और रोमियों के हवाले कर दिया गया है।
जिस शुभ समाचार का मैं बेड़ियों से बंधा हुआ राजदूत हूँ। आप प्रार्थना करें, जिससे मैं निर्भीकता से शुभ समाचार की घोषणा कर सकूँ, जैसा कि मुझे बोलना चाहिए।
किन्तु अब वह हमारे मुक्तिदाता येशु मसीह के प्रकट होने से स्पष्ट प्रकाशित हुई है। येशु ने मृत्यु का विनाश किया और अपने शुभ समाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया है।
उनेसिमुस के लिए तुम से निवेदन कर रहा हूँ। वह मेरा मानस पुत्र है, क्योंकि मैंने इन जंजीरों में उसको जन्म दिया है। पहले वह तुम्हारे लिए “अनुपयोगी” था, परन्तु