10 परन्तु लेवीय पुरुष वहाँ रात व्यतीत करने को सहमत न हुआ। उसने तैयारी की और चला गया। वह यबूस नगर (अर्थात् यरूशलेम) के सामने पहुँचा। उसके साथ जीन कसे हुए दो गधे, उसकी रखेल और उसका सेवक था।
10 किन्तु लेवीवंशी व्यक्ति एक और रात वहाँ ठहरना नहीं चाहता था। उसने अपने काठीवाले दो गधों और अपनी रखैल को लिया। वह यबूस नगर तक गया। (यबूस यरूशलेम का ही दूसरा नाम है।)
10 परन्तु उस पुरूष ने उस रात को टिकना न चाहा, इसलिये वह उठ कर विदा हुआ, और काठी बान्धे हुए दो गदहे और अपनी सुरैतिन संग लिए हुए यबूस के साम्हने तक (जो यरूशलेम कहलाता है) पहुंचा।
10 परन्तु उस पुरुष ने उस रात को टिकना न चाहा, इसलिये वह उठकर विदा हुआ, और काठी कसे हुए दो गदहे और अपनी रखैल संग लिए हुए यबूस के सामने तक (जो यरूशलेम कहलाता है) पहुँचा।
10 मगर वह व्यक्ति अब वहां रात बिताने के लिए तैयार न था. सो वह अपनी यात्रा पर निकल पड़ा. चलते हुए वे येबूस अर्थात् येरूशलेम के पास एक जगह पर पहुंचे. उसके साथ एक जोड़ा लकड़ी कसे हुए गधे थे, तथा उसकी उप-पत्नी भी उसके साथ थी.
10 परन्तु उस पुरुष ने उस रात को टिकना न चाहा, इसलिए वह उठकर विदा हुआ, और काठी बाँधे हुए दो गदहे और अपनी रखैल संग लिए हुए यबूस के सामने तक (जो यरूशलेम कहलाता है) पहुँचा।
राजा दाऊद ने अपने सैनिकों के साथ यबूसी जाति के विरुद्ध यरूशलेम नगर पर आक्रमण कर दिया। यबूसी यरूशलेम नगर के मूल निवासी थे। उन्होंने दाऊद से एक बार कहा था, ‘तुम यहाँ प्रवेश नहीं कर सकते। हमारे अन्धे और लंगड़े व्यक्ति भी तुम्हें प्रवेश नहीं करने देंगे।’ वे यह सोचते थे, ‘दाऊद यहाँ कभी प्रवेश नहीं कर सकेगा।’
सीमा-रेखा उसके आगे बेन-हिन्नोम की घाटी पर चढ़कर, यबूसी पर्वत-श्रेणी के दक्षिण की ओर जाती थी, जहाँ यरूशलेम स्थित है। वहाँ से सीमा-रेखा पश्चिम की ओर हिन्नोम की घाटी के सम्मुख पहाड़ के शिखर को स्पर्श करती और रपाईम की घाटी के उत्तरी सीमान्त में पहुँचती थी।
सेलाह, एलफ, यबूस (अर्थात् यरूशलेम), गिबअत और किर्यत। गांवों सहित इन नगरों की संख्या चौदह थी। बिन्यामिन कुल के लोगों को उनके परिवारों की संख्या के अनुसार पैतृक-अधिकार में यह भूमि-भाग प्राप्त हुआ।
यहूदा के वंशजों ने यरूशलेम नगर पर आक्रमण किया और उसको अपने अधिकार में कर लिया। उन्होंने उसके निवासियों को तलवार से मौत के घाट उतारा और नगर में आग लगा दी।
जब लेवीय पुरुष अपनी रखेल और सेवक के साथ जाने को तैयार हुआ तब लड़की के पिता, उसके ससुर ने, उससे कहा, ‘देखो, सूर्यास्त हो रहा है। दिन ढल रहा है। अब रात यहीं व्यतीत करो। देखो, दिन ढलने पर है। रात यहीं व्यतीत करो और आनन्द मनाओ। यात्रा पर जाने के लिए कल सबेरे उठना, और अपने घर चले जाना।’