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नीतिवचन 19:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 मनुष्‍य में निष्‍ठा का होना एक उत्तम गुण है; झूठे आदमी से गरीब आदमी अच्‍छा होता है।

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पवित्र बाइबल

22 लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो, इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है। ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।

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Hindi Holy Bible

22 मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलने वाले से उत्तम है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलनेवाले से उत्तम है।

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नवीन हिंदी बाइबल

22 मनुष्य का दयालु होना शोभनीय है; और झूठा होने से उत्तम निर्धन होना है।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 मनुष्य में खराई की अपेक्षा की जाती है; तथा झूठ बोलनेवाले की अपेक्षा निर्धन अधिक उत्तम है.

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नीतिवचन 19:22
14 क्रॉस रेफरेंस  

हे मेरे परमेश्‍वर! मैं जानता हूं, तू हृदय को परखता है। तू निष्‍कपट हृदय के व्यक्‍ति से प्रसन्न होता है। मैं निष्‍कपट हृदय से यह सब भेंट स्‍वेच्‍छापूर्वक तुझे अर्पित करता हूँ। अब मैंने तेरे निज लोगों को भी देखा जिन्‍होंने आनन्‍दपूर्वक स्‍वेच्‍छा से तुझे भेंट चढ़ाई।


परन्‍तु प्रभु ने मेरे पिता दाऊद से यह कहा, “तूने मेरे नाम की महिमा के लिए भवन बनाने की हार्दिक इच्‍छा की। तेरे हृदय की यह इच्‍छा उत्तम है।


जो व्यक्‍ति झूठी चुगली खाकर, अपने मित्रों की सम्‍पत्ति हड़पना चाहता है, उसके बच्‍चे अन्‍धे हो जाते हैं!


मेरे भाई-बन्‍धु छिछली नदी के समान विश्‍वासघाती हैं, वे बरसाती नदी के समान हैं जो ग्रीष्‍म ऋतु में सूख जाती है;


अकुलीन मनुष्‍य श्‍वास मात्र है, कुलीन केवल मिथ्‍या है; तुला पर वे ऊपर उठ जाते हैं, वे सब मिलकर सांस से भी हलके हैं।


जो गरीब मनुष्‍य सच्‍चाई के मार्ग पर चलता है, वह उस मूर्ख मनुष्‍य से श्रेष्‍ठ है जो छल-कपट की बातें करता है।


मनुष्‍य अपने मन में अनेक योजनाएं बनाता है; परन्‍तु प्रभु का अभिप्राय स्‍थिर रहता है।


प्रभु की भक्‍ति करने से जीवन प्राप्‍त होता है; जो मनुष्‍य प्रभु की भक्‍ति करता है वह निश्‍चिंत निवास करता है, उस पर विपत्ति के बादल नहीं मंडराते।


यदि दान देने की उत्‍सुकता है, तो सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ भी दिया जाए, वह परमेश्‍वर को ग्राह्य है। किसी से यह आशा नहीं की जाती है कि वह अपने सामर्थ्य से अधिक दान दे।


और शाश्‍वत जीवन की आशा का आधार है। सत्‍यवादी परमेश्‍वर ने अनादि काल से इस जीवन की प्रतिज्ञा की थी।


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