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नीतिवचन 16:28 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

28 कुटिल मनुष्‍य झगड़ा उत्‍पन्न करता है, कानाफूसी करनेवाला घनिष्‍ठ मित्रों में भी फूट डाल देता है।

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पवित्र बाइबल

28 उत्पाती मनुष्य मतभेद भड़काता है, और बेपैर बातें निकट मित्रों को फोड़ देती है।

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Hindi Holy Bible

28 टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

28 टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करनेवाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

28 कुटिल मनुष्य झगड़ा उत्पन्‍न करता है, और कानाफूसी करनेवाला घनिष्‍ठ मित्रों में भी फूट डाल देता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

28 कुटिल मनोवृत्ति का व्यक्ति कलह फैलाता जाता है, तथा परम मित्रों में फूट का कारण वह व्यक्ति होता है, जो कानाफूसी करता है.

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नीतिवचन 16:28
18 क्रॉस रेफरेंस  

उग्र स्‍वभाव का मनुष्‍य झगड़े की आग को भड़काता है; परन्‍तु विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला व्यक्‍ति उसको मधुर वचन से बुझा देता है।


अधर्मी मनुष्‍य बुराई की योजनाएं बनाता है; उसकी वाणी मानो धधकती अग्‍नि है।


हिंसा करनेवाला मनुष्‍य अपने पड़ोसी को फुसलाता है, और उसको बुरे मार्ग पर ले जाता है।


सच्‍चा मित्र सब समय मित्रता निभाता है, वह संकट-काल में भाई बन जाता है।


जो मनुष्‍य दूसरे के अपराध क्षमा करता है, वह प्रेम का खोजी कहलाता है; पर दूसरों की बातें यहाँ-वहाँ फैलानेवाला मित्रों में फूट कराता है।


मूर्ख की बातें लड़ाई-झगड़ा पैदा करती हैं, उसके वचन मार-पीट को निमंत्रण देते हैं।


कान भरनेवाले की बातें स्‍वादिष्‍ट भोजन की तरह लगती हैं; वे पेट में हजम हो जाती हैं।


जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का है, वह लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है, जो क्रोध के वश में है, वह अपराध-पर-अपराध करता है।


जैसे दूध को मथने से मक्‍खन, और नाक को मरोड़ने से खून निकलता है, वैसे ही क्रोध को उभाड़ने से झगड़ा उत्‍पन्न होता है।


वह कुटिल हृदय से बुरी योजनाएं गढ़ता है; वह निरन्‍तर लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है।


झूठ बोलने वाले गवाह और भाई-बहिनों में झगड़ा करवानेवाला मनुष्‍य।


वे हर प्रकार के अन्‍याय, दुष्‍टता, लोभ और बुराई से भर गये। वे ईष्‍र्या, हत्‍या, बैर, छल-कपट और दुर्भाव से परिपूर्ण हैं। वे चुगलखोर,


मुझे आशंका है-कहीं ऐसा न हो कि आने पर मैं आप लोगों को जैसा पाना चाहता, वैसा नहीं पाऊं और आप मुझे जैसा नहीं चाहते, वैसा ही पाएँ। कहीं ऐसा न हो कि मैं आपके यहाँ फूट, ईष्‍र्या, बैर, स्‍वार्थपरता, परनिन्‍दा, चुगलख़ोरी, अहंकार और उपद्रव पाऊं।


दाऊद ने शाऊल से कहा, ‘आप उन लोगों की बात क्‍यों सुनते हैं जो यह कहते हैं : “दाऊद आपका अनिष्‍ट करना चाहता है” ?


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