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नीतिवचन 15:33 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

33 प्रभु की भक्‍ति करना बुद्धि से शिक्षा प्राप्‍त करना है; आदर पाने के पूर्व विनम्र बनना आवश्‍यक है।

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पवित्र बाइबल

33 यहोवा का भय लोगों को ज्ञान सिखाता है। आदर प्राप्त करने से पहले नम्रता आती है।

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Hindi Holy Bible

33 यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

33 यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्‍त होती है, और महिमा से पहले नम्रता आती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

33 यहोवा का भय मानने से बुद्धि प्राप्‍त होती है, और आदर प्राप्‍त होने से पहले नम्रता आती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

33 वस्तुतः याहवेह के प्रति श्रद्धा ही ज्ञान उपलब्धि का साधन है, तथा विनम्रता महिमा की पूर्ववर्ती है.

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नीतिवचन 15:33
16 क्रॉस रेफरेंस  

एस्‍तर मोरदकय के चाचा अबीहइल की बेटी थी। मोरदकय ने उसको गोद लिया था और उसको अपनी बेटी की तरह पाला था। जब उसकी बारी आई तब उसने अपनी ओर से रनिवास से कुछ भी ले जाना अस्‍वीकार कर दिया। वह केवल वे ही वस्‍तुएं ले गई जिनको ले जाने की सलाह राज-खोजा हेगय ने दी थी। जिस-जिस व्यक्‍ति ने एस्‍तर को देखा उसने उसको पसन्‍द किया।


परमेश्‍वर ने मनुष्‍य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्‍ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’


प्रभु की भक्‍ति करना बुद्धि का आरम्‍भ है; जो उसका पालन करते हैं, उनको उत्तम समझ प्राप्‍त होती है। प्रभु की स्‍तुति सदा की जाएगी!


ओ पुत्र-पुत्रियों! आओ! मेरी बात सुनो; मैं तुम्‍हें प्रभु की भक्‍ति करना सिखाऊंगा।


नीतिवचन को पढ़ने वाला मनुष्‍य बुद्धि और शिक्षा प्राप्‍त करे; वह समझ की बातें समझे।


प्रभु के प्रति भय-भाव ही बुद्धि का मूल है, जो मूर्ख हैं; वे ही बुद्धि और शिक्षा को तुच्‍छ समझते हैं।


जो मनुष्‍य शिक्षा की बातों की उपेक्षा करता है, वह स्‍वयं अपना तिरस्‍कार करता है; पर डांट-डपट पर ध्‍यान देनेवाला व्यक्‍ति व्‍यवहार-कुशल बनता है।


मनुष्‍य मन में योजनाएं बनाता है, परन्‍तु उनको सफल करना− यह प्रभु की इच्‍छा पर निर्भर है।


मनुष्‍य अपने विनाश के पूर्व घमण्‍डी हो जाता है; पर आदर पाने के लिए मनुष्‍य को पहले विनम्र बनना पड़ता है।


जो मनुष्‍य घमण्‍ड से भरा है, उसको नीचा देखना पड़ता है, किन्‍तु विनम्र मनुष्‍य सम्‍मान का पात्र बनता है।


बुराई से घृणा करना ही प्रभु की भक्‍ति करना है; मैं घमण्‍ड, अहंकार और दुराचरण से, छल-कपटपूर्ण बातों से घृणा करती हूं।


क्‍योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है, वह छोटा किया जाएगा और जो अपने आप को छोटा मानता है, वह बड़ा किया जाएगा।”


प्रभु के सामने दीन-हीन बनो तो वह तुम्‍हें ऊंचा उठायेगा।


और तुम, नवयुवको! धर्मवृद्धों की अधीनता स्‍वीकार करो। आप सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा के लिए कमर कस कर तैयार रहें; क्‍योंकि परमेश्‍वर घमण्‍डियों का विरोध करता है, किन्‍तु वह विनम्र लोगों पर दया करता है।


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