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नीतिवचन 12:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 बुरी योजना रचनेवाले के दिल में छल-कपट भरा रहता है; परन्‍तु कल्‍याणकारी योजना बनानेवाला आनन्‍द-मग्‍न रहता है।

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पवित्र बाइबल

20 उनके मनों में छल—कपट भरा रहता है, जो कुचक्र भरी योजना रचा करते हैं। किन्तु जो शान्ति को बढ़ावा देते हैं, आनन्द पाते हैं।

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Hindi Holy Bible

20 बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 बुरी युक्‍ति करनेवालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्‍ति करनेवालों को आनन्द होता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

20 बुरी युक्‍ति रचनेवालों के मन में छल रहता है, परंतु मेल की सम्मति देनेवाले आनंदित रहते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

20 बुराई की युक्ति करनेवाले के हृदय में छल होता है, किंतु जो मेल स्थापना का प्रयास करते हैं, हर्षित बने रहते हैं.

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नीतिवचन 12:20
16 क्रॉस रेफरेंस  

जो कार्य प्रभु की दृष्‍टि में बुरा था, उसने वही किया। उसके पिता के मरने के बाद अहाब के राज-परिवार के लोग ही उसको सलाह देते थे। अत: उसका पतन हो गया।


जो मनुष्‍य तेरी संविधियों से भटक जाते हैं, उनको तू धिक्‍कारता है; क्‍योंकि उनकी चतुराई व्‍यर्थ है।


दुर्जनों का सुदृढ़ गढ़ भी ढह जाता है; पर धार्मिक मनुष्‍य की जड़ें गहरी होती हैं।


सत्‍यनिष्‍ठ ओंठों के वचन अमर रहते हैं; किन्‍तु झूठी जीभ की बातें क्षणभंगुर होती हैं।


धार्मिक मनुष्‍य अनिष्‍ट से बचा रहता है; पर दुर्जन विपत्ति से घिरा रहता है।


प्रभु, मैंने उन पर विपत्ति भेजने के लिए तुझ पर जोर नहीं डाला था; तू जानता है कि मैंने विनाश-दिवस की कामना नहीं की थी। जो कुछ मेरे ओंठों से निकला है, वह सब तू जानता है।


तब दोनों राजाओं के मन कुकर्म करने पर उतारू हो जाएंगे। वे एक ही मेज पर बैठकर भी एक दूसरे से झूठ बोलेंगे। परन्‍तु उससे कुछ लाभ न होगा; क्‍योंकि निश्‍चित किए गए युगान्‍त की अवधि अब तक समाप्‍त नहीं हो पायी है।


केवल वही मुझ-प्रभु के मन्‍दिर का निर्माण करेगा और वही राजसी गौरव को प्राप्‍त करेगा। वह सिंहासन पर बैठेगा और शासन करेगा। उसके सिंहासन की दाहिनी ओर पुरोहित बैठेगा और उन दोनों के मध्‍य विचारों में तालमेल होगा।” ’


धन्‍य हैं वे, जो मेल-मिलाप कराते हैं; क्‍योंकि वे परमेश्‍वर की संतान कहलाएँगे।


वे हर प्रकार के अन्‍याय, दुष्‍टता, लोभ और बुराई से भर गये। वे ईष्‍र्या, हत्‍या, बैर, छल-कपट और दुर्भाव से परिपूर्ण हैं। वे चुगलखोर,


सब के साथ शान्‍ति बनायें रखें और पवित्रता की साधना करें। इसके बिना कोई व्यक्‍ति प्रभु के दर्शन नहीं कर पायेगा।


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