39 उन्होंने काँसे की वेदी और काँसे की जाली को दिखाया। उन्होंने वेदी को ले जाने के लिये बनी बल्लियों को भी मूसा को दिखाया। और उन्होंने उन सभी चीज़ों को दिखाया जो वेदी पर काम मे आती थीं। उन्होंने चिलमची और उसके नीचे का आधार दिखाया।
उसी दिन राजा ने मध्यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु-भवन के सामने था। प्रभु के सम्मुख की कांस्य वेदी छोटी थी। उस पर अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाना सम्भव न था। इसलिए राजा ने मध्यवर्ती आंगन में अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाई।
‘तू बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाना जो दो मीटर पचीस सेंटीमीटर लम्बी और दो मीटर पचीस सेंटीमीटर चौड़ी होगी। वेदी वर्गाकार हो। उसकी ऊंचाई एक मीटर पैंतीस सेंटीमीटर होनी चाहिए।
आंगन के परदे, उसके खम्भे, उसकी आधार-पीठिकाएँ, आंगन के प्रवेश-द्वार का परदा, उसकी रस्सियाँ, उसकी खूंटियाँ; और सब सामान जो मिलन-शिविर, निवास-स्थान की सेवा के लिए आवश्यक था;