16 यह कैसे ज्ञात होगा कि मैंने और तेरे लोगों ने तेरी कृपा-दृष्टि प्राप्त की है? यदि तू हमारे साथ नहीं जाएगा तो मैं और तेरे लोग पृथ्वी के सब दूसरे लोगों से विशिष्ट कैसे माने जाएँगे?’
16 हम यह भी कैसे जानेंगे कि तू मुझसे और इन लोगों से प्रसन्न है? यदि तू साथ चलेगा तो हम लोग निश्चयपूर्वक यह जानेंगे। यदि तू हम लोगों के साथ नहीं जाता तो मैं और ये लोग धरती के अन्य दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होंगे।”
16 यह कैसे जाना जाए कि तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर और अपनी प्रजा पर है? क्या इस से नहीं कि तू हमारे संग संग चले, जिस से मैं और तेरी प्रजा के लोग पृथ्वी भर के सब लोगों से अलग ठहरें?
16 यह कैसे जाना जाए कि तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर और अपनी प्रजा पर है? क्या इससे नहीं कि तू हमारे संग संग चले, जिससे मैं और तेरी प्रजा के लोग पृथ्वी भर के सब लोगों से अलग ठहरें?”
16 यह कैसे पता चलेगा कि तेरी कृपादृष्टि मुझ पर और अपनी प्रजा पर है? क्या इससे नहीं कि तू हमारे साथ-साथ चले, जिससे मैं और तेरी प्रजा उन सब लोगों से अलग ठहरें जो इस पृथ्वी पर हैं?”
16 अब यदि आपकी उपस्थिति हमारे साथ नहीं रहेगी, तो सब लोग यह कैसे जानेंगे कि आपका अनुग्रह मुझ पर और इन लोगों के साथ है? और कौन सी ऐसी बात है जो हमें दूसरे लोगों के सामने अलग दिखाएगी?”
तेरे निज लोग, इस्राएली राष्ट्र के समान पृथ्वी पर और कौन राष्ट्र है? हे परमेश्वर, तू स्वयं उनको मुक्त करने के लिए गया था। तूने स्वयं एक नाम धारण किया था। तूने उनके हितार्थ महान् और आतंकपूर्ण कार्य किए थे। तूने अपने निज लोगों के सम्मुख से, जिन्हें तूने अपने लिए मिस्र देश से मुक्त किया था, अनेक राष्ट्रों और उनके देवताओं को भगाया था।
हे प्रभु परमेश्वर, तूने उन्हें अपनी निज सम्पत्ति बनाने के लिए पृथ्वी के सब राष्ट्रों में से अलग किया है। जब तूने हमारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर निकाला था तब तूने अपने सेवक मूसा के मुंह से यह बात कही थी।’
प्रभु ने कहा, ‘देख, मैं विधान स्थापित करता हूँ। मैं तेरे सब लोगों के सामने ऐसे आश्चर्यपूर्ण कर्म करूँगा, जो समस्त पृथ्वी पर, सारे राष्ट्रों में कभी नहीं किए गए। जिन लोगों के मध्य में तू है, वे सब प्रभु के कार्य को देखेंगे। वह आतंकमय कार्य है, जिसे मैं तेरे लिए करूँगा।
मूसा ने कहा, ‘हे स्वामी, यदि मैंने तेरी कृपा-दृष्टि प्राप्त की है, तो मैं विनती करता हूँ, स्वामी, यद्यपि वे ऐंठी-गरदन के लोग हैं, तो भी तू हमारे मध्य में होकर चल। हमारे अधर्म को, हमारे पाप को क्षमा कर और हमें अपनी निज सम्पत्ति बना।’
किन्तु उस दिन मैं गोशेन प्रदेश को, जहां मेरे लोग निवास करते हैं, पृथक् रखूंगा, जिससे वहां डांसों का आक्रमण न हो और तुझे ज्ञात हो जाए कि समस्त पृथ्वी में मैं ही प्रभु हूं।
परन्तु मैंने तुमसे कहा है, “तुम उनके देश पर अधिकार करोगे। मैं उनके देश को तुम्हें दूंगा कि तुम उस पर अधिकार करो। उस देश में दूध और शहद की नदियां बहती हैं।” मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ, जिसने तुम्हें अन्य जातियों से अलग कर पवित्र किया है।
वे इस देश के निवासियों को बताएंगे। हे प्रभु! राष्ट्रों ने सुना है कि तू इन लोगों के मध्य में है; क्योंकि तूने, हे प्रभु, इन्हें प्रत्यक्ष दर्शन दिया है। तेरा मेघ इन के ऊपर छाया रहता है। तू दिन के समय मेघ-स्तम्भ में, और रात के समय अग्नि-स्तम्भ में इनके आगे-आगे जाता है।
चट्टानों के शिखर पर से, मैंने उसे देखा है, पहाड़ियों से मैंने उसका अवलोकन किया है : देखो, लोग अलग बसे हैं, अन्य राष्ट्रों के साथ उनकी गणना नहीं की गई!
जैसा तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने मिस्र देश में तुम्हारी आंखों के सम्मुख किया था, क्या वैसा किसी अन्य ईश्वर ने आकर परीक्षाओं, चिह्नों, आश्चर्यपूर्ण कर्मों, युद्ध, भुजबल, महा आतंकमय कार्यों और उद्धार के हेतु फैले हुए हाथों से किसी राष्ट्र को अपने लिए, दूसरे राष्ट्रों के मध्य से चुनने का साहसिक कार्य किया है?
ऐसा कौन महान् राष्ट्र है, जिसका ईश्वर उसके समीप रहता है, जैसा हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे समीप रहता है? जब-जब हम उसे पुकारते हैं, वह हमारी प्रार्थना सुनता है।