16 तू उद्धार-शुल्क इस्राएली समाज से लेना और उसे मिलन-शिविर के सेवा-कार्यों में व्यय करना, जिससे वह प्रभु के सम्मुख इस्राएली समाज के लिए एक स्मृति-चिह्न बने और तुम्हारे प्राणों के उद्धार का शुल्क हो।’
16 इस्राएल के लोगों से यह धन इकट्ठा करो। मिलापवाले तम्बू में सेवा के लिए इसका उपयोग करो। यह भुगतान यहोवा के लिए अपने लोगों को याद करने का एक तरीका होगा। वे अपने जीवन के लिए भुगतान करते रहेंगे।”
16 और तू इस्त्राएलियों से प्रायश्चित्त का रूपया ले कर मिलाप वाले तम्बू के काम में लगाना; जिस से वह यहोवा के सम्मुख इस्त्राएलियों के स्मरणार्थ चिन्ह ठहरे, और उनके प्राणों का प्रायश्चित्त भी हो॥
16 और तू इस्राएलियों से प्रायश्चित्त का रुपया लेकर मिलापवाले तम्बू के काम में लगाना; जिससे वह यहोवा के सम्मुख इस्राएलियों के स्मरणार्थ चिह्न ठहरे, और उनके प्राणों का प्रायश्चित्त भी हो।”
16 तू इस्राएलियों से प्रायश्चित्त का रुपया लेकर मिलापवाले तंबू की सेवा में लगाना; ताकि यह यहोवा के सामने इस्राएलियों के लिए स्मृति का चिह्न ठहरे, और तुम्हारे प्राणों का प्रायश्चित्त भी हो जाए।”
16 तुम इस्राएलियों से प्रायश्चित का रुपया लेकर मिलनवाले तंबू के कामों में लेना ताकि यह इस्राएलियों के लिए याहवेह के सामने यादगार बन जाए, और अपने प्राण का प्रायश्चित भी हो जाए.”
अत: राजा योआश ने महापुरोहित यहोयादा को बुलाया, और उससे कहा, ‘आप जानते हैं, कि प्रभु के सेवक मूसा ने साक्षी-पत्र के शिविरके लिए इस्राएली धर्म-मण्डली पर कर लगाया था। तब आपने उप-पुरोहितों को यह कर इकट्ठा करने के लिए यहूदा प्रदेश के नगरों और यरूशलेम में क्यों नहीं भेजा, और उन पर दबाव क्यों नहीं डाला कि वे यह चन्दा वसूल करें?’
ताकि वे इस्राएली समाज के लिए स्मारक-चिह्न बनें, जिससे कोई अपुरोहित व्यक्ति, जो हारून के वंश का नहीं है, धूप चढ़ाने के अभिप्राय से प्रभु के सम्मुख नहीं आए, और कोरह तथा उसके दल के सदृश नष्ट न हो, जैसा प्रभु ने मूसा के द्वारा एलआजर से कहा था।
किन्तु मूसा और पुरोहित एलआजर ने सहस्र-नायकों और शत-नायकों से सोना ग्रहण किया, और वे उसको लेकर मिलन-शिविर में आए कि वह प्रभु के सम्मुख इस्राएली समाज के लिए स्मृति-चिह्न बने, और प्रभु इस्राएलियों की रक्षा करे।
येशु ने रोटी ली और धन्यवाद की प्रार्थना करने के बाद उसे तोड़ा और यह कहते हुए शिष्यों को दिया, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिए दी जा रही है। यह मेरी स्मृति में किया करो”।