31 जब इस्राएलियों ने मिस्र-निवासियों के विरुद्ध किए गए प्रभु के भुजबल के महान कार्य को देखा, तब वे प्रभु से डरने लगे। उन्होंने प्रभु और उसके सेवक मूसा पर विश्वास किया।
31 इस्राएल के लोगों ने यहोवा की महान शक्ति को देखा जब उसने मिस्रियों को हराया। अत: लोगों ने यहोवा का भय माना और सम्मान किया और उन्होंने यहोवा और उसके सेवक मूसा पर विश्वास किया।
31 जब इस्राएलियों ने उस ताकतवर काम पर ध्यान दिया, जो याहवेह ने मिस्रियों से किया, वे याहवेह के प्रति श्रद्धापूर्ण डर से भर गए और उन्होंने याहवेह तथा उनके दास मोशेह पर विश्वास किया.
दूसरे दिन सबेरे यहोशाफट के सैनिक उठे, और वे तकोअ के निर्जन प्रदेश की ओर गए। वे प्रस्थान कर ही रहे थे कि यहोशाफट उनके मध्य में खड़ा हुआ, और उसने उनसे कहा, ‘ओ यहूदा प्रदेश के निवासियो, ओ यरूशलेम के रहने वालो, मेरी बात सुनो: अपने प्रभु परमेश्वर पर विश्वास करो, तब तुम दृढ़ रह सकोगे; प्रभु के नबियों पर भरोसा रखो, तब तुम सफल होगे।’
प्रभु ने मूसा से कहा, ‘देख, मैं सघन मेघ में तेरे पास आ रहा हूं, जिससे जब मैं तुझसे बात करूँ तब लोग उसे सुन सकें और सदा तुझपर विश्वास करते रहें।’ मूसा ने लोगों की बातें प्रभु को बताईं।
चट्टान पर गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुनते ही प्रसन्नता से उसे ग्रहण कर लेते हैं, किन्तु उन में जड़ नहीं है। वे कुछ ही समय तक विश्वास करते हैं और परीक्षा के समय उनका पतन हो जाता है।
येशु ने अपना यह पहला आश्चर्यपूर्ण चिह्न गलील के काना नगर में दिखाया। इस प्रकार उन्होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्यों ने उन में विश्वास किया।
स्वयं शिमोन ने भी विश्वास किया। बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद वह फ़िलिप के साथ निरंतर रहने लगा। यह चिह्न तथा महान् सामर्थ्य के कार्य होते देख कर बड़े अचम्भे में पड़ जाता था।
मूसा तो परमेश्वर के घराने के सब कार्यों में विश्वस्त रहे, किन्तु सहायक के रूप में-भविष्य में परमेश्वर के प्रकट होने वाले सन्देश के विषय में साक्षी देने के लिए-
तब तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी दुहाई दी। मैंने उनके और मिस्र निवासियों के मध्य अन्धकार का आवरण डाल दिया। मेरे आदेश से सागर का जल उन पर चढ़ गया, और उसने उन्हें अपने भीतर समा लिया। जो कार्य मैंने मिस्र निवासियों के साथ किया, वह तुमने स्वयं अपनी आंखों से देखा है। तुम बहुत समय तक निर्जन प्रदेश में निवास करते रहे।
उस दिन प्रभु ने जो कार्य किया उसके कारण यहोशुअ इस्राएली समाज की आंखों में एक महान पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हो गया। जैसे इस्राएली लोग मूसा के प्रति उनके जीवन-भर श्रद्धापूर्ण भय रखे थे वैसे ही वे यहोशुअ के प्रति श्रद्धापूर्ण भय रखते रहे।