12 परन्तु प्रभु ने मूसा और हारून से कहा, ‘तुम दोनों ने मुझ पर विश्वास नहीं किया! मुझे इस्राएली समाज की दृष्टि में पवित्र सिद्ध नहीं किया, इसलिए तुम इस धर्मसभा को उस देश में नहीं ले जा सकोगे जिसे मैंने उन्हें प्रदान किया है।’
12 किन्तु यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “इस्राएल के सभी लोग चारों ओर इकट्ठे थे। किन्तु तुमने मुझको सम्मान नहीं दिया। तुमने लोगों को नहीं दिखाया कि पानी निकालने की शक्ति मुझसे तुममें आई। तुमने लोगों को यह नहीं बताया कि तुमने मुझ पर विश्वास किया। मैं उन लोगों को वह देश दूँगा मैने जिसे देने का वचन दिया है। लेकिन तुम उस देश में उनको पहुँचाने वाले नहीं रहोगे।”
12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।
12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, “तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुँचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।”
12 किंतु याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन से कहा, “तुमने मुझमें विश्वास न करके इस्राएल के घराने के सामने मेरी पवित्रता की पुष्टि नहीं की, इसलिये तुम इस सभा को मेरे द्वारा दिए हुए देश में नहीं ले जाओगे.”
12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, “तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिए तुम इस मण्डली को उस देश में पहुँचाने न पाओगे जिसे मैंने उन्हें दिया है।”
दूसरे दिन सबेरे यहोशाफट के सैनिक उठे, और वे तकोअ के निर्जन प्रदेश की ओर गए। वे प्रस्थान कर ही रहे थे कि यहोशाफट उनके मध्य में खड़ा हुआ, और उसने उनसे कहा, ‘ओ यहूदा प्रदेश के निवासियो, ओ यरूशलेम के रहने वालो, मेरी बात सुनो: अपने प्रभु परमेश्वर पर विश्वास करो, तब तुम दृढ़ रह सकोगे; प्रभु के नबियों पर भरोसा रखो, तब तुम सफल होगे।’
एफ्रइम राज्य की राजधानी सामरी नगर है, और सामरी नगर का राजा बेन-रमल्याह है। मुझ-प्रभु पर दृढ़ विश्वास करो, अन्यथा तुम लोग उसके सामने दृढ़ नहीं रह सकोगे।’ ”
जब मैं राष्ट्रों के मध्य से तुम्हें निकाल कर लाऊंगा, जिन देशों में तुम बिखरे हुए हो, मैं वहां से तुम्हें एकत्र करूंगा, तब मैं तुम्हें सुगन्धित धूप-द्रव्य के रूप में ग्रहण करूंगा। मैं सब राष्ट्रों के सम्मुख स्वयं की पवित्रता प्रकट करूंगा, जिसके द्वारा तुम्हें ज्ञात होगा कि मैं पवित्र हूं।
मैं अपने महान नाम को पवित्र सिद्ध करूंगा, क्योंकि वह अन्य जातियों में अपवित्र किया गया है; तुमने ही उनके मध्य में उसको अपवित्र किया है। जब मैं उनके सामने, तुम्हारे माध्यम से अपनी पवित्रता को सिद्ध करूंगा, तब सब राष्ट्रों को ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं,’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
मूसा ने हारून से कहा, ‘प्रभु ने यही बात कही थी : “अपने निकटवर्ती लोगों के मध्य, मैं स्वयं को पवित्र सिद्ध करूँगा; समस्त लोगों के सम्मुख मैं अपनी महिमा करूँगा।” ’ परन्तु हारून मौन रहा।
‘हारून अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल जाएगा। वह उस देश में प्रवेश नहीं करेगा, जिसे मैंने इस्राएली समाज को प्रदान किया है, क्योंकि तुम लोगों ने मरीबा के जल-स्रोत पर मेरे आदेश के प्रति विद्रोह किया था।
क्योंकि तुम दोनों ने सीन के निर्जन प्रदेश में मंडली के विवाद के समय मेरे आदेश के प्रति विद्रोह किया था, और उनकी दृष्टि में मुझे जलाशय के निकट पवित्र सिद्ध नहीं किया था।’ (यह कादेश का मरीबा नामक जलाशय सीन के निर्जन प्रदेश में है।)
येशु ने उन से कहा, “अपने विश्वास की कमी के कारण। मैं तुम से सच कहता हूँ − यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो यदि तुम इस पहाड़ से यह कहोगे, ‘यहाँ से वहाँ हट जा’, तो यह हट जाएगा; और तुम्हारे लिए कुछ भी असम्भव नहीं होगा।
देखिए, जिस दिन तक ये बातें पूरी नहीं होंगी, उस दिन तक आप गूँगे रहेंगे और बोल नहीं सकेंगे; क्योंकि आपने मेरी बातों पर, जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास नहीं किया।”
प्रभु ने उनसे कहा, ‘यही है वह देश जिसके विषय में मैंने अब्राहम, इसहाक और याकूब से यह शपथ खाई थी : “मैं यह देश तुम्हारे वंशजों को दूंगा।” मैंने तुझे इसके दर्शन करा दिए। पर तू स्वयं वहां नहीं जा सकेगा।’
इसके अतिरिक्त प्रभु तुम्हारे कारण मुझसे भी क्रुद्ध हुआ था। उसने शपथ खाई थी कि मैं यर्दन नदी के उस पार नहीं जा सकूंगा, मैं उस उत्तम देश में प्रवेश नहीं कर पाऊंगा, जिसको तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हें पैतृक अधिकार के लिए प्रदान कर रहा है।
मसीह को प्रभु मानकर उनपर हार्दिक श्रद्धा रखें। जो लोग आपकी आशा के आधार के विषय में आप से प्रश्न करते हैं, उन्हें विनम्रता तथा आदर के साथ उत्तर देने के लिए सदा तैयार रहें। अपना अन्त: करण शुद्ध रखें। इस प्रकार जो लोग आप को बदनाम करते हैं और आपके भले मसीही आचरण की निन्दा करते हैं, उन्हें लज्जित होना पड़ेगा।