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गिनती 10:33 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

33 अत: उन लोगों ने प्रभु के पर्वत से प्रस्‍थान किया, और तीन दिन के मार्ग की दूरी तय की। तीन दिन की इस यात्रा में प्रभु के विधान की मंजूषा उनके लिए विश्राम-स्‍थल ढूंढ़ने के अभिप्राय से उनके आगे-आगे गई।

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पवित्र बाइबल

33 इसलिए होबाब मान गया और उन्होंने यहोवा के पर्वत से यात्रा आरम्भ की। याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक को लिया और लोगों के आगे चले। वे डेरा डालने के स्थान की खोज में तीन दिन तक पवित्र सन्दूक ढोते रहे।

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Hindi Holy Bible

33 फिर इस्त्राएलियों ने यहोवा के पर्वत से प्रस्थान करके तीन दिन की यात्रा की; और उन तीनों दिनों के मार्ग में यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके लिये विश्राम का स्थान ढूंढ़ता हुआ उनके आगे आगे चलता रहा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

33 फिर इस्राएलियों ने यहोवा के पर्वत से प्रस्थान करके तीन दिन की यात्रा की; और उन तीनों दिनों के मार्ग में यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके लिये विश्राम का स्थान ढूँढ़ता हुआ उनके आगे आगे चलता रहा।

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सरल हिन्दी बाइबल

33 इस प्रकार उन्होंने याहवेह के पर्वत से अपनी यात्रा प्रारंभ की और तीन दिन यात्रा करते रहे. याहवेह की वाचा का संदूक तीन दिनों तक उनके आगे-आगे रहा कि इस्राएल के डेरे के लिए सही विश्राम का स्थान तय किया जा सके.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

33 फिर इस्राएलियों ने यहोवा के पर्वत से प्रस्थान करके तीन दिन की यात्रा की; और उन तीनों दिनों के मार्ग में यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके लिये विश्राम का स्थान ढूँढ़ता हुआ उनके आगे-आगे चलता रहा।

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गिनती 10:33
25 क्रॉस रेफरेंस  

अत: प्रभु ने अपने क्रोध में यह शपथ खाई, ‘ये मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे।’


मूसा परमेश्‍वर के पास पहाड़ पर गए। प्रभु ने पहाड़ पर से पुकार कर उनसे कहा, ‘तू याकूब के वंशजों से यह कहना; तू इस्राएली समाज को यह बताना :


एक दिन मूसा अपने ससुर यित्रो, मिद्यान देश के पुरोहित, की भेड़-बकरियां चरा रहे थे। वह उन्‍हें निर्जन प्रदेश की पश्‍चिम दिशा में ले गए। वह परमेश्‍वर के पर्वत होरेब के पास आए।


उस दिन यिशय का वंश-मूल देश-देश के लोगों के लिए एक पताका बनेगा। राष्‍ट्र उसको ढूंढ़ेंगे। उसका निवास-स्‍थान तेजोमय होगा।


इनके विषय में प्रभु ने यह कहा था: “यही विश्राम है, कि तुम स्‍वयं थके-मांदे लोगों को विश्राम दो; इसी से पुनर्जीवन प्राप्‍त होता है।” परन्‍तु उन्‍होंने नहीं सुना था।


प्रभु यों कहता है : ‘आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्‍वी मेरे चरणों की चौकी है! तब तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे? वह स्‍थान कहाँ है, जहाँ मैं विश्राम कर सकता हूं?’


उन दिनों में, जब तेरी आबादी इतनी बढ़ जाएगी कि लोग देश में भर जाएंगे, वे “प्रभु की विधान-मंजूषा” के विषय में चर्चा नहीं करेंगे। उसका विचार उनके मस्‍तिष्‍क में नहीं आएगा। वे उसका स्‍मरण नहीं करेंगे। वे उसकी अनुपस्‍थिति भी अनुभव नहीं करेंगे, और नयी विधान-मंजूषा भी नहीं बनाएंगे।


प्रभु यों कहता है, ‘जो लोग फरओ की तलवार से बच गए थे, उन लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरी कृपा प्राप्‍त की थी। तब इस्राएल ने विश्राम-स्‍थल की खोज की


प्रभु यों कहता है, ‘मार्ग के किनारे खड़े हो, और स्‍वयं देखो। प्राचीन पथों का पता लगाओ। लोगों से पूछो कि सन्‍मार्ग कहां है। तब उस पर चलो, तभी तुम्‍हारी आत्‍मा को चैन मिलेगा। लेकिन यरूशलेम निवासी कहते हैं, “हम सन्‍मार्ग पर नहीं चलेंगे।”


उसी दिन मैंने उनसे यह भी शपथ खाई थी: “ओ इस्राएलियो, मैंने तुम्‍हारे लिए एक देश ढूंढ़ लिया है, जो विश्‍व के देशों में सर्वश्रेष्‍ठ है। उसमें दूध और शहद की नदियां बहती हैं। मैं तुम को मिस्र देश की गुलामी से मुक्‍त कर उस देश में ले जाऊंगा।”


और इस्राएलियों ने सीनय के निर्जन प्रदेश से अपने-अपने क्रम में प्रस्‍थान किया। पारन के निर्जन प्रदेश पर मेघ ठहर गया।


जो मार्ग में तुम्‍हारे आगे-आगे गया था कि तुम्‍हारे लिए तम्‍बू गाड़ने के लिए स्‍थान ढूंढ़े। वह रात में अग्‍नि तथा दिन में मेघ में होकर तुम्‍हें वह मार्ग दिखाता रहा, जिस पर तुम्‍हें चलना चाहिए।”


‘व्‍यवस्‍था की यह पुस्‍तक लो, और उसको अपने प्रभु परमेश्‍वर की विधान-मंजूषा के पास रख दो। इसको वहीं रहने देना ताकि वह तुम्‍हारे विरुद्ध साक्षी दे।


जब मैं पत्‍थर की पट्टियाँ, उस विधान की पट्टियाँ, जो प्रभु ने तुम्‍हारे साथ स्‍थापित किया, ग्रहण करने के लिए पहाड़ पर चढ़ा था, तब मैं चालीस दिन और चालीस रात तक पहाड़ पर रहा। मैंने न रोटी खायी और न पानी पिया।


शान्‍ति का परमेश्‍वर, जिसने शाश्‍वत विधान के रक्‍त द्वारा भेड़ों के महान् चरवाहे, हमारे प्रभु येशु को मृतकों में से पुनर्जीवित किया,


तब तुम उनसे कहना, “प्रभु की विधान-मंजूषा के सम्‍मुख यर्दन नदी का जल-प्रवाह रुक गया था। जब प्रभु की विधान-मंजूषा ने यर्दन नदी पार की, तब उसका जल सूख गया था।” अत: ये पत्‍थर इस्राएली समाज के लिए सदा-सर्वदा स्‍मारक-चिह्‍न माने जाएंगे।’


उन दिनों में परमेश्‍वर के विधान की मंजूषा वहाँ थी और हारून का पौत्र तथा एलआजर का पुत्र पीनहास प्रभु के सम्‍मुख उपस्‍थित रहकर सेवा करता था। इस्राएली लोगों ने प्रभु से पूछा, ‘क्‍या हम अपने जाति-भाई बिन्‍यामिनियों से युद्ध करने के लिए फिर जाएँ अथवा युद्ध बन्‍द कर दें?’ प्रभु ने उत्तर दिया, ‘चढ़ाई करो; क्‍योंकि मैं कल उन्‍हें तुम्‍हारे हाथ में सौंप दूँगा।’


जब इस्राएली सेना पड़ाव में आई तब इस्राएली धर्मवृद्धों ने यह कहा, ‘प्रभु ने हमें आज पलिश्‍तियों से क्‍यों पराजित करवाया? आओ, हम शिलोह से प्रभु के विधान की मंजूषा ले आएँ, जिससे प्रभु हमारे मध्‍य आए, और हमें हमारे शत्रुओं के पंजे से मुक्‍त करे।’


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