15 शूशन नगर में रहने वाले यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन भी एकत्र होकर सुरक्षा-दल बनाए, और शूशन नगर में तीन सौ पुरुषों का वध कर दिया, पर उन्होंने उनकी धन-सम्पत्ति नहीं लूटी।
15 आदार महीने की चौदहवीं तारीख को शूशन में यहूदी एकत्रित हुए। फिर उन्होंने वहाँ तीन सौ पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया किन्तु उन्होंने उन तीन सौ लोगों की सम्पत्ति को नहीं लिया।
15 अदार महीने की चौदहवीं तिथि पर भी शूशनवासी यहूदी एकजुट हो गए तथा उन्होंने शूशन में तीन सौ व्यक्तियों की हत्या कर दी; किंतु उन्होंने कोई भी सामान नहीं लूटा.
इन पत्रों के द्वारा सम्राट ने सब नगरों में रहने वाले यहूदियों को यह अनुमति दी कि वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए परस्पर एकत्र होकर सुरक्षा-दल बना सकते हैं। यदि कोई जाति अथवा प्रदेश की सशस्त्र-सेना उन पर आक्रमण करेगी तो वे बच्चों और स्त्रियों सहित उनको नष्ट कर सकते हैं, उनका वध और सर्वनाश कर सकते हैं, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट सकते हैं।
तब सम्राट ने रानी एस्तर से कहा, ‘राजधानी में यहूदियों ने पाँच सौ लोगों का और हामान के दस पुत्रों का वध कर दिया। तब न मालूम उन्होंने साम्राज्य के अन्य प्रदेशों में क्या किया होगा! महारानी, अब आप का और क्या निवेदन है? वह भी स्वीकार किया जाएगा। आप और क्या मांगती हैं? आपकी मांग पूरी की जाएगी।’
एस्तर ने कहा, ‘यदि महाराज को यह उचित प्रतीत हो, तो शूशन नगर के यहूदियों को अनुमति दी जाए कि वे आज के समान कल भी अपने शत्रुओं का वध कर सकें। हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्भों पर लटकाया जाए।’
सम्राट ने आदेश दिया, ‘ऐसा ही किया जाएगा।’ शूशन नगर में तत्काल एक राजाज्ञा घोषित की गई, और हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्भों पर लटका दिया गया।
साम्राज्य के अधीन अन्य प्रदेशों में रहने वाले यहूदियों ने सुरक्षा-दल बनाकर अपने-अपने प्राणों की रक्षा की, और अपने शत्रुओं से छुटकारा पाकर चैन की सांस ली। उन्होंने अपने पचहत्तर हजार बैरियों का, जो उनसे घृणा करते थे, वध कर दिया, पर उन्होंने उनकी धन-सम्पत्ति नहीं लूटी।
सम्राट क्षयर्ष के अधीन समस्त प्रदेशों के नगरों में रहने वाले यहूदी एकत्र हुए, और उन्होंने अनिष्ट करनेवालों पर आक्रमण करने के लिए दल बनाए। कोई भी शत्रु उनके सामने ठहर न सका; क्योंकि सब जातियों पर उनका भय छा गया था।
आप लोग धन का लालच न करें। जो आपके पास है, उस से सन्तुष्ट रहें; क्योंकि परमेश्वर ने स्वयं कहा है, “मैं तुझको नहीं छोड़ूँगा। मैं तुझको कभी नहीं त्यागूँगा।”