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एज्रा 8:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 तब मैंने अहवा नदी के तट पर सामूहिक उपवास की घोषणा की ताकि हम परमेश्‍वर के सम्‍मुख विनम्र बनें, और उससे स्‍वयं की, अपने बच्‍चों की तथा सम्‍पत्ति की रक्षा के लिए निर्विघ्‍न यात्रा की मांग करें।

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पवित्र बाइबल

21 वहाँ अहवा नदी के पास, मैंने (एज्रा) घोषणा की कि हमें उपवास रखना चाहिये। हमें अपने को परमेश्वर के सामने विनम्र बनाने के लिये उपवास रखना चाहिये। हम लोग परमेश्वर से अपने लिये, अपने बच्चों के लिये, और जो चीज़ें हमारी थीं, उनके साथ सुरक्षित यात्रा के लिये प्रार्थना करना चाहते थे।

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Hindi Holy Bible

21 तब मैं ने वहां अर्थात अहवा नदी के तीर पर उपवास का प्रचार इस आशय से किया, कि हम परमेश्वर के साम्हने दीन हों; और उस से अपने और अपने बाल-बच्चों और अपनी समस्त सम्पत्ति के लिये सरल यात्रा मांगें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 तब मैं ने वहाँ अर्थात् अहवा नदी के तट पर उपवास का प्रचार इस आशय से किया कि हम परमेश्‍वर के सामने दीन हों; और उस से अपने और अपने बाल–बच्‍चों और अपनी समस्त सम्पत्ति के लिये सरल यात्रा माँगें।

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सरल हिन्दी बाइबल

21 इसके बाद मैंने अहावा नदी के तट पर उपवास की घोषणा की, कि हम स्वयं को अपने परमेश्वर के सामने नम्र बनाएं और उनसे अपने लिए इस यात्रा में, अपनी, अपने बालकों तथा वस्तुओं की सुरक्षा की प्रार्थना करें.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

21 तब मैंने वहाँ अर्थात् अहवा नदी के तट पर उपवास का प्रचार इस आशय से किया, कि हम परमेश्वर के सामने दीन हों; और उससे अपने और अपने बाल-बच्चों और अपनी समस्त सम्पत्ति के लिये सरल यात्रा माँगे।

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एज्रा 8:21
37 क्रॉस रेफरेंस  

यह खबर सुनकर यहोशाफट डर गया, और उसने प्रभु की इच्‍छा जानने का प्रयत्‍न किया। उसने समस्‍त यहूदा प्रदेश में सामूहिक उपवास की घोषणा कर दी।


समस्‍त यहूदा प्रदेश के निवासी प्रभु की सहायता पाने के लिए एकत्र हुए। वे यहूदा प्रदेश के सब नगरों से प्रभु की इच्‍छा जानने के लिए आए।


मैंने इनको अहवा नगर जानेवाली नहर के तट पर एकत्र किया। हम वहां तीन दिन तक ठहरे रहे। जब मैंने लोगों तथा पुरोहितों का निरीक्षण किया, तब मुझे लेवी वंश का एक भी उप-पुरोहित नहीं मिला।


हमने यरूशलेम के लिए पहले महीने की बारहवीं तारीख को अहवा नदी के तट से प्रस्‍थान किया। परमेश्‍वर की कृपा-दृष्‍टि हम पर थी, उसने मार्ग में शत्रुओं के हाथ से तथा लुटेरों से हमारी रक्षा की।


इसी महीने के चौबीसवें दिन इस्राएली समाज ने सामूहिक उपवास किया। उन्‍होंने प्रायश्‍चित प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहिने और सिर पर राख डाली, और वे एक स्‍थान पर एकत्र हुए।


‘जाओ, और शूशन नगर के सब यहूदियों को एकत्र करो, और मेरे लिए सामूहिक उपवास करो। तीन दिन और रात न भोजन करना, और न पानी पीना। तुम्‍हारे समान मैं भी अपनी सखियों के साथ उपवास करूंगी। तब मैं महाराज के पास जाऊंगी, यद्यपि ऐसा करना नियम के विरुद्ध होगा। यदि मुझे मरना ही पड़ेगा तो मैं मर जाऊंगी।’


जब हम बेबीलोन की नदियों के तट पर बैठे; तब सियोन को स्‍मरण कर रो दिए।


मेरी घात में बैठे शत्रुओं के कारण, प्रभु, अपने धर्म-पथ पर मुझे ले चल। मेरे समक्ष अपना मार्ग सीधा बना।


उनके मुंह में सत्‍य नहीं है, उनका हृदय विनाश है, उनका गला खुली कबर है, वे अपनी जीभ से ठकुर-सुहाती करते हैं।


शिशुओं और बच्‍चों के मुख से तेरी स्‍तुति होती है। अपने बैरियों के कारण, अपने शत्रु और प्रतिशोधी का अंत करने के लिए तूने एक गढ़ बनाया है।


अपने सब कार्यों में तू प्रभु को स्‍मरण करना, वह तेरे कठिन मार्ग को सरल कर देगा।


जब तुम सत्‍य मार्ग से दाएं-बाएं भटकोगे तब तुम्‍हारे कानों में पीछे से यह आवाज सुनाई देगी; “सत्‍य मार्ग यही है, इस पर चलो!”


वहां एक राजमार्ग होगा, वह ‘पवित्र मार्ग’ कहलाएगा। कोई अपवित्र प्राणी उस पर नहीं चलेगा। मूर्ख उस पर पैर भी नहीं रख सकेंगे।


मैं अनजान मार्ग पर अंधों का मार्ग-दर्शन करूंगा, मैं अपरिचित राह पर उनका पथ-प्रदर्शन करूंगा। मैं उनके सम्‍मुख अंधकार को प्रकाश में बदल दूंगा, ऊबड़-खाबड़ स्‍थानों को समतल मैदान बना दूंगा। मैं यह सब आश्‍चर्यपूर्ण कार्य करूंगा, और उनको कभी नहीं त्‍यागूंगा।


वे न भूखे रहेंगे, और न प्‍यासे; वे न गर्म रेत से पीड़ित होंगे, और न धूप में उन्‍हें कष्‍ट होगा; क्‍योंकि जिसने उन पर दया की है, और उन्‍हें छुड़ाया है, वही उनका मार्गदर्शन करेगा। वह उन्‍हें जल-स्रोतों के पास ले जाएगा।


वे मुझसे कहते हैं: ‘हम उपवास करते हैं किन्‍तु तू उसको देखता नहीं, हम अपने प्राण को कष्‍ट देते हैं, परन्‍तु तू उस पर ध्‍यान नहीं देता।’ देखो, जब तुम उपवास करते हो, तब तुम्‍हारा उद्देश्‍य अपनी इच्‍छाओं को पूर्ण करना होता है; तुम अपने मजदूरों पर अत्‍याचार करते हो।


क्‍या मैं ऐसे उपवास से प्रसन्न होता हूं? क्‍या इस दिन उपवास करनेवाले व्यक्‍ति को अपने प्राण को कष्‍ट नहीं देना चाहिए? क्‍या सिर को झाऊ वृक्ष की तरह झुकाना, अपने नीचे राख और टाट-वस्‍त्र बिछाना, उपवास कहलाता है? क्‍या तुम इसको उपवास कहते हो? क्‍या ऐसा उपवास का दिन मुझे स्‍वीकार होगा?


हे प्रभु, मैं यह जानता हूं कि मनुष्‍य का आचरण उसके वश में नहीं है; मनुष्‍य के कदम उसकी इच्‍छा से नहीं उठते।


ताकि आपका प्रभु परमेश्‍वर हमें वह मार्ग बताए जिस पर हमें चलना चाहिए; हमें वह काम बताए, जो हमें करना चाहिए।’


“तब मैं अपने स्‍वामी परमेश्‍वर की ओर उन्‍मुख हुआ। मैंने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहिने, और अपने सिर पर राख डाली। मैंने उपवास रखा। मैं परमेश्‍वर की कृपा-दृष्‍टि पाने के लिए प्रार्थना और विनती करने लगा।


उपवास का दिन घोषित करो, धर्म-महासभा की बैठक बुलाओ। प्रभु परमेश्‍वर के भवन में धर्मवृद्धों और देशवासियों को एकत्र करो। सब प्रभु की दुहाई दें।


‘यह तुम्‍हारे लिए स्‍थायी संविधि होगी: तुम सातवें महीने के दसवें दिन स्‍वयं को उपवास के द्वारा पीड़ित करना। उस दिन कोई भी व्यक्‍ति चाहे वह देशी हो अथवा तुम्‍हारे मध्‍य में निवास करने वाला प्रवासी हो, काम नहीं करेगा;


यह तुम्‍हारे लिए परम विश्राम दिवस है। तुम स्‍वयं को उपवास के द्वारा पीड़ित करना। यह स्‍थायी संविधि है।


जो व्यक्‍ति इस दिन स्‍वयं को उपवास के द्वारा पीड़ित नहीं करेगा, वह अपने लोगों में से नष्‍ट किया जाएगा।


नीनवे के नागरिकों ने परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया। उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने के लिए उपवास की घोषणा की। छोटे-बड़े सब नागरिकों ने टाट के वस्‍त्र पहिने।


उसने समस्‍त नीनवे नगर में यह राजाज्ञा प्रचारित की: ‘राजा और मंत्री-मण्‍डल की ओर से यह आदेश है: मनुष्‍य और पशु, भेड़-बकरी और गाय-बैल अपने मुंह में अनाज का दाना भी नहीं रखेंगे। वे न भोजन करेंगे और न पानी पियेंगे।


क्‍यों प्रभु हमें उस देश में ले जाना चाहता है? क्‍या तलवार से मार डालने के लिए? वे हमारी पत्‍नियों और बच्‍चों को हम से लूट लेंगे। यह हमारे लिए अच्‍छा है कि हम मिस्र देश को लौट जाएँ।’


तुम्‍हारे बच्‍चों को, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे लूट लिए जाएंगे, मैं उस देश में लाऊंगा। वे उस देश को जानेंगे, जिसका तुमने तिरस्‍कार किया है।


क्‍योंकि वह प्रतिज्ञा आपके तथा आपकी सन्‍तान के लिए है, और उन सब के लिए, जो अभी दूर हैं और जिन्‍हें हमारा प्रभु परमेश्‍वर अपने पास बुला रहा है।”


तब सब इस्राएली लोग, समस्‍त सेना बेत-एल गई। वे प्रभु के सम्‍मुख आए। वे वहाँ प्रभु के सम्‍मुख बैठ गए। वे रोए। उन्‍होंने सन्‍ध्‍या समय तक उपवास किया, और प्रभु के सम्‍मुख अग्‍नि-बलि और सहभागिता-बलि अर्पित की।


अत: वे मिस्‍पाह में एकत्र हुए। उन्‍होंने पानी भरा और उसको प्रभु के सम्‍मुख उण्‍डेला। उन्‍होंने उस दिन उपवास किया। उन्‍होंने वहाँ यह स्‍वीकार किया, ‘हमने प्रभु के विरुद्ध पाप किया है।’ इस प्रकार शमूएल मिस्‍पाह में इस्राएलियों पर शासन करने लगा।


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