नबी हग्गय तथा जकर्याह बेन-इद्दो की उत्साहवर्धक नबूवत से प्रेरणा प्राप्त कर यहूदी समाज के धर्मवृद्धों ने प्रभु का भवन बनाया, और यों वे अपने कार्य में सफल हुए। उन्होंने इस्राएली कौम के परमेश्वर की आज्ञा से तथा फारस देश के सम्राट कुस्रू, दारा और अर्तक्षत्र के आदेशों के अनुसार प्रभु के भवन का निर्माण-कार्य पूरा किया।
मैं राजा कुस्रू के विषय में यह कहता हूं, ‘वह मेरा चरवाहा है, वह मेरे समस्त अभिप्रायों को पूरा करेगा।’ मैंने यरूशलेम के विषय में यह कहा है: ‘उसका पुनर्निर्माण होगा,’ और मन्दिर के विषय में यह कहा है: ‘तेरे भवन की नींव फिर डाली जाएगी।’ ”
ये पात्र लुटकर बेबीलोन नगर ले जाये जाएंगे, और वहां तब तक रहेंगे जब तक मैं उनकी सुधि न लूंगा। उसके पश्चात् मैं उनको वापस लाऊंगा, और उन को उनके स्थान पर पुन: प्रतिष्ठित करूंगा।’